Saturday, December 14, 2019

अभिप्रेरणा या प्रेरणा की प्रकृति




अर्थ
             अभिप्रेरणा (मोटिवेशन) लैटिन शब्द 'मोवरे' से बना है, जिसका अर्थ होता है 'गति या गतिविधि'। अभिप्रेरणा लोगों को उनकी पसंद की गतिविधि में संलग्न होने के लिए प्रेरित करती है। यह वो आंतरिक अमूर्त शक्ति होती है जो मानव और जानवरों के व्यवहार के लिए जिम्मेदार होती है।

परिभाषा
           
            एक ऐसी जरूरत या इच्छा जो व्यक्ति की शारीरिक ऊर्जा और व्यवहार को निर्देशित करती है (NCERT, XI)।

            वह प्रक्रिया जिसके द्वारा शारीरिक गतिविधियों को शुरू किया जाता है, निर्देशित किया जाता है, और जारी रखा जाता है ताकि भौतिक या मनोवैज्ञानिक ज़रूरतें पूरी हों सके (सिसरेली और मेयर, 2016)।

            एक अंतर्निहित आंतरिक प्रक्रिया जो समय के साथ व्यवहार को उत्प्रेरित (activate) करती है, मार्गदर्शन करती है और बनाए रखती है (बैरन, 1993)।

            "बाहरी या आंतरिक कारकों द्वारा एक तीव्र इच्छा की शुरुआत जिससे उसे प्राप्त करने या संतुष्ट करने की संभावना हो "।

संक्षिप्त परिचय
            अभिप्रेरणा, प्रेरकों से उत्पन्न एक अमूर्त बल होता है जो व्यवहार के प्रमुख निर्धारकों में से एक है। प्रेरक (कुछ करने के कारण या ऐसे कारक जो व्यवहार को क्रियाशील और निर्देशित करते हैं) वो सामान्य अवस्थाएं होती हैं जो अलग अलग स्थितियों में व्यवहार के बारे में भविष्यवाणियां करने में मदद करती हैं और हमें सक्षम बनाती हैं। मूल प्रवृत्तियाँ (Instincts), प्रणोद (Drive), आवश्यकताएं, लक्ष्य, और प्रोत्साहन आदि अभिप्रेरणा अवधारणा के तहत आते हैं।

अभिप्रेरणा के प्रमुख घटक

अभिप्रेरणा के तीन प्रमुख घटक होते हैं:
1.         सक्रियण (Activation) - प्रक्रिया की शुरूआत।
2.         दृढ़ता (Persistence) - सक्रिय प्रक्रिया को जारी रखना।
3.         तीव्रता (Intensity) - प्रयास, ऊर्जा, बल और भावनाओं की मात्रा।

अभिप्रेरणा चक्र


अभिप्रेरणा चक्र की व्याख्या
(i)       आवश्यकता  (Need) – एक प्रकार की मनो-शारीरिक कमी।
(ii)      अन्तर्नोद (Drive) – यह एक मनो-शारीरिक उद्वेलन की स्थिति होती है जो एक आवश्यकता द्वारा उत्पन्न होती है।
(iii)     उद्वेलन (Arousal) – आंतरिक सक्रियण।
(iv)     लक्ष्य निर्दिष्ट व्यवहार – ऐसी शारीरिक गतिविधियाँ जो क्रिया-परिणाम (action-outcome learning) के सीखने पर आधारित होती हैं।
(v)      उपलब्धि  – चुनौतीपूर्ण और कठिन कार्यों में महारत हासिल करने को सफलता कहा जाता है (De Cecco & Crawford, 1977)।
(vi)     उद्वेलन में कमी – आंतरिक सक्रियण में कमी होने के कारण पुनः सामान्य अवस्था में लौट आना।

अभिप्रेरणा के प्रकार
1.       बाह्य अभिप्रेरणा – बाहरी उद्दीपक के फलस्वरूप उत्पन्न होने वाली अभिप्रेरणा। जब क्रियाकलाप इनाम या/और दंड (दो प्रमुख बाहरी कारकों) के कारण किये जाएँ। इसे समूह में भी प्रयोग किया जा सकता है लेकिन इसकी वैधता सीमित होती है।
2.       आंतरिक अभिप्रेरणा - जब प्रेरणा के लिए उद्दीपक भीतर से आये अर्थात आंतरिक कारकों के कारण क्रियाकलापों में संलग्न होना आंतरिक अभिप्रेरणा कहलाता है। इस प्रकार की प्रेरणा के लिए कोई बाहरी पुरस्कार नहीं होता है। यह निम्नलिखित जरूरतों या इच्छाओं के कारण होता है:
(i)       स्वायत्तता – स्वयं के जीवन पर पूर्ण नियंत्रण रखने की आवश्यकता।
(ii)      संबंधितता – पारस्परिक संबंधों को बनाए रखने की जरूरत है।
(iii)     सक्षमता – सबसे अच्छा करने और/या सफल होने की जरूरत।

अभिप्रेरणा पर विभिन्न परिप्रेक्ष्य
1.       मूल प्रवृत्ति सिद्धांत – यह सिद्धांत बताता है कि व्यवहार मूल प्रवृत्ति एवं तीव्र इच्छाओं का परिणाम होती हैं (व्यवहार के ख़ास पैटर्न जो एक प्रजाति में सार्वभौमिक होते हैं) जैसे कि लड़ाकू होना, लालची होना,
सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार, जिज्ञासु आदि।
2.       अन्तर्नोद सिद्धांत – यह सिद्धांत बताता है कि व्यवहार मूलभूत जैविक आवश्यकताओं जैसे भूख, प्यास, काम आदि से उपजे अन्तर्नोद का परिणाम होता है जो शारीरिक अवस्था को संतुलित, जिसे आमतौर
पर समस्थिति (Homeostasis) के रूप में जाना जाता है, करने का एक प्राकृतिक प्रयास होता है।
3.       उद्वेलन (Arousal) सिद्धांत – यह सिद्धांत बताता है कि व्यक्ति उद्वेलन का वो स्तर प्राप्त करना चाहता है जो किसी भी परिस्थिति से निपटने में उसके लिए अनुकूल हो।
4.       प्रत्याशा सिद्धांत – यह सिद्धांत बताता है कि व्यवहार वांछनीय परिणामों की अपेक्षाओं का परिणाम होता है। प्रत्याशा का अर्थ है "वर्तमान क्रियाकलापों से भविष्य में फलदायी परिणाम (प्रोत्साहन) प्राप्त होंगे।"
5.       आवश्यकताओं की पदानुक्रम – मैस्लो का सिद्धांत बताता है कि मानव की आवश्यकताएं एक पदानुक्रम में मौजूद होती हैं। इस सिद्धांत के अनुसार जब तक निचले स्तर की आवश्यकताएं संतुष्ट नहीं होगी तब तक उच्च-स्तर की आवश्‍यकताएँ संदीप्त (Aroused) या सक्रिय नहीं होंगी।
संदर्भ:
1.         NCERT,  (2013). XI Psychology Text book.
2.         Ciccarelli, S. K. & Meyer, G. E. (2016). Psychology. Noida: Pearson India.
3.         Baron, R. (1993). Psychology.
4.         https://www.scribd.com/document/110987023/Definition-of-Achievement-Anxiety-Attitude-Behavior-And-Performance
5.         https://www.psychestudy.com/general/motivation-emotion/types-motivation
6.         https://www.leadership-central.com/types-of-motivation.html.

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