कुछ मुनासिब प्रश्न
जैसा
व्यवहार हम करते हैं,
वैसा व्यवहार हम क्यों करते
हैं?
वे
कौन से कारक हैं
जो हमारे अद्वितीय और सुसंगत (Consistent) व्यवहार पैटर्न
का निर्धारण करते हैं?
क्या
कोई एक या कई
सारे करक मिलकर हमारे व्यक्तित्व का निर्माण करते
हैं?
इस ब्लॉग मैंने इन प्रश्नों के उत्तर खोजने की कोशिश की है?
संक्षिप्त परिचय
आइए
हम व्यक्तित्व की परिभाषा से
शुरू करें,
“व्यक्तित्व अद्वितीय और अपेक्षाकृत स्थिर
गुणों को संदर्भित करता
है जो किसी व्यक्ति
के व्यवहार को समय-समय
पर विभिन्न स्थितियों में चित्रित करते हैं”(NCERT, XII).
“व्यक्ति के भीतर मनो-शारीरिक प्रणालियों का वह गतिशील
संगठन जो पर्यावरण के
साथ उस के अद्वितीय
समायोजन का निर्धारण करता
है”
(Allport, 1961, p. 28 ).
व्यक्तित्व एक एकछत्र (Umbrella) मनोवैज्ञानिक अवधारणा
होती है जो कई
प्रकार के कारकों द्वारा
निर्धारित होती है: -
कुछ
महत्वपूर्ण निर्धारक
1. जैविक,
2. मनोवैज्ञानिक,
3. सामाजिक,
4. सांस्कृतिक, और
5. पर्यावरणीय।
1. जैविक
(a) आनुवंशिकता – आनुवंशिक ब्लू प्रिंट (आणविक संरचना) व्यक्तित्व पैटर्न की सीमा निर्धारित करता हैजिसके दायरे के भीतर रहकर
व्यक्तित्व का विकास होता
है। यह (आनुवंशिकता) मुखाकृति, लिंग, मांसपेशियों की संरचना, स्वभाव आदि से अभिव्यक्त होती
है।
(b) मस्तिष्क – मस्तिष्क सबसे महत्वपूर्ण जैविक अंग होता है जो व्यक्तित्व और
उस के व्यापक पैटर्न
का निर्धारण करता है।
(c) शारीरिक विशेषताएं
– शारीरिक विशेषताएं जैसे लम्बाई, वजन, त्वचा का रंग, आँखें
और बालों का रंग व्यक्तित्व
की बाह्य रूपरेखा (Profile) पर महत्वपूर्ण प्रभाव
डालते हैं।
2. मनोवैज्ञानिक
(a) बुद्धि/बौद्धिक
क्षमता
– ये व्यक्तित्व के संज्ञानात्मक घटक
होते हैं जो समस्या समाधान
की क्षमता, अनुकूलन क्षमता, तर्कसंगत सोच, निर्णय लेने की क्षमता आदि
के प्रदर्शन से व्यक्तित्व को
निर्धारित करते हैं।
(b) मनोवृत्ति (Attitude) –
यह व्यक्तित्व को वस्तुओं और
वातावरण की ओर प्रत्यक्षणात्मक दृष्टिकोण के माध्यम
से परिभाषित करता है।
(c) संवेग – आंतरिक और बाह्य उद्दीपकों
के प्रति संवेगात्मक प्रतिक्रिया अन्य लोगों के साथ अंतःक्रिया
को परिभाषित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है जिसके फलस्वरूप
व्यक्तित्व का निर्धारण होता
है।
(e) रूचि – रूचि किसी वस्तु, स्थिति या प्रक्रिया की ओर लगातार
ध्यान केंद्रित करने को कहते हैं,
जो व्यक्तित्व संरचना निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
3. सामाजिक
(a) स्थितिजन्य – समाज में रहते हुए व्यक्ति को बहुत सारी
सामाजिक परिस्थितियों का सामना करना
पड़ता है। ये परिस्थितियां व्यक्तित्व
को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। परिस्थितिजन्य कारक निर्णय लेने, पारस्परिक संबंध, प्रतिक्रिया पैटर्न और विभिन्न स्थितियों
के प्रति दृष्टिकोणों को प्रभावित करते
हैं।
(b) सामाजिक अंतःक्रिया
– पारस्परिक
(Interpersonal) संबंधों
का योगदान अनन्यता (Identity) और स्व: (self) के
निर्माण में महत्वपूर्ण होता है जो व्यक्तित्व
के मूलभूत निर्धारकों में से होते हैं।
(b) घर और
परिवार
– परिवार समाज की एक एक
बुनियादी संस्था होती है जो एक
घर को गृह बनाती
है और व्यक्तित्व के
विकास पर अमिट प्रभाव
डालती है। बच्चे की प्राथमिक शिक्षा
परिवार के मार्गदर्शन और
पर्यवेक्षण के तहत घर
पर ही होती है
जो व्यक्तित्व निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
4. सांस्कृतिक
(a) मान्यताएं और
परम्पराएं
– सांस्कृतिक अंतःक्रिया एवं अवलोकन द्वारा अर्जित विश्वास, मान्यताएं और परम्पराएं व्यक्तित्व
निर्माण की मजबूत और
अटूट कड़ी होती हैं, इसी के कारण व्यक्तित्व
तो संस्कृति प्राबल्य (dominated) कहा जाता है।
(b) मानक और
प्रथाएं
– संस्कृति के मानक, प्रथाएं और
रीति-रिवाज व्यक्तित्व विकास को व्यवहार परिवर्तन
और अधिगम के माध्यम से
दिशा और प्रवर्तक बल
(impetus) प्रदान करते हैं।
(c) मूल्य - सामाजिक-सांस्कृतिक संपर्क से सीखे गए
आदर्शों को आत्मसात करना
व्यक्तित्व विकास के लिए महत्वपूर्ण
माना जाता है। मूल्य 'व्यक्तित्व शैली' (Personality type) के आधार होते
हैं।
(d) धर्म - मान्यताओं और विश्वास प्रणाली
का एक ऐसा समुच्चय
जो सांस्कृतिक, सामाजिक और
भौगोलिक
परिस्थितियों से प्रभावित होता
है व्यक्तित्व विकास को विशिष्ट व्यवहार
पैटर्न पर ध्यान केंद्रित
करते हुए प्रभावित एवं निर्धारित करता है।
(b) सामाजिक-सांस्कृतिक
वातावरण
– व्यक्ति सामाजिक-सांस्कृतिक वातावरण में रहकर महत्वपूर्ण पाठ, अवधारणाएं, प्रतिक्रिया पैटर्न, ड्रेसिंग स्टाइल, भोजन की आदतें, शिष्टाचार,
आत्म-नियंत्रण, आदर्श और स्व-नियमन सीखते हैं व्यक्तित्व शैली के निर्धारण में
महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
सन्दर्भ:
1. Allport,
G. W. (1937). Personality: A psychological interpretation. New York: H. Holt
and. Company.
2.
https://sg.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/148426/12/12 chapter%205.pdf .
3. NCERT,
XII, 2006.
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👌🏻👌🏻
ReplyDeleteThanks, Vikas Ji for your feedback.
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