जेम्स-लैंज सिद्धांत की आलोचना
जेम्स लैंज का कारण-प्रभाव सिद्धांत कुछ आधारभूत आलोचनाओं के कारण इस्तेमाल से बाहर हो गया। इसके जवाब में वाल्टर केनन (1927 और फिलिप बार्ड (1934) ने एक नया सिद्धांत प्रस्तावित किया।
जेम्स-लैंज सिद्धांत की आलोचना (explorable.com):
(i) संवेग शारीरिक प्रतिक्रियाओं से जुड़े नहीं होते हैं। दूसरे शब्दों में शारीरिक प्रतिक्रियाओं के बिना भी संवेगों को अनुभव किया जा सकता है।
(ii) विभिन्न प्रकार के संवेगों के अनुभव के दौरान आंतरिक परिवर्तन सामान रहते हैं जैसे हृदय गति में परिवर्तन।
(iii) यह पाया गया है कि शरीर के विभिन्न आंतरिक अंग कमोबेश असंवेदनशील होते हैं।
(iv) विशेष रूप से विशिष्ट आंतरिक अंगों के परिवर्तनों के
लिए जिम्मेदार संवेगों को आंतरिक अंगों में कृत्रिम साधनों से परिवर्तन करके अनुभव
नहीं किया जा सकता।
(v) मस्तिष्क के सब-कोर्टिकल केंद्रों के सक्रियण के फलस्वरूप ही संवेगों की अभिव्यक्ति होती है।
(vi) थैलेमिक प्रतिक्रियाओं के कारण संवेगों सम्बन्धी भावों का अनुभव होता है।
(vii) आंतरिक अंगों को केंद्रीय तंत्रिका प्रणाली या सी.एन.एस. से पूरी तरह से अलग कर देने पर संवेगात्मक व्यवहार में कोई परिवर्तन नहीं होता है। यह उन प्रयोगों से सिद्ध किया जा चूका है जिसमे बिल्लियों के अंतरांगों को हटा दिए जाने के बाद भी वे जिन्दा रही।
यह सिद्धांत बताता है कि संवेगात्मक अनुभव (संज्ञानात्मक परिवर्तन और आंतरिक शारीरिक परिवर्तन) और संवेगात्मक व्यवहार (बाहरी शारीरिक परिवर्तन) एक साथ होते हैं।
केनन-बार्ड सिद्धांत यह स्पष्ट करता है कि संवेगों की पूरी प्रक्रिया थैलेमस द्वारा विनियमित (Mediated) की जाती है जो संवेग पैदा करने वाले उद्दीपक के फलस्वरूप होने वाली उत्तेजना के प्रत्यक्षण के बाद इस जानकारी को एक साथ सेरेब्रल कॉर्टेक्स, मांसपेशियों और अनुकंपी तंत्रिका तंत्र के साथ साझा करता है। सेरेब्रल कॉर्टेक्स तब पिछले अनुभवों के आधार पर कथित उत्तेजना
की प्रकृति को निर्धारित करता है। यह प्रक्रिया संवेग के व्यक्तिपरक अनुभव को निर्धारित
करती है। थैलेमस एक ही समय में अनुकंपी तंत्रिका तंत्र और मांसपेशियां को शारीरिक उत्तेजना
प्रदान करता है और व्यक्ति को भागो या सामना करो की कार्रवाई करने के लिए तैयार करता है,(NCERT, XI)।
संदर्भ:
1. NCERT, (2013). XI Psychology Text book.
2. Ciccarelli,
S. K. & Meyer, G. E. (2016). Psychology. Noida: Pearson India.
3. Baron,
R. (1993). Psychology.
4. https://explorable.com/cannon-bard-theory-of-emotion
5. https://www.scienceofpeople.com/emotion-maps-emotions-change-body/
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