Saturday, December 21, 2019

व्यक्तित्व का प्ररूप (प्रकार) उपागम

प्ररूप  (प्रकार) उपागम का अर्थ
             मनोवैज्ञानिक क्षमता आधार पर यदि देखा जाए तो "प्रत्येक व्यक्ति अद्वितीय होता है", यह तथ्य सार्वभौमिक रूप से सत्य है। अद्वितीय होने के बावजूद भी लोगों में व्यवहार समानताएं पाई जाती हैं। मनोवैज्ञानिक जिन्होंने प्ररूप  उपागम की वकालत की, उन्होंने लोगों के व्यवहार में पाई जाने वाली समानताओं के आधार पर उन्हें वर्गीकृत करने करने का प्रयास किया है। मॉर्गन और किंग के अनुसार, “प्ररूप ऐसे व्यक्तियों का वर्ग होता है जिनमें साझा विशेषताओं का एक संग्रह होता है।" इसलिए, प्ररूप  उपागम (दृष्टिकोण) अलग-अलग व्यक्तित्व प्रकारों में पहचान किए गए व्यवहार समानता के आधार पर व्यक्तियों को वर्गीकृत करने की रणनीति होती है।

व्यक्तित्व के विभिन्न प्ररूपविज्ञान (Typology)

1.         भारतीय टाइपोलॉजी,
2.         हिप्पोक्रेट्स द्वारा सुझाई गई टाइपोलॉजी,
3.         क्रैशमर द्वारा सुझाई गई टाइपोलॉजी,
4.         शेल्डन द्वारा सुझाई गई टाइपोलॉजी,
5.         कार्ल जंग द्वारा सुझाई गई टाइपोलॉजी, और
6.         फ्रीडमैन, रोसेनमैन और मॉरिस द्वारा सुझाई गई टाइपोलॉजी।

1.       भारतीय
(i)        त्रिदोष एवं
(ii)       त्रिगुण

(i)        त्रिदोषआयुर्वेद का एक प्रसिद्ध ग्रंथ है चरक संहिता, जो लोगों को वात, पित्त और कफ तीन तत्वों जिन्हे त्रिदोष कहा जाता है के आधार पर तीन श्रेणियों में वर्गीकृत करता है। प्रत्येक तत्व एक विशिष्ट प्रकार के स्वभाव को परिभाषित करता है जिसे व्यक्ति की प्रकृति (मूल प्रकृति) कहा जाता है।

(ii)       त्रिगुणसांख्य दर्शन के अनुसार तीनो गुणों अर्थात् सत्व, रजस और तमस में से किसी एक गुण "प्रवृत्ति" के आधार पर व्यक्तित्व को वर्गीकृत किया जाता है।
            (a)       सत्त्व गुण वाले व्यक्ति में स्वच्छता, सत्यता, कर्तव्यपरायणता, अनासक्ति, अनुशासन आदि गुण पाए जाते हैं
            (b)       रजस गुण वाले व्यक्ति में अत्यधिक क्रियाशीलता, इंद्रिये संतुष्टि, असंतोष, दूसरों के लिए ईर्ष्या और भौतिकवादी मानसिकता, आदि गुण पाए जाते हैं।
         सभी तीनो गुण अलग-अलग मात्रा में प्रत्येक व्यक्ति में मौजूद होते हैं। एक या दूसरे गुण के प्रभुत्व से एक विशेष प्रकार का व्यवहार प्रदर्शित होता है।


1.       हिप्पोक्रेट्स द्वारा सुझाई गई टाइपोलॉजी
            400 .पू. ग्रीक फिजिशियन हिप्पोक्रेट्स ने सुझाव दिया कि शरीर में चार प्रकार के द्रव्य या ह्यूमर यानी पीली पित्त, काली पित्त, रक्त और कफ पाये जाते हैं और उनके आधार पर एक टाइपोलॉजी प्रस्तावित की। प्रत्येक व्यक्ति में एक द्रव्य पदार्थ का प्रभुत्व होता है जो उसके स्वभाव को निर्धारित करता है। उनके अनुसार व्यक्ति चार प्रकार के होते हैं: -

(a)     कोपशीलपीली पित्त की प्रधानता [चिड़चिड़ा, बेचैन और गर्म खून]
(b)    विवादी - काली पित्त की प्रधानता [उदास, अवसादी और जीवन में आशा से रहित]
(c)     उत्साही - रक्त की प्रधानता [हंसमुख, सक्रिय और आशावादी]
(d)     श्लैष्मिक - श्लेष्मा की प्रधानता [शांत, नीरव और निष्क्रिय]

3.       क्रैशमर द्वारा सुझाई गई टाइपोलॉजी

            क्रैशमर एक जर्मन मनोचिकित्सक थे जिन्होंने लोगों की शारीरिक संरचना और स्वभाव के आधार पर चार प्रकारों में वर्गीकृत किया।
(a)       पाईकैनिक प्रकार केछोटी कद-काठी, छोटी मोटी गर्दन और भारी शरीर [सामाजिक और हंसमुख] ऐसे व्यक्ति खुशमिजाज होते हैं, वे खाना और सोना पसंद करते हैं। उन्मत्त-अवसादग्रस्त (Manic-depressive) विकारों से पीड़ित होने की संभावना अधिक होती है।
(b)       ऐस्थैनिक (दुर्बल) प्रकार के  – अविकसित मांसपेशियों के साथ लम्बे, कम वजन वाले और पतले [चिड़चिड़े और जिम्मेदारी से दूर भागने वाले] दिन में सपने देखने की आदत और कल्पना की दुनिया में खो जाने वाले] सिज़ोफ्रेनिया से पीड़ित होने की संभावना अधिक होती है।
(c)       एथलेटिक प्रकार केशक्तिपूर्ण और पूर्ण रूप से विकसित मांसपेशियों वाले और तो लंबे और ही छोटे [स्थिर, अनुकूली और शांत स्वभाव वाले]
(d)       डिस्प्लास्टिक प्रकार केऐसे लोग जिनमे उपरिलिखित किसी भी प्रकार की विशेषताएँ नहीं पाई जाती वे लेकिन तीनों का मिश्रण होते हैं।

4.       शेल्डन द्वारा सुझाई गई टाइपोलॉजी

             शारीरिक संरचना के आधार पर शेल्डन ने व्यक्तित्व को तीन मूल प्रकारों में वर्गीकृत किया है।

(a)       गोलाकृर्तिक (एंडोमोर्फिक)ऐसे व्यक्ति का शरीर गोल आकार के साथ छोटा और मोटा होता है। खाना-पीना और मौज मस्ती करना पसंद होता है। वे स्वभाव से सामाजिक होते हैं और आरामदायक जीवन जीना पसंद करते हैं।
(b)    आयताकृर्तिक (मेसोमोर्फिक)ऐसे व्यक्ति मजबूत पेशीसमूह और सुगठित शरीर वाले होते हैं। उनकी मांसपेशियां अच्छी तरह से विकसित होती हैं। वे जोखिम लेने वाले, मुखर और आक्रामक होते हैं।
(c)       लम्बाकृर्तिक (एक्टोमॉर्फिक)ऐसे व्यक्ति लंबे लेकिन पतले होते हैं। ऐसे व्यक्ति अंतर्मुखी, कुशाग्रबुद्धि और अन्य लोगों से दूर रहना पसंद करते हैं।

5.       कार्ल युंग द्वारा सुझाई गई टाइपोलॉजी

कार्ल युंग (1921) ने लोगों को दो वर्गों अर्थात अंतर्मुखी और बहिर्मुखी में वर्गीकृत किया है।
(a)       अंतर्मुखीऐसे लोग अकेले रहना पसंद करते हैं और दूसरों से बचने की प्रवृत्ति रखते हैं। संवेगात्मक द्वंद्व की स्थिति में पीछे हट जाना पसंद करते हैं और शर्मीले किस्म के होते हैं। अपने मोबाइल में कम नंबर रखना पसंद करते हैं।
(b)       बहिर्मुखीऐसे लोग मिलनसार और बहिर्गामी होते हैं तथा ऐसे व्यवसाय पसंद करते हैं जिनमें लोगों से सीधा संपर्क होता हो। सामाजिक गतिविधियों में बढ़ चढ़कर भाग लेते हैं। ऐसे लोगों के मोबाइल में हजारों नंबर पाए जाते हैं।

6.       फ्रीडमैन और रोसेनमैन द्वारा सुझाई गई टाइपोलॉजी
             फ्रीडमैन और रोसेनमैन (1976) ने व्यक्तियों को टाइप- और टाइप-बी व्यक्तित्व में वर्गीकृत किया है।
(a)       टाइप- वाले व्यक्ति में व्यक्तित्व में उच्च प्रेरणा, धैर्य की कमी, समय की कमी महसूस करना, उतावलापन, जल्दी में होना और हमेशा काम में उलझे रहना जैसे गुण पाये जाते हैं। ऐसे लोग आराम भी आराम से नहीं कर सकते। ऐसे लोग उच्च रक्तचाप और हृदय रोग (CHD) के लिए संवेदनशील होते हैं।
(b)       टाइप-बी टाइप पर्सनैलिटी के बिलकुल विपरीत होते हैं।

7.       मॉरिस द्वारा सुझाई गई टाइपोलॉजी
             मॉरिस ने एक टाइप-सी व्यक्तित्व के प्रकार का सुझाव दिया है, जो कैंसर के प्रति संवेदनशील होते हैं। इस व्यक्तित्व की विशेषता वाले व्यक्ति सहयोगी, निष्क्रय और धैर्यवान होते हैं। वे अपनी नकारात्मक भावनाओं (जैसे, क्रोध), को दबाने और आदेशों के अनुपालन में माहिर होते हैं।

            मनोवैज्ञानिकों के एक समूह ने चौथे प्रकार के व्यक्तित्व का सुझाव दिया है जिसे टाइप-डी का नाम दिया गया है। इस प्रकार के व्यक्तित्व वाले लोग अवसाद के प्रति संवेदशील होते हैं।    



सन्दर्भ:
1.         NCERT (2013). XII, Text Book.
2.         https://en.wikipedia.org/wiki/Gu%E1%B9%87a.    


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