Monday, December 23, 2019

व्यक्तित्व का विशेषक उपागम - भाग II


विशेषक उपागम का अर्थ
             विशेषक का अर्थ होता है आनुवंशिक रूप से निर्धारित ऐसी विशेषताएं जो जीवन भर स्थिर रहती हैं। मनोविज्ञान की बोल-चाल की भाषा में व्यवहार करने के समान, स्थिर और विशिष्ट तरीके को विशेषक कहा जाता है। ये एक व्यक्ति के अवलोकन योग्य, व्यक्तिपरक और अमूर्त गुण होते हैं जो विभिन्न परिस्थितियों में व्यवहार में स्थिरता सुनिश्चित करते हैं। विशेषक ऐसे मौलिक [मार्गदर्शक] कारक होते हैं जिनके आधार पर व्यवहार के परिणाम आधारित होते हैं। ये प्रत्येक व्यक्ति में अलग-अलग तीव्रता और परिमाण (Magnitude) के साथ पाए जाते हैं। यह दृष्टिकोण विशेषकों को व्यक्तित्व के निर्माण खंडों के रूप में देखता है। एटकिंसन एवं साथियों के अनुसार "एक विशेषक किसी ऐसी विशेषता को कहा जाता है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में अपेक्षाकृत स्थायी और सुसंगत (Consistent) तरीके से भिन्न होती है।" विशेषक सिद्धांतकारों का मानना ​​है कि विभिन्न व्यक्तित्व मनोवैज्ञानिक विशेषताओं के विभिन्न संयोजनों के परिणामस्वरूप होते हैं। विशेषकों के बीच सक्रिय और समकालिक अंतक्रिया अद्वितीय व्यवहार पैटर्न को जन्म देती है। विशेषकों के प्रकार और उनकी तीव्रता में समानता के आधार पर, व्यक्तियों को विभिन्न व्यक्तित्व प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है।

विभिन्न विशेषक सिद्धांत
भाग I
1.         ऑलपोर्ट का विशेषक सिद्धांत
2.         टेल का विशेषक सिद्धांत
भाग II
3.         आइजैंक का विशेषक सिद्धांत
4.         पाँच कारक सिद्धांत

3.       आइजैंक का विशेषक सिद्धांत
             एच. जे. आइजैंक (1952, 67 और 82) ने व्यक्तित्व के दो व्यापक आयाम बताये हैं जो जैविकी और आनुवंशिकी पर आधारित होते हैं। प्रत्येक आयाम में विभिन्न प्रकार के विशिष्ट विशेषक पाये जाते हैं।
(1)       न्युरोटिसीजम बनाम संवेगात्मक स्थिरतायह उस अवस्था संदर्भित होता है जिस को हद तक तक लोगों की अपनी भावनाओं पर नियंत्रण होता है। उनके अनुसार आयाम के एक सिरे पर ऐसे लोग होते हैं जो मानसिक रूप से विक्षिप्त होते हैं। वे चिंतित, मूडी, नर्वस, बेचैन और जल्दी से अपने आप पर नियंत्रण खो देने वाले होते हैं। दुसरे सिरे पर ऐसे लोग होते हैं जो शांत, समशीतोष्ण (Even Tempered), विश्वसनीय और आत्म नियंत्रित होते हैं। अर्थात एक सिरे पर संवेगात्मक रूप से स्थिर और दुसरे सिरे पर संवेगात्मक रूप से अस्थिर.
(2)       बहिर्मुखी बनाम अन्तर्मुखीयह सामाजिक निवर्तमान (outgoing) या सामाजिक रूप से पीछे हटने के विशेषक की डिग्री को परिभाषित करता है। एक सिरे पर वे लोग होते हैं, जो सक्रिय, मिलनसार, आवेगी और रोमांच चाहने वाले होते हैं। दुसरे सिरे पर वे लोग होते हैं जो निष्क्रिय, शांत, सतर्क और अपने आप में सिमटे रहने वाले होते हैं।
बाद में उन्होंने तीसरा एक और आयाम प्रस्तावित किया: -
(3)       मनोविक्षिप्तता बनाम सामाजिकतामनोवैज्ञानिक विकारों से पीड़ित व्यक्तियों के अध्ययन के बाद उन्होंने इसे अपने सिद्धांत में व्यक्तित्व के तीसरे आयाम के रूप में जोड़ा। उन्होंने सुझाव दिया कि व्यक्ति विशुद्ध रूप से मनोविक्षिप्त नहीं होता है, लेकिन आमतौर पर मानसिक रोगियों में पाए जाने वाले कुछ-न-कुछ लक्षण जरूर दिखाता है। एक व्यक्ति जो मनोविक्षिप्तता के आयाम पर उच्च स्कोर करता है उसमें शत्रुता, उदासीनतासामाजिक कायदे-कानूनों के लिए अवहेलना, लापरवाही, अनुचित संवेगात्मक अभिव्यक्ति, असामाजिक और वास्तविकता से निपटने में कठिनाई का अनुभव करता है।

व्यक्तित्व का पाँच कारक सिद्धांत
            टुप्स और क्रिस्टाल (1961), गोल्डबर्ग (1982), कैटेल, कोस्टा और मैकक्रे (1987) सभी एक जैसे ही परिणामों पर पहुंचे और व्यक्तित्व को पांच व्यापक कारकों में परिभाषित किया। इस मॉडल को OCEAN (अंग्रेजी भाषा के पांचों कारको के नाम के पहले अक्षरों को मिलाकर ये OCEAN शब्द बना है) मॉडल भी कहा जाता है। ये कारक होते हैं: -  
(i)        अनुभवों के लिए खुलापन,
(Ii)       अंतर्विवेकशीलता,
(Iii)      बहिर्मुखता,
(iv)      सहमतिशीलता, और
(v)       तंत्रिकाताप।

व्यक्तित्व कारकों के विशेषक
अ (O)
अं (C)
ब (E)
स (A)
तं (N)
स्वप्न
सामर्थ्य
गर्मजोशी व् प्यार से परिपूर्ण
विश्वास
मूड में बदलाव
सौंदर्यशास्त्री,
आदेश
सामाजिक
स्पष्टवादिता
दुश्चिन्तित
भावुक
कर्तव्यनिष्ठ
मुखर / बोल्ड
परोपकारिता / मानवता
निराशावादी
क्रियाशील
उपलब्धि के लिए उच्च प्रेरणा
कर्मठ
अनुपालन / आज्ञाकारिता
नकारात्मक
विचार
स्व अनुशासन
उत्साही
विनयशीलता
संवेगात्मक रूप से अस्थिर
मूल्य
विवेचना
सकारात्मक संवेग
कोमल मन
तनावग्रस्त

(i)       अनुभवों के लिए खुलापन - इस विशेषक वाले व्यक्ति उत्सुक, कला की सराहना करने वाले, नए विचारों को आजमाने के लिए हरदम तैयार, कल्पनाशील, उत्सुक और नवीनता को खोजने वाले होते हैं। वे अपरंपरागत विचारों का पालन करते हुए रचनात्मक, जोखिम उठाने वाले और अपने लिए नहीं राहें बनाना पसंद करते हैं।
(ii)      अंतर्विवेकशीलता - ऐसे लोग उच्च आत्म-नियंत्रण, आत्म-अनुशासन, अपने आवेगों के प्रति सचेत नियंत्रण, उपलब्धि प्रेरणा पर उच्च प्रदर्शन करने वाले और नियोजित (Planned) व्यवहार में विश्वास करते हैं।
(iiii)     बहिर्मुखता - इस विशेषता वाले व्यक्ति को दूसरों की संगत पसंद होती है, वे ऊर्जा से लबालब होते हैं, अत्यधिक मिलनसार, सामाजिक सक्रियता, कार्रवाई उन्मुख, उत्साही होते हैं और उनके मोबाइल फोन में अपेक्षाकृत बड़ी संख्या में संपर्क नंबर संग्रहीत होते।
(iv)      सहमतिशीलता - सहमतिशीलता एक सामाजिक विशेषक होता है जो समाज के लिए चिंता दर्शाता है। वे दूसरों के साथ आगे बढ़ने के लिए उन्मुख होते हैं, उन पर भरोसा किया जा सकता है, दयालु, विश्वासयोग्य, आशावाद पर उच्च और मानव प्रकृति के बारे में उनका दृष्टिकोण सकारात्मक होता है। दिलचस्प रूप से वे कई बार दूसरों की खातिर अपने हित के साथ समझौता कर लेते हैं। ऐसे लोगों के प्रति आम जनता अटूट विश्वास करती है।
(v)     तंत्रिकाताप - इस विशेषता वाले व्यक्ति का मूड बार-बार और जल्दी जल्दी बदलता है, दुश्चिन्तित, निराशावादी, नकारात्मक विचारों से घिरे हुआ, संवेगात्मक रूप से अस्थिर, उनके लिए तनाव से निपटना मुश्किल होता है और वे आलोचना के लिए कम सहिष्णुता होते हैं।



References:
1.         https://en.wikipedia.org/wiki/Gu%E1%B9%87a.
2.         http://egyankosh.ac.in/bitstream/123456789/ 23532/1/Unit-1.pdf.
3.         https://dictionary.apa.org/surface-trait.
4.         https://en.wikipedia.org/wiki/Big_Five_ personality_traits.


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2 comments:

  1. Ye koi particular book h ya aapke notes hain? Agar book h to plz tell me name of the book....

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