Tuesday, June 1, 2021

परामर्श के विशेष क्षेत्र

 
परिचय

            परामर्श को शुरुआत में

मुवक्किल  को उसके  जीवन में उत्पन्न होने वाली असहनीय  स्थितियों से निपटने में मनोवैज्ञानिक रूप से सशक्त बनाने के लिए तैयार किया गया था। इसके लिए काउंसलर और काउंसली को आमने-सामने बैठकर सकारात्मक विचारधारा  के साथ चर्चा करने की जरूरत होती  है। आमने-सामने बैठकर समस्या समाधान की इस शानदार तरकीब ने एक नए सम्बन्ध को जन्म दिया जिसेसौहार्दपूर्ण म्बन्ध कहा जाता है।  इस तरह के सम्बन्ध  के कारण इस तरकीब ने बहुत सारे अन्य क्षेत्रों में अपनी उपयोगिता साबित की। इन्ही नए क्षेत्रों को परामर्श के विशेष क्षेत्र कहा जाता है।

 Video Link - परामर्श के विशेष क्षेत्र

विशेष क्षेत्र

1.         परिवार समूह परामर्श,

2.         परिवार के लिए परामर्श,

3.         महिलायों के लिए परामर्श,

4.         माता-पिता के लिए परामर्श,

5.         अपराधीयों के लिए परामर्श देना,

6.         अनिच्छुक व्यक्तियों को परामर्श देना,

7.         विवाह परामर्श,

8.         विवाह पूर्व परामर्श,

9.         बच्चों से संबंधित परिवारों को परामर्श,

10.       समाज के कमजोर वर्ग के व्यक्तियों के लिए परामर्श,

11.       नशा करने वालों की काउंसलिंग, और

12.       जीवन कौशल प्रशिक्षक।

 

1.         परिवार समूह परामर्श एक ऐसी परामर्श पद्धति जिसमें 4 से अधिक परिवार शामिल नहीं होते हैं। इस तकनीक में आमतौर पर 8 से 12 सत्रों की आवश्यकता होती है। उपस्थित परिवारों को जीवन में घटने वाली घटनाओं पर चर्चा करने और चुनौतियों से निपटने संबंधित पेचीदगियों को सीखने में मदद मिलती है। इसका लक्ष्य परिवारों के बीच सकारात्मक बातचीत को बढ़ाना होता है।

2.         परिवारों के लिए परामर्श परिवार परामर्श के पीछे उद्देश्य परिवार के सदस्यों के बीच विसंगति के कारण उत्पन्न तनाव को दूर करने के लिए जीवन जीने के एक रूपांतरित तरीके का निर्माण करना होता है। आमतौर पर परिवारों में पुरानी और नई व्यवस्था में असंतुलन के कारण विसंगति उत्पन्न होती है।

3.       माता-पिता के लिए परामर्श – यह तकनीक एक तरह की सोशल इंजीनियरिंग कहलाती है। इसका उद्देश्य माता-पिता को बच्चों के लिए रोल मॉडल के रूप में उनकी भूमिका के बारे में संवेदनशील बनाना होता है। एक बच्चे के प्रति माता-पिता और शिक्षक के दृश्टिकोण में अंतर होता है जो इस तकनीक का  केंद्रीय आधार होता है।

4.       अपचारी (Delinquent) के लिए परामर्शअपचार एक गहरी संवेगात्मक अपरिपक्वता का सूचक होता  है जो ज्यादातर किशोरों में पाया जाता है। यह इस तकनीक का केंद्रीय आधार होता है। तीव्र मनो-शारीरिक विकास के फलस्वरूप किशोरों में मानसिक उथल-पुथल होने लगता है जिसके कारण घबराहट, भविष्य के बारे में अनिश्चितता, नशे की लत और अन्य विकासात्मक समस्याएं उनके व्यवहार में परिवर्तन को प्रेरित करते  हैं। अपचारिता सामाजिक रूप से एक प्रकार का अस्वीकार्य व्यवहार होता है जैसे छोटे अपराध।

6.       अनिच्छुक व्यक्तियों के लिए परामर्श – जो व्यक्ति अपनी स्थिति को मनोवैज्ञानिक रूप से विकार मानने से इनकार करते हैं, वे इस श्रेणी के तहत आते हैं। वे ज्यादातर रेफर किये हुए होते हैं जो इस विषय पर बातचीत करने में  अनिच्छा दर्शाते  हैं। ऐसे लोगों से निपटना सबसे कठिन होता है। आम तौर पर अनिच्छा, विभिन्न प्रकार के असंतोष, दोषपूर्ण विश्वास प्रणाली और दूसरों में विश्वास की कमी के कारण उत्पन्न होते हैं।

7.         विवाह परामर्श इस तरकीब का उपयोग विवाह के बंधन को टूटने से रोकने और वैवाहिक जीवन को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है। वैवाहिक संबंधों में तनाव  कई कारणों से उत्पन्न हो सकता है जैसे, तीसरे पक्ष का हस्तक्षेप, वित्तीय समस्या, पारिवारिक संरचना में परिवर्तन, विश्वास और मूल्य प्रणाली में अंतर, समायोजन, अत्यधिक अपेक्षाएं, आपसी बातचीत और एक दुसरे के लिए सहानुभूति में कमी इत्यादि। दम्पति और उनके आपसी संबंधों के प्रकार विवाह परामर्श तकनीक के केंद्र बिंदु होते हैं। काउंसलर को बदलते परिवेश में शादी के उद्देश्य और उससे सम्बंधित सभी प्रकार की विचारधारा से अच्छी तरह से वाकिफ होना चाहिए।

8.       विवाह पूर्व परामर्श – विवाह पूर्व परामर्श उन मामलों में आयोजित किया जाता है जहां भविष्य में विवाह के बंधन में बांधने वाले लड़की एवं लड़का एक दूसरे को जानते हों । भारतीय संस्कृति में शायद ही कभी इस प्रकार के परामर्श की जरुरत पड़े। भारत में विवाह के समय अधिकांश  जोड़े पूर्ण अजनबी होते हैं।

9.       बच्चों से संबंधित परिवारों को परामर्श अभिभावक-बाल संबंध इस प्रकार की तरकीब के केंद्र बिंदु होते हैं। उम्र बढ़ने के साथ साथ बच्चे अपने माता-पिता पर कम निर्भर होते  जाते हैं और वे चीजों को अपने नजरिए से देखने लगते हैं। जबकि माता-पिता अपने बच्चों से परिवार केआदर्शों और नैतिकता के अनुसार जीने और व्यवहार करने की अपेक्षा करते हैं। कई बार कुछ माता-पिता भी अपने बच्चों से वही बनने की उम्मीद कर बैठते हैं जो वे नहीं बन सके। अलग अलग दृष्टिकोण के कारण रिस्तों में विसंगति पैदा होने लगती है जो संबंधों को तनावपूर्ण बना देती है।

10.       समाज के कमजोर वर्ग के व्यक्तियों के लिए परामर्श भारतीय समाज की विविधता की अपनी एक पहचान है जिसके कुछ फायदे हैं और कुछ नुकशान। सबसे बड़ी कमजोरियों में से एक हैलोगों के बीच सामाजिक-आर्थिक स्थिति में अंतर। इस प्रकार का अन्तर व्यक्ति में हीनता की भावना पैदा करता है जो व्यक्ति को हर क्षेत्र में एक मजबूत रोड़े की तरह काम करता है। काउंसलर इस स्थिति को समझते हुए उसी अनुसार कार्य करना चाहिए और ऐसे लोगों के साथ बहुत ही सावधानी से पेश आना चाहिए।

11.       नशा करने वालों की काउंसलिंगनशीली दवाओं की लत कई कारकों जैसे निराशा, अलगाव, पलायनवाद, उत्तेजना की तलाश, अवास्तविक आकांक्षाओं आदि से उत्पन्न होती है यह मनो-जैविक घटना होती है। दवा या नशे की वस्तु व्यक्ति को केवल अस्थायी राहत प्रदान करती  है। इस तकनीक का केंद्रीय बिंदु यह होता है की व्यसनी को इस बारे में जागरूक करना  की नशा केवल अस्थायी राहत देता है जिसके बाद में बहुत गंभीर परिणाम होते हैं। नशा करने वालों की काउंसलिंग उनके व्यवहार की प्रकृति के कारण चुनौतीपूर्ण कार्य होता है।

 

*******

No comments:

Post a Comment

Yoga Day Meditation at Home