जीवन शैली का अर्थ
यह शब्द अल्फ्रेड एडलर द्वारा प्रतिपादित किया गया था जिसका अर्थ है "एक व्यक्ति का वो मूल चरित्र जिसकी शुरुआत बचपन से ही हो जाती है"। यह समग्र रूप से जीवन के प्रति व्यक्ति की मान्यताओं, विचारों, प्रत्यक्षं, विश्वास और व्यवहार के प्रकार को दर्शाता है। यह तत्कालिक तकनीकी-सामाजिक-सांस्कृतिक वातावरण के सन्दर्भ में स्वयं के प्रति व्यक्ति का दृष्टिकोण होता है।व्यवहार के प्रकार को दर्शाता है। यह तत्कालिक तकनीकी-सामाजिक-सांस्कृतिक वातावरण के सन्दर्भ में स्वयं के प्रति व्यक्ति का दृष्टिकोण होता है।
स्वास्थ्य का अर्थ
स्वास्थ्य एक मानसिक-शारीरिक अवस्था होती है जहाँ व्यक्ति रोग से तो मुक्त होता ही है साथ में संपूर्ण रूप से तंदुरुस्त भी रहता है। यह संवेगात्मक, शारीरिक, सामाजिक और आध्यात्मिक रूप से पूर्ण स्वास्थ्य की स्थिति होती है जो व्यक्ति को आत्म-बोध (Self-actualization)
(अंतिम लक्ष्य - मोक्ष) की और ले जाने में सहायक होती है।
जीवन शैली और स्वास्थ्य के बीच संबंध
जीवन शैली, जीने का तरीका, और स्वास्थ्य मानव व्यवहार के पूरक घटक होते हैं। जीवन शैली और व्यवहार को शारीरिक स्वास्थ्य और शारीरिक बीमारी में महत्वपूर्ण कारक माना जाता है (न्यूमैन, 2004)। जीवन शैली व्यक्ति के स्वास्थ्य के स्तर और गुणवत्ता का द्योतक होता है। जीवन शैली कई कारकों पर निर्भर करती है जैसे, शिक्षा, सामाजिक-आर्थिक स्थिति, भौगोलिक स्थान, आवासीय स्थिति, संस्कृति और समाज इत्यादि।
जीवनशैली स्वस्थ
प्रकार की होने के साथ-साथ अस्वस्थ प्रकार की भी हो सकती है जो की निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करती है: -
(i) उचित पौष्टिक संतुलित आहार,
(ii) नियमित शारीरिक व्यायाम,
(iii) व्यक्तिगत स्वच्छता,
(iv) पर्याप्त नींद,
(v) मानसिक स्वास्थ्य,
(vi) आत्म नियंत्रण, और
(vii) सामाजिक-सांस्कृतिक
वातावरण।
(i) उचित पौष्टिक संतुलित आहार – ऐसे आहार का सेवन जिसमें शरीर को बेहतर ढंग से कार्य करने के लिए आवश्यक लगभग सभी पोषक तत्व होते हैं। इसमें ऐसे खाद्य पदार्थ होने चाहिए जिनमें आनुपातिक वसा, कार्बोहाइड्रेट, चीनी, विटामिन, खनिज और अन्य पोषक तत्व हों। उचित आहार की कमी के कारण शरीर रोग संक्रमण, थकान और ख़राब प्रदर्शन के प्रति संवेदनशील होता है। ऐसे बच्चे जिन्हे सम्पूर्ण आहार नहीं मिल पाता उनमें मनो-शारीरिक वृद्धि, विकास संबंधी समस्याएं तथा शिक्षा में खराब प्रदर्शन आदि अधिक पाए जाने की संभावना होती है।
(ii) नियमित शारीरिक व्यायाम – योगासन, खेल और शारीरिक व्यायाम अच्छे स्वास्थ्य के लिए अच्छे आहार के समान ही महत्वपूर्ण होते हैं। यह व्यक्ति के संपूर्ण स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता में सकारात्मक सुधार करता है। यह दिमाग को स्वस्थ रखता है, ऊर्जा के स्तर को बढ़ाता है, हृदय को स्वस्थ रखता है, संज्ञानात्मक कार्यप्रणाली (स्मृति, अवधान, प्रत्यक्षं) में सुधार करता है, अच्छी नींद का कारण बनता है, प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार करता है, हड्डियों एवं मांसपेशियों को मजबूत करता है और समग्र कार्यात्मकता एवं संरचनात्मक क्षमता को बढ़ाता है। रोजाना 30 मिनट का नियमित व्यायाम स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है।
(iii) व्यक्तिगत स्वच्छता – व्यक्तिगत स्वच्छता स्वस्थ जीवन शैली के सबसे महत्वपूर्ण घटकों में से एक होता है। हम दैनिक जीवन में विभिन्न जीवों के साथ अंतःक्रिया करते हैं, जिससे हमें कई प्रकार के संक्रामक रोगों से ग्रसित होने का खतरा बना रहता है। यह रोगजनकों के आक्रमण के खिलाफ एक ढाल के रूप में काम करता है। व्यक्तिगत स्वच्छता एक प्रकार का व्यवहार होता है जिसमें समय-समय पर बार-बार हाथों का धोना, दांतों एवं मसूड़ों को साफ रखना, स्नान, शरीर और सांस में उत्पन होने वाली दुर्गंध पर नियंत्रण और कुछ समय प्रकृति की गोद में बिताना आदि शामिल होते हैं।
(iv) पर्याप्त नींद – नेशनल स्लीप फाउंडेशन की सलाह है कि व्यक्ति को प्रतिदिन 7-8 घंटे गुणवत्ता पूर्ण नींद लेनी
चाहिए जो अच्छे स्वास्थ्य के लिए सर्वोत्तम होती है। अच्छी नींद मन, शरीर, रक्त वाहिकाओं और मस्तिष्क को प्रफुल्लित, जीवंत और इष्टम स्तर पर रखने में सहायक होती है। यह हार्मोन और प्रतिरक्षा प्रणाली का संतुलन बनाए रखती है जो स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण होता है। नींद की कमी से मोटापा, संज्ञानात्मक कार्य में कमी, हृदय संबंधी बीमारियां, शारीरिक प्रदर्शन में कमी, टाइप-2 मधुमेह, अवसाद आदि हो सकते हैं।
(v) मानसिक स्वास्थ्य – व्यक्ति की मनोवैज्ञानिक और संवेगात्मक स्वास्थ्य एवं व्यवहारिक और संवेगात्मक समायोजन के संतोषजनक स्तर पर कार्य करने की स्थिति। मानसिक स्वास्थ्य का सीधा संबंध शारीरिक स्वास्थ्य से होता है और दोनों ही जीवन शैली पर निर्भर होते हैं। मानसिक स्वास्थ्य व्यक्ति
में संतोष, जीवन में आनंद, दबाव से निपटना, गुणवत्तापूर्ण अंतर्वैयक्तिक संबंध, अनुकूली और समायोजन कौशल, आत्मविश्वास, स्वाभिमान आदि को उत्पन्न करता है जो स्वस्थ जीवन शैली का कारण बनता है।
(vi) आत्म नियंत्रण – आत्म-नियंत्रण किसी अन्य लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपनी इच्छा या आवेग पर काबू पाने की क्षमता को कहा जाता है। आत्म-नियंत्रण एक मनःशास्त्रीय संसाधन (सुरक्षात्मक कारक) होता है जो सम्पूर्ण स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है (हेसमत, 2016)। योग और कई अन्य ध्यान तकनीकें जैसे प्राणायाम, सुदर्शन क्रिया, विपश्यना ध्यान आदि द्वारा आत्म-नियंत्रण प्राप्त किया जा सकता है।व्यवहार नियंत्रण एवं विनियमन के लिए यह महत्वपूर्ण पहलु होता है जो स्वस्थ जीवन शैली बनाए रखने में मदद करता है।
(vii) सामाजिक-सांस्कृतिक वातावरण – सामाजिक-सांस्कृतिक वातावरण का अर्थ उन परिस्थितियों से होता है जिनमें रहकर व्यक्ति विकशित होता है। इसमें सामाजिक-आर्थिक-स्थिति, नस्ल, जातीयता लिंग और लिंग भूमिकाएं, आप्रवासन स्थिति और संस्कृति, गरीबी और अभाव, सामाजिक नेटवर्क और सामाजिक सहयोग, मनो-सामाजिक कार्यस्थल वातावरण, आय का वितरण, सामाजिक सामंजस्य, और सामूहिक प्रभावकारिता (हर्नांडेज़ और ब्लेज़र, 2006) आदि शामिल होते हैं। ये कारक व्यक्ति के लालन-पालन के तरीकों के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए उसी प्रकार की आदतों एवं दृष्टिकोण को विकसित करके स्वास्थ्य और जीवन शैली को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करते हैं।
संदर्भ:
1. https://www.apa.org/monitor/may04/pp.
2. https://www.healthline.com/health/balanced-diet#what-to-eat.
3. https://www.dumblittleman.com/importance-of-personal-hygiene/.
4. https://www.psychologytoday.com/us/blog/science-choice/201607/how-self-control-can-help-you-live-healthier-life.
5. Institute of Medicine (US) Committee on
Assessing Interactions Among Social, Behavioral, and Genetic Factors in Health;
Hernandez LM, Blazer DG, editors. Washington (DC): National Academies Press
(US); 2006.
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