रुग्णता का अर्थ
बीमार होने की स्थिति को रुग्णता कहा जाता है। आयुर्वेद के अनुसार बीमारी तब शुरू होती है जब कोई व्यक्ति पर्यावरण के साथ तालमेल बैठाने में असफल रहता है। जब हम अपनी पांच इंद्रियों में से किसी के भी माध्यम से अपने वातावरण से अनुचित रूप से प्रभावित होते हैं, तो हम एक प्रकार से शरीर को कमजोर करते हैं तथा एक ऐसा आंतरिक वातावरण तैयार करते हैं जो रोग को आमंत्रित करता है। इस वातावरण में बैक्टीरिया, वायरस और अन्य रोगजनक पनपते हैं। इससे मांसपेशियां तनावग्रस्त हो जाती हैं और कशेरुकाओं (vertebra) की कार्य प्रणाली में परिवर्तन हो जाता है जिससे तंत्रिका तंत्र नकारात्मक रूप से प्रभावित होता है। तंत्रिका कार्य में हस्तक्षेप करने वाले को बदल देती हैं। अतः हम कह सकते हैं कि शरीर में ऊर्जा का प्रवाह बाधित हो जाता है और व्यक्ति बीमार हो जाती है (Halpern, M)।
आधुनिक जीवशास्त्र के अनुसार रुग्णता को शरीर या मन की सामान्य स्थिति में गड़बड़ी के रूप में देखा जाता है। विश्व स्तर पर मृत्यु के प्रमुख कारण (WHO, 2019)
1. इस्केमिक (रक्त की बाधित आपूर्ति) हृदय रोग,
2. आघात (स्ट्रोक),
3. फेफड़ों में रूकावट (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज),
4. श्वसन तंत्र के निचले हिस्से में संक्रमण,
5. नवजात
स्थिति (Neonatal),
6. श्वासनली, ब्रोन्कस और फेफड़ों का कैंसर,
7. अल्जाइमर रोग और अन्य मनोभ्रंश,
8. अतिसार के रोग (Diarrheal diseases),
9. मधुमेह, और
10. गुर्दे के रोग।
किसी बीमारी या अनुचित स्थिति के परिणामस्वरूप शारीरिक या मनःशास्त्रीय अवस्था का बाधित होना। जॉन वानमेकर ने कहा, "जो लोग मनोरंजन के लिए समय नहीं निकाल पाते हैं, वे देर - सवेर बीमारी के लिए समय निकालने के लिए बाध्य हो जाते हैं"।
आमतौर पर रुग्णता को निम्नलिखित पांच प्रमुख संरचनात्मक घटकों के रूप में परिभाषित किया जाता है: -
(i) पहचान,
(ii) कारण,
(iii) समय रेखा,
(iv) परिणाम, और
(v) उपचार
(i) पहचान - यह घटक रोग की उपस्थिति की एक निश्चित पहचान का तात्पर्य होता है जो बदले में रुग्णता से सम्बंधित ज्ञान एवं रुग्णता से सम्बंधित संकेत के रूप में कार्य करता है जो व्यक्ति को समय पर मदद लेने की रह प्रशस्त करता है (लाउ एट अल।, 1989)। किसी बीमारी के लक्षण और लेबल)
(ii) कारण - कारण को एटियलजि के रूप में भी जाना जाता है जिसका अर्थ होता है किसी चीज का कारण या उत्पत्ति (रोथमैन एट अल, 2008)।
(iii) समय रेखा – संक्रमण से लेकर बीमारी की शारीरिक अभिव्यक्ति के क्रमिक विकास को समयावधि या समय रेखा कहा जाता है।
(iv) परिणाम – रुग्णता के सन्दर्भ में किसी व्यक्ति की आंतरिक कार्यात्मक क्षमता के संशोधन को परिणाम कहा जाता है।
(v) उपचार – रुग्णता के उपचार के बाद की मनो-शारीरिक स्थिति जहां बीमारी के लक्षण और संकेत विलुप्त हो जाते हैं। "उपचार" शब्द का अर्थ है कि, इलाज के बाद, रोगी की अब वह विशेष स्थिति नहीं रह जाती जो पहले थी (डॉशेन, 2018)।
सन्दर्भ:
1.
http://www.ayurvedacollege.com/articles/drhalpern/Cause_Cure_Disease.
2. https://kidshealth.org/en/teens/curable.html.
3.
https://www.cdc.gov/OPHSS/CSELS/DSEPD/SS1978/Lesson1/Section9.html# TXT118.
4. Rothman, Kenneth J.; Greenland, Sander;
Poole, Charles; Lash, Timothy L. (2008). "Causation and Causal
Inference". Modern Epidemiology (Third ed.). Philadelphia: Lippincott
Williams & Wilkins. pp. 6–7. ISBN 978-0-7817-5564-1.
*******
No comments:
Post a Comment