स्वास्थ्य मनःशास्त्र की परिभाषा
जोसेफ मटरज्जो (1980) के अनुसार, "स्वास्थ्य मनःशास्त्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और उसे बनाए रखने, बीमारी की रोकथाम और उपचार के लिए मनःशास्त्र के विशिष्ट शैक्षिक, वैज्ञानिक और व्यावसायिक योगदान का कुल योग होता है, इसके साथ यह स्वास्थ्य और संबंधित बीमारी के एटिऑलॉजिकल डायग्नोस्टिक सहसंबंधों की पहचान करने और स्वास्थ्य प्रणाली के विश्लेषण एवं स्वास्थ्य नीति निर्माण के सुधार में योगदान देने वाली मनःशास्त्र की विद्याशाखा को स्वास्थ्य मनःशास्त्र कहते हैं”।
अर्थ
स्वास्थ्य मनःशास्त्र ने 1978 में अपनी स्वतंत्रा का डंका बजा दिया था। यह विद्याशाखा बीमारी के विकास, रोकथाम और उपचार में मनःशास्त्रीय कारकों की भूमिका पर केंद्रित होती है। यह स्वास्थ्य और बीमारी में मनःशास्त्रीय और व्यवहारिक प्रक्रियाओं का अध्ययन करने के साथ-साथ यह विषय से भी संबंधित होती है कि मनःशास्त्रीय, व्यवहारिक और सांस्कृतिक कारक शारीरिक स्वास्थ्य में कैसे योगदान देते हैं।
इसके अध्ययन के दायरे में दबाव और उससे निपटना, मनःशास्त्रीय कारकों एवं
शारीरिक स्वास्थ्य के बीच संबंध, रोगी-चिकित्सक-संबंध और स्वास्थ्य में वृद्धि करने वाले कारकों को बढ़ावा देने के तरीके आदि शामिल होते हैं। स्वास्थ्य मनःशास्त्र के अध्ययन का केंद्र बिंदु शारीरिक रुग्णता को मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों के दृष्टिकोण से समझना होता है। यह एक अंतःविषय क्षेत्र है जो व्यवहारिक मानशास्त्र के अध्ययन क्षेत्र में आता है।
स्वास्थ्य मनःशास्त्र स्वास्थ्य को समझने और उसका अध्ययन करने के लिए जैव-मनःशास्त्रीय-सामाजिक दृष्टिकोण को अपनाता है। यह शाखा मानती है कि स्वास्थ्य केवल जैविक प्रक्रियाओं (जैसे, एक वायरस, ट्यूमर, आदि) का ही परिणाम नहीं होता है, बल्कि मनःशास्त्रीय अवधारणाओं (जैसे, विचार और विश्वास), व्यवहार (जैसे, आदतें), और सामाजिक प्रक्रियाओं (जैसे, सामाजिक आर्थिक स्थिति, जातीयता आदि) का भी स्वास्थ्य में उतना ही योगदान होता है जितना जैविक प्रक्रियाओं का होता है। (ओग्डेन, 2012)।
कार्लसन एवं उनके सहयोगियों के अनुसार। "स्वास्थ्य मनःशास्त्र, मनःशास्त्र की वह शाखा होती है जो स्वास्थ्य और बीमारी को समझने के लिए मनःशास्त्रीय सिद्धांतों का प्रयोग करती है।"
स्वास्थ्य
मनःशास्त्र के
कुछ महत्वपूर्ण
उपक्षेत्र: -
1. नैदानिक स्वास्थ्य मनःशास्त्र (Clinical Health Psychology)
2. सार्वजनिक स्वास्थ्य मनःशास्त्र (Public Health Psychology)
3.सामुदायिक स्वास्थ्य मनःशास्त्र (Community Health Psychology)
4. समालोचनात्मक स्वास्थ्य मनःशास्त्र (Critical Health Psychology)
1. नैदानिक स्वास्थ्य मनःशास्त्र (Clinical Health Psychology) – इस उपक्षेत्र में स्वास्थ्य मनःशास्त्र में हुए अनुसन्धान से प्राप्त ज्ञान को नैदानिक समस्याओं के लिए अनुप्रयोग किया जाता है। नैदानिक प्रक्रिया के अंतर्गत शिक्षा, व्यवहार परिवर्तन की तकनीक और मनोचिकित्सा आदि शामिल होते हैं।
2. सार्वजनिक स्वास्थ्य मनःशास्त्र (Public Health Psychology) – यह उपक्षेत्र जनसंख्या उन्मुख होता है और इसका उद्देश्य बेहतर सार्वजनिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए जनसंख्या स्तर पर मनोसामाजिक कारकों और स्वास्थ्य के बीच संभावित कारण संबंधों की जांच करना होता है।
3. सामुदायिक स्वास्थ्य मनःशास्त्र (Community Health Psychology) – यह उपक्षेत्र उन सामुदायिक कारकों की जांच करता है जो समुदायों में रहने वाले व्यक्तियों के स्वास्थ्य और कल्याण में योगदान देते हैं। इनके साथ-साथ इस उपक्षेत्र में सामुदायिक स्तर के ऐसे हस्तक्षेप भी विकसित किये जाते हैं जो बीमारी से निपटने और शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में कारगर साबित होते हैं।
4. समालोचनात्मक स्वास्थ्य मनःशास्त्र (Critical
Health Psychology) – यह क्षेत्र शक्ति के वितरण और स्वास्थ्य, व्यवहार, स्वास्थ्य देखभाल योजनाओं और स्वास्थ्य नीति पर शक्ति अंतर के प्रभाव से संबंधित होता है। यह सभी जातियों, लिंगों, उम्र और सामाजिक आर्थिक स्थिति के लोगों के लिए सामाजिक न्याय और स्वास्थ्य के सार्वभौमिक अधिकार को प्राथमिकता देता है। इसका प्रमुख उद्देश्य स्वास्थ्य असमानताओं को पाटना होता है (wikipedia.com) है।
संदर्भ:
1. Ogden,
J. (2012). Health Psychology: A Textbook (5th ed.). Maidenhead, UK: Open University
Press.
2.
https://en.wikipedia.org/wiki/Health_psychology#cite_note-Ogden,_J._2012-2.
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