सामान्य प्रकार
1. शैक्षिक मार्गदर्शन –
शैक्षिक मार्गदर्शन को उस मार्गदर्शन के उस रूप में परिभाषित किया जाता है जिसे एक
छात्र को विषयों के चयन और जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए शैक्षिक
जीवन के दौरान चाहिए होता है।
2. व्यावसायिक मार्गदर्शन – व्यावसायिक माहौल में व्यक्ति की ताकत और कमजोरियों
के बारे में जागरूक करना और व्यवसाय चुनने के लिए व्यक्ति को सहायता प्रदान करना व्यावसायिक
मार्गदर्शन कहलाता है। दूसरे शब्दों में, व्यावसायिक मार्गदर्शन व्यक्तियों या लोगों
को व्यावसायिक विकल्पों, विकास, समायोजन और परिपक्वता से संबंधित समस्याओं का सामना
करने में मदद करने की एक प्रक्रिया होती है।
3. व्यक्तिगत मार्गदर्शन –
किसी व्यक्ति को उसकी समायोजन सम्बन्धी चुनौतियों से निपटने के लिए दिया गया मार्गदर्शन
व्यक्तिगत मार्गदर्शन कहलाता है। दूसरे शब्दों में यह भावनात्मक, सामाजिक, नैतिक और
स्वास्थ्य सम्बन्धी चुनौतियों से निपटने के लिए व्यक्ति को दी जाने वाली एक प्रकार
की सहायता होती है। यह जीवन को सही परिप्रेक्ष्य में समझने के लिए दी गई मौखिक और लिखित
सहायता भी हो सकती है।
गीता
और मार्गदर्शन
1. आसक्ति, भय तथा क्रोध से मुक्त रहना
(2.56)
2. नियत कर्म करो, क्योंकि कर्म न करने की अपेक्षा
कर्म करना श्रेष्ठ है (3.8)
3. कर्मफल में आसक्त हुए बिना निरन्तर कर्म करना
(3.19)
4. नियत कर्म करने में तत्पर रहना (3.22)
5. अनासक्त रहकर कार्य करना (3.25)
6. अपना कर्तव्य करना चाहे वह दोषपूर्ण हो बजाय
दूसरों का अनुसरण करना (3.35)
7. आत्म-साक्षात्कार और संयमित मन सफलता का ध्रुव
होता है (6.36)
8. कर्म से,
ज्ञान से,
तपस्या से,
अर्थात सभी प्रकार से योगी बनना
(6.46)
Myerrs ने मार्गदर्शन के आठ प्रकार सुझाए हैं
1. व्यावसायिक मार्गदर्शन,
2. शैक्षिक मार्गदर्शन,
3. मनोरंजन संबंधी मार्गदर्शन,
4. नागरिक मार्गदर्शन,
5. सामुदायिक सेवा मार्गदर्शन,
6. सामाजिक और नैतिक मार्गदर्शन,
7. स्वास्थ्य मार्गदर्शन, और
8. नेतृत्व मार्गदर्शन।
Proctor
द्वारा मार्गदर्शन के प्रकार
1. व्यावसायिक मार्गदर्शन,
2. शैक्षिक मार्गदर्शन,
3. सामाजिक और नागरिक गतिविधियों में मार्गदर्शन,
4. स्वास्थ्य और शारीरिक गतिविधियों में मार्गदर्शन,
5. फुर्सत के सुयोग्य उपयोग में मार्गदर्शन,
और
6. चरित्र निर्माण की गतिविधियों में मार्गदर्शन।
Paterson द्वारा मार्गदर्शन के प्रकार
1. व्यावसायिक मार्गदर्शन,
2. शैक्षिक मार्गदर्शन,
3. व्यक्तिगत,
4. स्वास्थ्य, और
5. आर्थिक।
विधि
के आधार पर मार्गदर्शन
1. समूह मार्गदर्शन – समूह मार्गदर्शन उन चुनौतियों
से निपटने में मदद करना होता जिनका आम-तौर पर सभी लोग अपने जीवन में सामना करते हैं।
2. व्यक्तिगत मार्गदर्शन – जीवन के हर क्षेत्र
में आने वाली चुनौतियों से निपटने में एक व्यक्ति की मदद करना व्यक्तिगत मार्गदर्शन कहलाता है।
संदर्भ:
1. Rao, S. N. (2004). Counselling and
Guidance. New Delhi: Tata McGraw-Hill.
2. https://www.slideshare.net/reynel89/types-of-guidance.
3. http://www.yourarticlelibrary.com/education/guidance/guidance-types-top-3-types-of-guidance-explained/63673.
4. https://work.chron.com/objectives-group-guidance-2682.html.
5. http://srimadbhagavadgitahindi.blogspot.
com/2013/07/3-3-35-bg-3-35-bhagavad-gita-as-it-is.html.
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