Tuesday, June 1, 2021

मार्गदर्शन के सिद्धांत

 परिचय


           सिद्धांत एक मौलिक सत्य या प्रस्ताव होते हैं जो विश्वास या व्यवहार की एक प्रणाली या तर्क की श्रृंखला के लिए आधार के रूप में कार्य करते हैं। असल में सिद्धांत किसी भी विषय की एक दार्शनिक रूपरेखा तय करते हैं जिसके भीतर रहकर ही उस विषय से संबंधित कार्यक्रम आयोजित किए जाते  हैं जिसके परिणामस्वरूप उस विषय की गतिविधियाँ विकसित  होती हैं।

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मार्गदर्शन के सिद्धांत

          हॉलिस और हॉलिस ने सुझाया है कि एक अच्छा ‘मार्गदर्शन कार्यक्रम आठ सिद्धांतों पर आधारित होता है।

1.        व्यक्ति की गरिमा सर्वोच्च होती है।

2.        प्रत्येक व्यक्ति अद्वितीय होता है।

3.        मार्गदर्शन की मुख्य दिलचस्पी व्यक्ति और उसका सामाजिक माहौल में होती है।

4.        व्यक्ति का दृष्टिकोण और उस की व्यक्तिगत धारणाएं वह आधार होती हैं जिनके अनुसार वह हर कार्य को अंजाम देता है।

5.        व्यक्ति आमतौर पर अपने कथित ‘स्व’ को बेहतर करने के लिए कार्य करता है।

6.        व्यक्ति के पास सीखने की जन्मजात क्षमता होती है और उसे विकल्प चुनने में मदद देने से वह सामाजिक उन्नति के अनुरूप आत्म-दिशा तय करने में सक्षम हो सकता है।

7.        व्यक्ति को बचपन से लेकर वयस्कता निरंतर मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है अर्थात यह एक

सतत प्रक्रिया होती है।

8.        जीवन में प्रत्येक व्यक्ति को किसी-न-किसी मोड़ पर सक्षम पेशेवर व्यक्ति द्वारा दी गई जानकारी और व्यक्तिगत सहायता की आवश्यकता पड़ती है।

 

References:

1.       Rao, S. N. (2004). Counseling and Guidance. New Delhi: Tata McGraw-Hill.

2.       https://www.scribd.com/doc/24154671/Basic-Principles-on-Guidance-and-Counseling.

 

 

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