Saturday, June 4, 2022

सांख्यिकी: एक परिचय भाग 1

कुछ उद्धरण


सांख्यिकी का स्पष्ट रूप से परिभाषित उद्देश्य होना चाहिए जिसका एक पहलू वैज्ञानिक प्रगति और दूसरा, मानव कल्याण और राष्ट्रीय विकास है" - पी सी महालनोबिस

"सांख्यिकी विज्ञान का व्याकरण होता है" - कार्ल पियर्सन

"तथ्य जिद्दी और आंकड़े लचीले होते हैं" - मार्क ट्वेन

 

परिभाषा         

"सांख्यिकी गणित की वह  शाखा होती है जो गणना डेटा सम्बंधित होने के साथ-साथ में मीट्रिक डेटा से उसके सम्बन्ध की भी व्याख्या करती है" (गिलफोर्ड और फ्रूचर, 1978)

"गणितीय प्रक्रियाओं का इस्तेमाल करते हुए डेटा का वर्णन करने और उनसे निष्कर्ष  निकालने या अनुमान लगाने की प्रक्रिया को सांख्यिकी कहा जाता है" (बैरन, 1993)

 

मनःशास्त्र के विधयर्थियों को सांख्यिकी का अध्ययन करने की आवश्यकता क्यों होती है?

मानव व्यवहार की गतिशील प्रकृति और अनिश्चितता के कारण मनःशास्त्र  के शोधकर्ताओं के लिए विशुद्ध रूप से प्रयोगशाला में वस्तुनिष्ठ प्रयोग करना बेहद मुश्किल होता है। इस विषय को समझने के लिए मनःशास्त्री को मानव व्यवहार की वस्तुनिष्ठ व्याख्या और उससे सम्बंधित भविष्यवाणी करने की आवश्यकता होती है। इसके लिए वे पहले नियंत्रित वातावरण में अध्ययन करते हैं  उसके बाद जो डाटा प्राप्त होता है उस पर विभिन प्रकार के कठोर सांख्यिकीय तरीकों का इस्तेमाल करके किसी निष्कर्ष पर पहुँचते हैं जिनके आधार पर किसी घटना के घटने की सम्भावना का अनुमान लगाते हैं। और  इन सबके लिए सांख्यिकी के अध्ययन की आवश्यकता होती है।

          जैसा कि गिलफोर्ड और फ्रूचर (1978) ने ठीक ही टिप्पणी की थी कि सांख्यिकीय विधियां वैज्ञानिक प्रयोगों साथ स्थाई रूप से सम्बंधित होते हैं  और निश्चित रूप से मनःशास्त्रियों से भी। कुछ अन्य कारण: -

(i)        उन्नत शोध रिपोर्टों को पढ़ने और समझने के लिए।

(ii)       एक शोधकर्ता होने के नाते।

(iii)      सांख्यिकी कारण संबंधों को खोजने में मदद करती है जो की मनःशास्त्र शोध की आधारशीला होती हैं।

(iv)      साख्यिकी को विश्लेषणात्मक, तर्क और आलोचनात्मक तरह के चिंतन विकसित करने के लिए जाना जाता है।

सांख्यिकी भारतीय ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य से

          सांख्यिकी का मूल उद्देश्य संख्याओं और संख्यात्मक विश्लेषण की सहायता से वास्तविकता का निश्चित और पर्याप्त ज्ञान देना होता है। हमारे पास स्पष्ट प्रमाण हैं कि भारत में प्रशासनिक सांख्यिकी 300 .पू. से पहले संगठन की उच्च अवस्था तक पहुँच चुकी थी। कौटिल्य के अर्थशास्त्र में ... गोप के कर्तव्य (ग्राम लेखाकार) - गाँवों की सीमाएँ स्थापित करना, खेती, असिंचित, मैदानी, आर्द्र भूमि, उद्यान, वनस्पति उद्यान,  के रूप में जमीन के भूखंडों की संख्या का आकलन, देवताओं के मंदिर, सिंचाई कार्य, श्मशान घाट, भोजन गृह (सत्र), वे स्थान जहाँ यात्रियों (प्रपा), तीर्थ स्थलों और  चरागाहों को मुफ्त में पानी की आपूर्ति की जाती थी और इस तरह विभिन्न गाँवों की सीमाएँ तय करना। इसके अलावा उसके कर्तव्यों में खेतों, जंगलों और सड़कों की,  उपहारों, बिक्री, दान, और खेतों के संबंध में करों की छूट को पंजीकृत करना शामिल थे (पीसी माहालनोबिस)।

 

परिचय

          सांख्यिकी पेशेवर प्रशिक्षण का अनिवार्य हिस्सा होना चाहिए क्योंकि यह शोधकर्ताओं को परिणामों को एक सार्थक और सुविधाजनक रूप में सारांशित करने में सक्षम बनाता है (गिलफोर्ड और फ्रूचर, 1978) सांख्यिकी शोधकर्ता को प्रक्रियाओं के मानकीकरण, डेटा और कारण-कारकों के विश्लेषण, परिणामों को सारांशित करने, परिणामों के सामान्यीकरण और भविष्यवाणी करने में मदद करती है। सामाजिक विज्ञानों और मनःशास्त्र में विभिन्न सांख्यिकीय तकनीकों जैसे केंद्रीय प्रवृत्तियां, सहसंबंध, प्रतिगमन, विचरण का विश्लेषण आदि का भरपूर उपयोग किया जाता है।

            ये सभी अर्थात (केंद्रीय प्रवृत्तियां, सहसंबंध, प्रतिगमन, विचरण का विश्लेषण आदि) तभी प्राप्त होते हैं जब हमारे पास डेटा वर्गीकृत  हो।  क्योंकि डेटा सांख्यिकीय प्रक्रियाओं एवं तकनीकों के लिए कच्चे माल के रूप में प्रयोग होता है।  डेटा को पहले विभिन्न श्रेणियों जैसे आवृत्तियों, प्रतिशत, अनुपात में व्यवस्थित किया जाता है।

(i)        आवृत्तियाँ - एक विशिष्ट श्रेणी में वस्तुओं या घटनाओं की संख्या।

(ii)       प्रतिशत - एक प्रकार का गणितीय सूचकांक, जिसका आधार 100 होता है।

(iii)      समानुपात - यह 1 का भाग या अंश होता है और प्रतिशत का 1/𝟏𝟎𝟎 वां हिस्सा या प्रतिशत, समानुपात का 100 गुना होता है। इसका आधार 1 होता है।

(iv)      अनुपात - अनुपात एक भिन्न (फ्रैक्शन) होता है अर्थात m से n का अनुपात 𝒎/𝒏 होता है। इसका भी आधार 1 ही होता है। अनुपात संपूर्ण का अंश होने के साथ-साथ स्वयं भी एक भाग या हिस्सा होता है। जबकि समानुपात सम्पूर्ण का हिस्सा होता है। समानुपात एक विशेष अनुपात होता है।

सांख्यिकी के प्रकार

1.         गैर-प्रचालिक सांख्यिकी - ऐसे सांख्यिकीय परीक्षण जो डेटा के सामान्य वितरण या किसी अन्य धारणा पर आधारित नहीं होते हैं, उन्हें वितरण-मुक्त परीक्षण के रूप में भी जाना जाता है और डेटा को आमतौर पर रैंक या समूहीकृत किया जाता है।

2.         प्रचालिक सांख्यिकी - सांख्यिकीय परीक्षण जो डेटा के सामान्य वितरण की मान्यताओं पर आधारित होते हैं।  पैरामीट्रिक परीक्षणों में आम तौर पर डेटा निरपेक्ष होने के साथ साथ  संख्या में  होता है।

 

संदर्भ:

Guilford, J. P. and Fruchter, B. (1978). Fundamental Statistics in Psychology and Education, 6th             ed. Tokyo: McGraw-Hill.

https://todayinsci.com/M/Mahalanobis_Prasanta/ MahalanobisPrasanta-Quotations.htm.

Garrett, H. E. (2014). Statistics in Psychology and Education. New Delhi: Pragon International.

Levin, J. & Fox, J. A. (2006). Elementary Statistics. New Delhi: Pearson.

 

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