Saturday, June 4, 2022

प्रत्यक्षदर्शी स्मृति

 Gita on Memory


क्रोधाद्भवति सम्मोहः सम्मोहात्स्मृतिविभ्रमः।

स्मृतिभ्रंशाद्बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति। 2.63

क्रोध से मोह उत्पन्न होता है और मोह से स्मरणशक्ति (Memory) विभ्रमित हो जाती है। जब स्मरणशक्ति भ्रमित हो जाती है, तो बुद्धि का नाश हो जाता है और बुद्धि नष्ट होने पर मनुष्य में मनुष्यता का नाश हो जाता है।

 

अर्थ एवं अवधारणा

एक ऐसी गतिशील मस्तिष्क प्रणाली जिसमें एन्कोडिंग [प्रसंस्करण], भंडारण और प्रत्याह्वान जैसे तत्व शामिल होते हैं को आमतौर पर स्मृति के रूप में जाना जाता है। स्मृति बरसात के मौसम में बादलों की तरह होती है जहां वे अपने साथ पानी (मूल सामग्री) रखते तो हैं लेकिन हर क्षण अपना आकार बदलते रहते हैं। स्मृति के साथ भी लगभग ऐसा ही होता  है। गतिशीलता स्मृति में विकृति का मुख्य कारण है (स्टेनबर्ग और स्टेनबर्ग, 2012)। स्कैटर (2001) ने स्मृति विकृतियों को खामियों के रूप में वर्णित किया है।

और उनमे से कुछ खामियां हैं जैसे क्षणभंगुरता, अनुपस्थिति, अवरोधन, गलतफहमी, सुझाव, और पूर्वाग्रह। वास्तव में ये विकृतियाँ कई बार तो परेशानी का सबब होती हैं लेकिन बहुत बार वरदान भी साबित होती हैं। व्यक्तिगत और गैर-व्यक्तिगत दोनों प्रकार की घटनाओं की स्मृति रचनात्मक होती है। रचनात्मक का अर्थ है कि जो कुछ साक्षी द्वारा कहा गया है वह वास्तव में वह नहीं है जो देखा और सुना गया था, बल्कि उससे कहीं अधिक है। स्मृति कई कारकों से प्रभावित होती है जैसे कि पूर्व अनुभव, घटना संबंधी सुझाव, घटना के बाद की जानकारी, अवधारणात्मक कारक आदि (सोलसो, 2006)

व्यक्ति को बिना पता लगे ही स्मृति लगातार अपने आप ही संशोधित होती रहती है। स्मृति में विकृति, घटना के बाद की भ्रामक जानकारी द्वारा मूल जानकारी के विस्थापन के कारण होती है जिससे जरुरत पड़ने पर मूल जानकारी का प्रत्याह्वान करना मुश्किल हो जाता है। मूल जानकारी का प्रत्याह्वान करने में पूर्वव्यापी हस्तक्षेप भी एक अड़चन का काम करता है। एलिजाबेथ लॉफ्टस के अध्ययन से पहले प्रत्यक्षदर्शी स्मृति (ईएम) को न्यायिक प्रणाली द्वारा सटीक और ठोस सबूत माना जाता था। वास्तव में इसे सूचना का महत्वपूर्ण अंश माना जाता था। अदालतों में अधिकांश साक्ष्य (भौतिक और जैविक) परिस्थितिजन्य होते हैं, प्रत्यक्षदर्शी पहचान साक्ष्य अपराध का एकमात्र प्रत्यक्ष प्रमाण होता है।

            प्रत्यक्षदर्शी स्मृति, दोषसिद्धि, सजा और यहां तक ​​कि फांसी का फैसला करने की क्षमता रखती है। लेकिन लॉफ्टस के प्रयोगों से पता चला कि स्मृति कमजोर होती है जिससे इसमें विकृति, निर्माण और पुनर्निर्माण की संभावना अधिक होती है। इसके निम्नलिखित संभव कारण होते हैं: -

(i)        सरल निष्कर्ष - प्रारंभिक चरण में घटना के बारे में निष्कर्ष बाद के प्रत्याह्वान को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करते हैं।

(ii)       रूढियुक्तियाँ -  समूह या व्यक्तियों के बारे में जानकारी विशिष्ट रूढ़ियों के अंतर्गत संग्रहीत की जाती है जो सूचना के भंडारण और प्रत्याह्वान को विकृत करती है।

(iii) स्कीमा - बाहरी पर्यावरणीय उद्दीपकों के बारे में एक प्रकार का मानसिक मानचित्र या धारणाएँ। वे एक

तरह के अनुभव के आधार पर मन के प्रोग्राम होते हैं। नई जानकारी की इन स्कीमाओं से प्रभावित होने की संभावना होती  है जिससे स्मृति में विकृति हो सकती है।

(iv)      प्रारंभिक प्रक्रिया के दौरान एन्कोडिंग में त्रुटि।

(v)       उद्दीपकों की प्रकृति (नयापन, संवेग उत्तेजक, विचित्र उद्दीपक जल्दी ध्यान आकर्षित करती हैं)

(vi)      पूर्व ज्ञान, अपेक्षाएं, पुनर्निर्माण और निगमनात्मक प्रक्रियाएं।

 

परिभाषा

किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा किसी अपराध या हिंसा के दृश्य के बारे में प्रत्याह्वान करना, जो स्वयं घटना  का साक्षी या चश्मदीद रहा हो, सामान्य रूप से प्रत्यक्षदर्शी स्मृति कहलाती है।

 

सूचना विकृति से निपटने की  कुछ रणनीतियाँ

 (i)       घटना के बाद गलत सूचना के प्रसार और प्रचार से पहले मूल जानकारी के बारे में एक सार्वजनिक सूचना का प्रसार।

(ii)       घटना के बाद आने वाली गलत सूचना के बारे में 'गवाह' को चेतावनी स्मृति विकृति को रोकने में योगदान देती है।

(iii)      यदि घटना के बाद की गलत सूचना की प्रकृति मूल जानकारी से एकदम उल्टी हो तो भी विकृति होने की संभावना कम होती है।

 

References:

Banaji, M. R., & Bhaskar, R. (1999). Implicit stereotypes and memory: The bounded rationality of social beliefs. In D. L. Schachter & E. Scarry (Eds.) Memory, brain and belief. Cambridge, MA: Harvard University Press.

Clifford, B. R., & Hollin, C. R. (1981). Effects of the type of incident and the number of perpetrators on eyewitness memory. Journal of Applied Psychology, 66(3), 364–370. https://doi.org/10.1037/0021-9010.66.3.364.

Lahey, B. B. (2007). Psychology An introduction. McGraw Hill.

Pansky, A., & Nemets, E. (2012). Enhancing the quantity and accuracy of eyewitness memory via initial memory testing. Journal of Applied Research in Memory and Cognition, 1(1), 2–10. doi:10.1016/j.jarmac.2011.06.001

Shapira, A. A., & Pansky, A. (2019). Cognitive and metacognitive determinants of eyewitness memory accuracy over time. Metacognition and Learning. doi:10.1007/s11409-019-09206-7

सिंह, . के. (2014). उच्चतर सामान्य मनोविज्ञान: मोतीलाल बनारसीदास

 

 

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