Wednesday, June 15, 2022

संगठनात्मक मनोविज्ञान का विकास

 ऐतिहासिक परिचय    


          संगठनात्मक मनोविज्ञान संगठनात्मक सेट अप में मानव व्यवहार का अध्ययन करता है। संगठनात्मक मनोविज्ञान का मुख्य लक्ष्य इष्टतम उत्पादन के साथ कर्मचारियों की संतुष्ट होती है। संगठनात्मक मनोविज्ञान की शुरुआत बीसवीं सदी के प्रारंभिक दशक में हुई थी इसलिए इसका इतिहास अपेक्षाकृत छोटा है।

 

          1903 में वाल्टर डिल स्कॉट (The Theory of Advertising) और 1910 में ह्यूगो मस्टरबर्ग द्वारा प्रकाशित दो पुस्तकों (Psychology and Industrial Efficiency) को संगठनात्मक मनोविज्ञान का प्रारंभिक बिंदु माना जाता है। स्कॉट ने व्यापार में एप्लाइड मनोविज्ञान के योगदान पर  प्रकाश डाला है जबकि मस्टरबर्ग ने कार्य के लिए उपयुक्त मानसिक क्षमताओं वाले व्यक्तियों के चयन पर  प्रकाश डाला है।

          प्रथम विश्व युद्ध ने संगठनात्मक मनोविज्ञान की आवश्यकता के द्वार खोल दिए। इस युद्ध के दौरान बड़ी संख्या में सैनिक कई स्थानों पर तैनात किये गये थे। संगठनात्मक मनोवैज्ञानिकों को भर्तियों के लिए सैनिकों का मनोवैज्ञानिक आकलन करके उनको तदनुसार स्थानन के लिए नियोजित किया गया था। उनके मूल्यांकन के लिए अल्फा (साक्षर लोगों के लिए) और बीटा (निरक्षर लोगों के लिए) नामक दो परीक्षणों का उपयोग किया गया था।

 

          थॉमस एडिसन जैसे महान वैज्ञानिक भी मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन के महत्व को समझते थे जिसके फलस्वरूप उन्होंने 150 – प्रश्नों वाले एक परीक्षण का आयोजन किया था। इस आयोजन में लगभग 900 लोगों ने आवेदन किया था जिसको केवल 45 (5%) लोग ही उत्तीर्ण कर पाए थे। आज संगठनात्मक मनोविज्ञान ने विविध क्षेत्रों में अपनी उपयोगिता को साबित कर दिया है।      

 

          गिल्बर्ट दंपति प्रमुख वैज्ञानिक थे जिन्होंने संगठनात्मक मनोविज्ञान के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। उन्होंने गतियों का अध्ययन करके उत्पादकता में सुधार और कर्मचारियों की थकान को कम करने सम्बन्धी अनुसंधान किये।20वीं सदी के तीसरे दशक (1930) में संगठनात्मक मनोविज्ञान का व्यापक विस्तार हुआ।

         

          हॉथोर्न अध्ययन (At Hawthorne plant of Western Electric Company, Chicago) ने मनोवैज्ञानिकों को काम के माहौल की गुणवत्ता और कर्मचारियों के दृष्टिकोण का अध्ययन करने के लिए प्रेरित किया। हॉथोर्न अध्ययन का प्रमुख योगदान यह था कि इसने मनोवैज्ञानिकों को कार्यस्थल पर मानवीय संबंध तथा कर्मचारियों के दृष्टिकोण के प्रभाव का पता लगाने के लिए प्रेरित किया (ओल्सन, वर्ले, सैंटोस और सालास, 2004)।

 

          मानव संसाधन प्रबंधन के उभरते क्षेत्र ने कर्मचारियों के निष्पक्ष चयन तकनीकों को विकसित करने के लिए मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों को अपनाया। 1960 के दशक में प्रबंधकों के लिए संवेदनशीलता प्रशिक्षण और टी-ग्रुप (प्रयोगशाला प्रशिक्षण समूह) का भरपूर उपयोग हुआ। “Beyond Freedom and Dignity” नामक पुस्तक में बी एफ स्किनर (1971) ने संगठनों में कर्मचारियों के व्यवहार में परिवर्तन के लिए इसके इस्तेमाल की वकालत की है। 80 और 90 के दशकों में संगठनात्मक मनोविज्ञान में चार महत्वपूर्ण बदलाव हुए।

 

(1)      सांख्यिकीय तकनीकों और विश्लेषण के तरीकों का बढ़ता उपयोग,

(2)      उद्योग के लिए संज्ञानात्मक मनोविज्ञान के अनुप्रयोग में रुचि,

(3)      पारिवारिक जीवन और फुर्सत की गतिविधियों पर कार्य का प्रभाव, और

(4)      नौकरी के लिए उपयुक्त व्यक्तियों का चयन।

 

          21वीं सदी के पहले दशक में विकसित हुई कंप्यूटर प्रौद्योगिकी ने ओ पी के प्रतिमानों में तेजी से बदलाव किया। अविश्वसनीय गति और सटीकता के साथ कंप्यूटर का उपयोग परीक्षणों के लिया किया गया। मशीनों के बेहतर डिजाइन और उन्हें मनुष्यों के अनुकूल बनाने तथा उनके स्वचालन में कंप्यूटर एवं ओ पी का साँझा इस्तेमाल किया गया। कर्मचारियों को ई-मॉड्यूल के माध्यम से प्रशिक्षित किया गया जिसे बिजली की गति से होने वाले संचार ने मुमकिन बनाया।

 

References:

1.         Aamodt, M. G. (2010). Industrial/ Organizational Psychology: An applied approach. Belmont: Wadsworth.

2.         http://oxfordre.com/psychology/view/10.1093/ acrefore/9780190236557.001.0001/acrefore-9780190236557-e-39.

3.         https://www.apa.org/ed/graduate/specialize/ industrial.

4.         http://ijar.org.in/stuff/issues/v4-i1(1)/v4-i1(1)-a013.pdf.

 

 

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संगठनात्मक मनोविज्ञान के उद्देश्य

 परिचय


          संगठनात्मक मनोविज्ञान संगठनात्मक ढांचे के अंतर्गत मानव व्यवहार का अध्ययन करता है। हर संगठन के कुछ-न-कुछ उद्देश्यों होते हैं। इसलिए, संगठनों में कार्यरत हर व्यक्ति से संगठन के लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में पूरी लगन से काम करने की अपेक्षा की जाती है। किसी भी प्रकार के संगठन में मनुष्यों की उपस्थिति मनोविज्ञान के अध्ययन की आवश्यकता पर बल देती है। इस संदर्भ में ही संगठनात्मक मनोविज्ञान अस्तित्व में आया जिसके कारण ही इसके सामान्य उद्देश्यों का निर्धारण किया।

मुख्य उद्देश्य:

1.        उत्पादकता में वृद्धि,

2.        कर्मचारियों की संतुष्टि,

3.        उपयुक्त व्यक्तियों का चयन,

4.        नेतृत्व और आपसी टकराव का समाधान,

5.        उचित टीम का विकास और प्रबंधन,

6.        कर्मचारियों का मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य,

7.        कार्य परिवेश की अनुकूल स्थिति का विकास,

8.        संगठन में मानवतावादी दृष्टिकोण,

9.        मनोवैज्ञानिक विशेषताओं का आकलन, एवं

10.      कार्य का विश्लेषण और मूल्यांकन।

उद्देश्यों का दायरा

1.        टीम और सामूहिक कार्य,

2.        नेतृत्व,

3.        निर्णय लेने की प्रक्रिया,

4.        प्रबंधन और श्रमिकों के बीच समन्वय,

5.        कार्यस्थल का माहौल,

6.        नौकरी से संतुष्टि और उसके प्रति रवैया,

7.        पेशे से संबंधित नैतिकता,

8.        कार्य प्रेरणा, और

          9.        नियुक्ति और चयन।

उद्देश्यों का दायरा

1.       टीम और सामूहिक कार्य: टीम के सदस्यों के उच्च संतुष्टि स्तर को सुनिश्चित करने और संगठनात्मक लक्ष्यों एवं उद्देश्यों को पूरा करने के लिए लगभग एक जैसे स्वभाव वाले सदस्यों की उपयुक्त टीम का निर्माण करना और टीम में एकजुटता बनाये रखना।

2.       नेतृत्व: संगठन के नेता के लिए उन व्यक्तियों का चुनाव करना जिनमे नेतृत्व संबंधी गुण हों ताकि संगठन को एक बेहतर नेतृत्व मिल सके।

3.       निर्णय लेने की प्रक्रिया: श्रेष्ठम निर्णय पर पहुंचने के लिए सभी संभव विकल्पों को खोजने में मदद करना।

4.       प्रबंधन और श्रमिकों के बीच समन्वय: एक संगठन के सभी पक्षों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंधों को बनाए रखने के लिए अनुकूल माहौल का निर्माण करना।

5.       कार्यस्थल का वातावरण: कार्यस्थल के माहौल को बेहतर बनाने के लिए उचित सूचना महत्वपूर्ण होती है जिसका सीधा असर संगठन की उत्पादन क्षमता पर पड़ता है।

6.       नौकरी से संतुष्टि और उसके प्रति रवैया: यह सुनिश्चित करता है की कर्मचारी उच्च स्तर की संतुष्टि का अनुभव करे जो अनुकूल माहौल और संगठन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखने में मदद करता है।  

7.       पेशे से संबंधित नैतिकता: यह प्रयास करता है कि कर्मचारी संगठनात्मक दिशानिर्देशों की सीमा के भीतर रहते हुए पेशेवर नैतिकता का पालन करें। पेशेवर नैतिकता संगठनात्मक सद्भावना (goodwill) के मापदंडों में से एक होती है।

8.       कार्य प्रेरणा: यह सुनिश्चित करने के लिए कि कर्मचारी अपने काम के प्रति प्रेरित रहें, प्रेरणा से संबंधित विभिन्न मनोवैज्ञानिक तकनीकों का प्रयोग किया जाता है।

9.       नियुक्ति और चयन: ओ पी कर्मचारियों कि नियुक्ति संबंधित उपयुक्त दिशानिर्देश विकसित करने के साथ-साथ नियुक्ति प्रक्रिया में भी मदद करता है।

                                                           

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संगठनात्मक मनोविज्ञान की प्रकृति व क्षेत्र

 परिचय 


      

          संगठनात्मक/औद्योगिक मनोविज्ञान कार्यस्थल पर मानव व्यवहार का अध्ययन करने के लिए एक अंतःविषय दृष्टिकोण है। संगठनात्मक व्यवहार का अध्ययन और विश्लेषण करने के लिए लिए संगठनात्मक/औद्योगिक मनोविज्ञान समाजशास्त्र और एंथ्रोपोलॉजी जैसे विषयों से उचित ज्ञान को एकीकृत और उसे व्यवहार में लाने का प्रयास करता है।

 

अर्थ

          कार्यस्थल और संगठनों के मनोविज्ञान संबंधी वैज्ञानिक अध्ययन को संगठनात्मक मनोविज्ञान कहा जाता है।

 

परिभाषा      

          फ़ेरहम (2005) के अनुसार, "संगठनात्मक मनोविज्ञान किसी भी संगठन में व्यक्ति के व्यवहार का अध्ययन होता है, यह छोटे और बड़े समूहों और संगठन के साथ भी संबंधित होता है क्योंकि यह व्यक्ति पर सार्थक प्रभाव डालता है"।

          “औद्योगिक/संगठनात्मक मनोविज्ञान (I/O मनोविज्ञान) व्यावहारिक मनोविज्ञान का एक ऐसा क्षेत्र है जो कार्यस्थल पर मनोविज्ञान के मूलभूत वैज्ञानिक सिद्धांतों को लागू करता है ताकि कार्य को अधिक सुखद और उत्पादक बनाया जा सके” (study.com).

प्रकृति

          औद्योगिक/संगठनात्मक मनोविज्ञान में विविध प्रकार के विषयों का समावेश होता है क्योंकि कार्य और संगठन की प्रकृति हमेशा गतिशील होती है जो समय के साथ-साथ  विकसित होती रहती है। यह कार्यस्थल पर पायी जाने वाली मनोवैज्ञानिक कार्यप्रणाली पर केंद्रित होती है जिसमें मानव व्यवहार से संबंधित कुछ पहलुओं जैसे कि स्थिति, संबद्धता, उपलब्धि, शक्ति और धन आदि का अध्ययन किया जाता है। ओ पी (Organizational Psychology) का मूल केंद्र उस मौलिक समझ पर आधारित होता है जिसका औद्योगिक और संगठनात्मक संदर्भ में आने वाली समस्याओं को हल करने के लिए किया जाता है। मानव व्यवहार में निहित व्यक्तिगत भिन्नताओं के कारण ओ पी की आवश्यकता होती है। विभिन्न प्रकृतियों व स्वभाव के लोगों के बीच समन्वय स्थापित करना ही औद्योगिक और संगठनात्मक मनोविज्ञान का अध्ययन क्षेत्र होता है। यह परोक्ष रूप से संगठनों और उनकी संरचनाओं से संबंधित होता है। जिस प्रकार संगठन गतिशील होते हैं ठीक उसी प्रकार ओ पी का अध्ययन भी गतिशील होता है जिसे प्रासंगिक रहने के लिए संगठनों के साथ चलना व बदलना होता है।       

          यह कोई पृथक अध्ययन क्षेत्र नहीं होता है, बल्कि संगठनात्मक ताने बाने पर केंद्रित एक अंतःविषय क्षेत्र होता है। कोई भी संगठन समाजीकरण और सामाजिक प्रभाव का महत्वपूर्ण स्रोत होता है। ये दो पहलू यानि ‘समाजीकरण और सामाजिक प्रभाव’ सामाजिक शिक्षा को प्रभावित करते हैं जो कार्य स्थल के वातावरण को संवारने का काम करती है। ओ पी का ध्येय कर्मचारियों को खुश और संतुष्ट रखते हुए उत्पादकता में लगातार सुधार करना होता है। व्यक्ति को ‘माइक्रो’ कार्य को ‘मेसो’ और संगठन को ‘मैक्रो’ (कोज़लोस्की, 2012) कहा जाता है।

 

क्षेत्र

1.        उद्योग और संगठन।

2.        ऐसे संस्थान जहां लोगों का समूह काम करता है।

3.        वाणिज्य और व्यावसायिक संस्थान।

4.        टीमों और नेतृत्व निर्माण सम्बन्धी कार्यक्रम।

5.        कार्य संगत व्यक्तियों की नियुक्ति के लिए मॉड्यूल का विकास करना।

6.        कार्यस्थल वातावरण का विकास करना जहाँ विभिन्न स्वभाव के लोग काम करते हो।

7.        पेशेवर आचार संहिता का विकास जहां व्यक्ति पेशेवर आवश्यकताओं के अनुसार निर्णय ले सके।

                                                           

 References:

1.         Kozlowski, W. J. S (2012). The Oxford Handbook of Organizational Psychology.

2.         NCERT, XI Psychology Text book.

3.         https://study.com/academy/lesson/what-is-industrial-organizational-psychology-definition-history-topics.html.

 

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मनोविज्ञान में कैरियर संभावनाएं

 परिचय 


          आधुनिक समय में मनोविज्ञान विषय की सबसे अधिक मांग है। इसका प्रमुख कारण मानव जीवन के लगभग हर पहलू में इसकी सार्थक उपयोगिता है। मनोविज्ञान वैज्ञानिक दृष्टिकोण का अनुसरण करता है जो अनुसन्धान के सभी आवश्यक चरणों जैसे परिकल्पना का निर्माण, परिकल्पना का परीक्षण, नियंत्रण, वस्तुनिष्ठ डेटा संग्रह, डेटा विश्लेषण, निष्कर्ष, परिणामों की प्रतिकृति, भविष्यवाणी आदि का अनुसरण करता है। हर वो क्षेत्र जिसमे मानव शामिल है मनोविज्ञान शामिल है। इसलिए, मनोविज्ञान का दायरा तेजी से बढ़ रहा है। और इसके साथ बढ़ रही हैं मनोविज्ञान  में कैरियर की संभावनाएं।

 

कैरियर विकल्प:

1.        शिक्षा,

2.        परामर्श और मार्गदर्शन,

3.        क्लीनिकल,

4.        उद्योग,

5.        कानूनी और अपराध क्षेत्र,

6.        सामाजिक,

7.        सैन्य,

8.        खेल,

9.        मनोचिकित्सक,

10.      साइकोमेट्रिक्स, और

11.      फोरेंसिक।

1.       शिक्षा - एमए, एमएससी, एम फिल, पीएचडी, नेट के बाद स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में शिक्षक।

2.       परामर्श और मार्गदर्शन - ‘बातचीत से समाधान’ के माध्यम से व्यक्तिगत, सामाजिक, शैक्षिक, वैवाहिक, व्यावसायिक समस्याओं को हल करना। वे माता-पिता, शिक्षकों और छात्रों के साथ काम करते हैं, शिक्षा को बढ़ावा देते हैं, स्कूल से संबंधित समस्याओं का समाधान करते हैं और एक सुरक्षित शैक्षिक वातावरण को बढ़ावा देते हैं।

3.       नैदानिक (क्लीनिकल) - नैदानिक ​​मनोवैज्ञानिक मानसिक विकारों को रोकने, निदान और उपचार करने के लिए काम करते हैं। इन मनोवैज्ञानिकों के आमतौर पर अपने क्लिनिक होते हैं जहाँ वे मानसिक रोगियों के नैदानिक ​​ परीक्षण करते हैं। वे विशेष रोगियों के लिए उपचार के सर्वोत्तम दिशा निर्देश निर्धारित करने के लिए डॉक्टरों के साथ भी काम करते हैं।

6.       सामाजिक – सामाजिक मनोवैज्ञानिक समाज में व्यवहार की प्रवृत्तियों की जांच करते हैं। उनके शोध का उपयोग नेतृत्व, समूह व्यवहार और दृष्टिकोण नियंत्रण पर सलाह देने के लिए किया जाता है। वे सिस्टम डिज़ाइन और विज्ञापनों को प्रभावित करने के लिए अपने निष्कर्षों का भी उपयोग करते हैं।

7.       सैन्य सेवा – सैन्य मनोवैज्ञानिक सैन्य कर्मियों के मानसिक विकारों के मूल्यांकन, निदान और उपचार पर जोर देते हैं और चिकित्सीय सेवाएं प्रदान करते हैं, जैसे कि परामर्श, प्रशिक्षण और मनोचिकित्सा कार्यक्रम जैसे मादक द्रव्यों के सेवन से संबंधित शिक्षा। सैन्य मनोवैज्ञानिक शोध भी करते हैं और पता लगाते हैं कि विभिन्न व्यक्तित्व प्रकार युद्ध के लिए कितने अनुकूल हैं, पीटीएसडी के उपचार में सुधार कैसे करें, या तनाव से निपटने में सैन्य कर्मियों की मदद कैसे करें इत्यादि।

4.       उद्योग – औद्योगिक-संगठनात्मक मनोवैज्ञानिक उच्च गुणवत्ता वाले कार्य वातावरण को बनाए रखने के उद्योगों में काम करते हैं। पेशे के दौरान कर्मचारियों के साथ किसी भी समस्या के बारे में उनकी मदद करना, आवेदकों की स्क्रीनिंग और नए पेशेवरों को प्रशिक्षित करना शामिल होता है।

5.       कानूनी और अपराध क्षेत्र – कानूनी मनोवैज्ञानिक साक्षात्कार का आयोजन करते हैं या आपराधिक या नागरिक आरोपों का सामना करने वाले व्यक्तियों को मनोवैज्ञानिक परीक्षण करते हैं। वे निष्पक्ष और संतुलित निर्माण के लिए कानून प्रवर्तन जांच में जूरी सलाहकार के रूप में काम करने में मदद करने के लिए गवाहों के साथ काम कर सकते हैं। वे कानूनी प्रणाली में सुधार करने के लिए अनुसंधान करते हैं।

8.       खेल – खेल मनोवैज्ञानिक खिलाडियों के खेल निष्पादन को बढ़ाने के लिए उनकीमदद करते हैं, विभिन्न मानसिक रणनीतियों जैसे दृश्य, आत्म-चर्चा और विश्राम तकनीक को विकसित करते हैं, जो खिलाडियों की मानसिकबाधाओं को दूर करने और उनकी पूर्ण क्षमता प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे ‘प्रतिस्पर्ध-दुश्चिंता’ से निपटने में खिलाडियों की मदद करते हैं। वे फिटनेस काउंसलर की भूमिका भी निभाते हैं।

9.       मनोचिकित्सक – वे मनोचिकित्सा उपचार की की विधियों (क्लाइंट-केंद्रित थेरेपी, म्यूज़िक थेरेपी, सीबीटी, एक्ज़िस्टेंशियल थेरेपी, गेस्टाल्ट थेरेपी, ह्युमनिस्टिक थेरेपी, इंटरपर्सनल थेरेपी, रेशनल इमोशनल बिहेवियरल थेरेपी आदि।) के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं, संवेगात्मक चुनौतियों और विभिन्न मनोवैज्ञानिक विकारों से व्यक्ति को उभारने में मदद करते हैं। वे रोगियों, या व्यक्तियों को उनके उन संवेगों को समझने में सक्षम बनाने का प्रयास करते हैं, और जो उन्हें चिंतित या उदास करने के कारण बनते हैं।

10.     साइकोमेट्रिक्स – मनोवैज्ञानिक साइकोमेट्रिक्स में मनोवैज्ञानिक मापन के सिद्धांत और तकनीक का अध्ययन करते हैं, जिसमें ज्ञान, क्षमता, दृष्टिकोण व्यक्तित्व इत्यादि का वैज्ञानिक तरीके से मापन होता है। यह शाखा मुख्य रूप से व्यक्तियों के बीच अंतर के अध्ययन से संबंधित होता है।

11.     फोरेंसिक – फोरेंसिक मनोवैज्ञानिक कानून-प्रवर्तन कर्मियों के साथ काम करते हैं और विभिन्न कानूनी मामलों के विशेषज्ञों के रूप में कार्य करते हैं। विशेष कार्यों में योग्यता का आकलन करना, बाल गवाहों के साथ काम करना और मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन करना शामिल होता है।

References:

1.         https://study.com/psychologist.html.

2.         NCERT, XI Psychology Text book.

3.         https://www.apa.org/topics/law/index.aspx.

4.         https://www.psychologyschoolguide.net/psychology-careers/military-psychologist/.

5.         https://www.psychologyschoolguide.net/psychology-careers/military-psychologist/

6.         https://www.apa.org/helpcenter/sport-psychologists.aspx

 

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व्यावहारिक मनोविज्ञान के क्षेत्र

 परिचय


          जिस दिन से विल्हेल्म वुंट ने 1879 में पहली मनोविज्ञान प्रयोगशाला स्थापित की थी तब से आज तक मनोविज्ञान एक लंबा सफर तय कर चुका है। इसकी शुरुआत कार्यात्मकवाद, मनोविश्लेषणवाद, संरचनावाद, व्यवहारवाद, मानवतावाद आदि मतों के विकास के साथ हुई और इस दौरान विभिन्न मनोचिकित्सा प्रणालियों का भी विकास किया गया। मानव ने अपने जीवन के लगभग हर पहलू में मनोविज्ञान की महत्ता को समझ लिया है। इस तरह मनोविज्ञान के सिद्धांत विभिन्न क्षेत्रों जैसे स्वास्थ्य, नैदानिक, शिक्षा, खेल, राजनीति, अर्थशास्त्र, उद्योग और संगठनों, परामर्श, फोरेंसिक आदि में उपयोग किए जाने लगे हैं।

 

1.       संज्ञानात्मक मनोविज्ञान – यह क्षेत्र उन मानसिक प्रक्रियाओं से संबंधित होता है जो पर्यावरण से प्राप्त सूचनाओं को अजि॔त, भंडारण, हेरफेर, और परिवर्तन करने के साथ-साथ उनका प्रयोग एवं उनको प्रेषित करता है। कुछ प्रमुख संज्ञानात्मक प्रक्रियाएं जैसे अवधान, प्रत्यक्षण, स्मृति, तर्क, समस्या समाधान, निर्णय लेने की प्रक्रिया और भाषा इत्यादि।

2.       जैविक मनोविज्ञान – मनोविज्ञान की यह शाखा व्यवहार और शारीरिक प्रणाली के बीच के संबंध पर केंद्रित होती है, जिसमें मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र, प्रतिरक्षा प्रणाली और आनुवांशिकी शामिल होते हैं। जैविक मनोवैज्ञानिक अक्सर न्यूरोसाइंटिस्ट, जूलॉजिस्ट और एंथ्रोपोलॉजिस्ट के साथ मिलकर अनुसन्धान करते हैं।

3.       तंत्रिका मनोविज्ञान – यह क्षेत्र व्यवहार तथा संबंधित मानसिक कार्यों में न्यूरोट्रांसमीटर या रासायनिक पदार्थों की भूमिका का अध्ययन करता है जो मस्तिष्क के विभिन्न क्षेत्रों में तंत्रिका संचार के लिए जिम्मेदार होते हैं।

4.       अन्तःसंस्कृति और सांस्कृतिक मनोविज्ञान – यह क्षेत्र मानव व्यवहार, विचार और भावना को समझने में संस्कृति की भूमिका का अध्ययन करता है। इसका मत है कि मानव व्यवहार न केवल मानव-जैविक क्षमता का प्रतिबिंब है, बल्कि संस्कृति का एक उत्पाद भी है।

5.       पर्यावरण मनोविज्ञान – यह क्षेत्र मानव व्यवहार पर तापमान, आर्द्रता, प्रदूषण और प्राकृतिक आपदाओं जैसे भौतिक कारकों की अंतःक्रिया का अध्ययन करता है। स्वास्थ्य पर कार्यस्थल की शारीरिक व्यवस्था के प्रभाव, संवेगात्मक स्थिति और पारस्परिक संबंधों का भी अध्ययन किया जाता है।

6.       विकासात्मक मनोविज्ञान – यह क्षेत्र विभिन्न आयु और अवस्थाओं में होने वाले शारीरिक, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक परिवर्तन जो गर्भाधान से लेकर बुढ़ापे तक होते है का अध्ययन करता है। विकासात्मक मनोवैज्ञानिक यह जानने की कोशिश करते हैं कि हम व्यवहारिक रूप से ऐसे क्यों हैं।

7.       सामाजिक मनोविज्ञान – यह क्षेत्र ये पता लगाता है कि लोग अपने सामाजिक वातावरण से कैसे प्रभावित होते हैं, लोग दूसरों के बारे में क्या और क्यों सोचते हैं और उनसे कैसे प्रभावित होते हैं। सामाजिक मनोवैज्ञानिक अभिवृत्ति, अनुरूपता और आज्ञाकारिता, पारस्परिक आकर्षण, पूर्वाग्रह, आक्रामकता, सामाजिक प्रेरणा, अंतर-समूह संबंध आदि विषयों के अध्ययन में रुचि रखते हैं।

8.       स्वास्थ्य मनोविज्ञान – यह क्षेत्र शारीरिक बीमारी के विकास, रोकथाम और उपचार में मनोवैज्ञानिक कारकों (उदाहरण के लिए, तनाव, दुश्चिंता) की भूमिका के अध्ययन पर केंद्रित होता है।

9.       नैदानिक ​​और परामर्श मनोविज्ञान – यह क्षेत्र विभिन्न प्रकार के मनोवैज्ञानिक विकारों के कारणों, उपचार और रोकथाम से संबंधित होता है जैसे कि दुश्चिंता, अवसाद, भोजन सम्बन्धी विकार इत्यादि। इसी से संबंधित एक दूसरा क्षेत्र ‘परामर्श’ होता है, जिसका उद्देश्य लोगों के दैनिक जीवन में समस्याओं को हल करने और चुनौतीपूर्ण स्थितियों के साथ अधिक प्रभावी ढंग से सामना करने में मदद करके रोजमर्रा के कामकाज में सुधार करना होता है।

10.     औद्योगिक / संगठनात्मक मनोविज्ञान – यह क्षेत्र कार्यस्थल पर होने वाले व्यवहार से संबंधित होता है जो श्रमिकों और उन्हें रोजगार देने वाले संगठनों पर केंद्रित होता है। औद्योगिक/संगठनात्मक मनोवैज्ञानिक कर्मचारियों के आपसी संबंधों, उनके काम की स्थिति में सुधार, और कर्मचारियों के चयन के लिए मानदंड विकसित करते हैं।

11.     शैक्षिक मनोविज्ञान – यह क्षेत्र इन विषयों का अध्ययन करता है कि सभी उम्र के लोग किस प्रकार सीखते हैं। शैक्षिक मनोवैज्ञानिक मुख्य रूप से शिक्षण और कार्य स्थल पर लोगों को प्रशिक्षित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले निर्देशात्मक तरीकों और सामग्रियों को विकसित करने में मदद करते हैं। वे शिक्षा, परामर्श और सीखने सम्बन्धी समस्याओं के अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

12.     खेल मनोविज्ञान – यह क्षेत्र खिलाड़ियों की प्रेरणा को बढ़ाकर और उनको मानसिक रूप से स्वस्थ बनाकर उनके खेल प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों का प्रयोग करते हैं। खेल मनोविज्ञान अपेक्षाकृत एक नया क्षेत्र है, लेकिन दुनिया भर में इसका व्यापक प्रयोग हो रहा है।

13.     मनोविज्ञान की अन्य उभरती शाखाएँ – मनोविज्ञान के अनुसंधान और अनुप्रयोग पर अंतःविषय ध्यान केंद्रित करने के लिए विमानन मनोविज्ञान, अंतरिक्ष मनोविज्ञान, सैन्य मनोविज्ञान, फोरेंसिक मनोविज्ञान, ग्रामीण मनोविज्ञान, इंजीनियरिंग मनोविज्ञान, प्रबंधकीय मनोविज्ञान, सामुदायिक मनोविज्ञान, राजनीतिक मनोविज्ञान जैसे विभिन्न क्षेत्रों का उदय हुआ है।

 

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व्यावहारिक मनोविज्ञान का इतिहास

          

लगभग 5152 वर्ष पहले पारंपरिक चंद्र कैलेंडर के अनुसार मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष के 11 वें दिन (नवंबर - दिसंबर) यानि मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन गीता का उपदेश दिया गया था जो व्यावहारिक मनोविज्ञान का एक अद्भुत उदाहरण है। केवल अपने विचारों के माध्यम से श्री कृष्ण ने अर्जुन के सभी भ्रम दूर कर दिए थे और उसे मानसिक रूप से अपना कर्तव्य निभाने के लिए तैयार कर लिया था।

 

आधुनिक व्यावहारिक मनोविज्ञान के संस्थापक       

          ह्यूगो मस्टरबर्ग को आधुनिक व्यवहारिक मनोविज्ञान का संस्थापक माना जाता है।

 

इतिहास

          अरस्तु और प्लेटो से लेकर पेस्टलोजी, फ्रांसिस गाल्टन, विलियम स्टर्न, थोरंडाइक, वॉलटर स्कॉट और फिर ह्यूगो मस्टरबर्ग ने शिक्षा एवं जीवन में मनोविज्ञान की भूमिका पर प्रकाश डाला है। इस दौरान कई महत्वपूर्ण पुस्तकों जैसे “The soul of child” (William Thierry Preyer, 1892); “Teachers handbook of Psychology” (James Sully, 1886); “Witness Testimony” (William Stern, 1910); Educational Psychology (E. L. Thorndike, 1903); “Psychology and Industrial Efficiency” (Musterberg, 1913) इत्यादि प्रकाशित की गई जिनमें मनोविज्ञान की व्यावहारिकता पर प्रकाश डाला गया।

 

          इस दौरान कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों का निर्माण हुआ जिन्होंने इस विषय को लोगों के करीब लाने में अपनी भूमिका  निभाई। कुछ पत्रिकाएँ भी शुरू की गई जिन्होंने नये नये अनुसंधानों एवं सिद्धांतों तक आम  लोगों की पहुंच बनाई। “Psychological Clinic, Journal of applied Psychology, Association of Consulting Psychologists, American Association of Applied Psychology इत्यादि। मनोविज्ञान को व्यावहारिकता में लाने के लिए 1921 में टरमन द्वारा जीनियस स्टडी आरम्भ की गई और हरमैन रोशा द्वारा रोशा स्याही धब्बा टेस्ट का निर्माण किया गया। 1925 में मनोविज्ञान ने सेना में अपनी उपयोगिता साबित की। वॉटसन ने व्यवहारवाद की शुरुआत की और दिखाया कि वातावरण का व्यक्तित्व पर सार्थक प्रभाव पड़ता है। 1928 में मार्गरेट मीड ने साबित किया कि सामाजिक कारकों में परिवर्तन करके बच्चों के व्यवहार में परिवर्तन किया जा सकता है। 1938 में मरे एवं मॉर्गन ने TAT का निर्माण किया। मनोविज्ञान का प्रयोग लगभग हर क्षेत्र में होने लगा, उदाहरण के लिए शिक्षा, नैदानिक, सैन्य, स्वास्थ्य आदि। इसके बाद तो मनोविज्ञान का विस्तार तेजी से हुआ। 1979 में एलिज़ाबेथ लोफ्टुस ने चश्मदीद गवाह की रचना की जिसके कारण मनोविज्ञान न्यायिक प्रणाली में अपनी जगह बनाने में सफल हुआ जिसके फलस्वरूप फोरेंसिक मनोविज्ञान का जन्म हुआ और उसे मान्यता प्राप्त हुई। इसके बाद तो मनोविज्ञान ने आर्थिक क्षेत्र, राजनितिक, समाज, संगठनात्मक एवं खेल में भी अपनी उपयोगिता साबित की। इस प्रकार मनोविज्ञान एक लंबा सफर तय करके आज के आधुनिक युग तक पहुँच चुका जहां यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विकास में भी अपना योगदान दे रहा है।

 

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व्यावहारिक मनोविज्ञान का अर्थ

 व्यावहारिक मनोविज्ञान का अर्थ


          दैनिक जीवन में मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों और नियमों का अनुप्रयोग।

          अनुप्रयुक्त या व्यावहारिक मनोविज्ञान वह क्षेत्र है जो मनोविज्ञान के सिद्धांतों पर केंद्रित होता है एवं उनका अध्ययन करता है। व्यावहारिक मनोविज्ञान अमूर्त सिद्धांतों और प्रयोगशाला आधारित प्रयोगों का वास्तविक दुनिया के परिणामों के परिप्रेक्ष्य में अध्ययन करता है। यह शास्त्र मूर्त परिणामों को प्राप्त करने के लिए मनोविज्ञान के सिद्धांतों की पुष्टि करने का प्रयास करता है। मौलिक मनोविज्ञान ज्ञान और प्रयोग के विस्तार के लिए गहरे एवं सूक्ष्म ज्ञान की तलाश करता है जबकि व्यावहारिक मनोविज्ञान अर्जित ज्ञान को वास्तविक जीवन में उपयोग पर केंद्रित होता है।

 

परिभाषा

          हेनरी इलियट के अनुसार “यह मनोविज्ञान की ऐसी शाखा है जिसमें शुद्ध और विशेषकर प्रायोगिक मनोविज्ञान की विधियों एवं परिणामों को व्यहारिक समस्याओं और व्यवहारिक जीवन पर प्रयोग करने का प्रयास किया जाता है”

 

उद्देश्य

          व्यावहारिक मनोविज्ञान मानव के व्यावहारिक पक्ष से संबंधित होता है जिसमे असल जीवन की व्यावहारिक समस्याओं का अध्ययन किया जाता है। इसके साथ-साथ यह मानव आचरण में वांछनीय परिवर्तन लाने में सहायक होता है। और व्यवहार से सम्बंधित समस्याओं का समाधान करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। व्यावहारिक मनोविज्ञान का उद्देश्य व्यक्ति की विभिन गतिविधियों का वर्णन, भविष्यवाणी तथा नियंत्रण करना होता है। जिसके फलस्वरूप व्यक्ति अपने जीवन को बुद्धिमता पूर्ण ढंग से समझ सके और अपने आस-पास के वातावरण (मनोवैज्ञानिक, सामाजिक एवं प्राकृतिक) के साथ सफलतापूर्वक अंतःक्रिया कर सके।

 

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Development of Organizational Psychology

Historical Introduction


            The organisational psychology deals with human behaviour in organizational set up. The ultimate goal of Organisational psychology is fully satisfied employees with optimal production.

            The organizational psychology was born in the initial decade of 20th century therefore is relatively younger. The two books published by Walter Dill Scott in 1903 (The Theory of Advertising) and Hugo Munsterberg in 1910 (Psychology and Industrial Efficiency) is known to be considered as starting point of organizational psychology. Scott applied psychology to business while Munsterberg talked about hiring right people for job who have desired mental abilities.

            The two books published by Walter Dill Scott in 1903 (The Theory of Advertising) and Hugo Munsterberg in 1910 (Psychology and Industrial Efficiency) is known to be considered as starting point of organizational psychology. Scott applied psychology to business while Munsterberg talked about hiring right people for job who have desired mental abilities.

            The break out of World War I opened the floodgates for organizational psychology. The large numbers of soldiers were positioned at several locations. Organizational psychologists were employed to assess recruits and place them accordingly. They were assessed using Alpha (for literate) and Beta (for illiterate) tests. Thomas Edison was quick to understand the importance of psychological assessment and consequently organized a 150-item knowledge test. Almost 900 people applied only 45 (5%) could go through. Organizational psychology started to take deep roots in diverse fields.

            Gilbreth couple were the prominent scientists who contribute in the development of organizational psychology. They focused to improve productivity and reduce fatigue by studying the motions used by workers. In the third decade of 20th century 1930s, organizational psychology expanded its scope.

            The Hawthorne studies (At Hawthorne plant of Western Electric Company, Chicago) prompted psychologists to study the quality of the work environment and attitude of employees. The major contribution of the Hawthorne studies was that it inspired psychologists to increase their focus on human relations in the workplace and to explore the effects of employee attitudes (Olson, Verley, Santos, & Salas, 2004). The emerging field of Human Resource Management adopted psychological practices for developing fair selection techniques. The 1960s were characterized by the use of sensitivity training and T-groups (laboratory training groups) for managers.

            B. F. Skinner’s (1971) in “Beyond Freedom and Dignity” advocated the use of behaviour-modification techniques in organizations.

            The decades of 80s and 90s witnessed four major changes in Organizational psychology.

(1)       Increased use of statistical techniques and methods of analysis,

(2)       Emerged interest in the application of cognitive psychology to industry,

(3)       The effects of work on family life and leisure activities

(4)       Recruitment and selection of right people for the job.

            The development of cognitive ability tests, personality tests, and other psychological tests proved to major contributors in development of organizational psychology.  It effected organizations in several aspects such as better working environments, ergonomics, focus on gender issues, diversity of workforce, psychological traits of individuals, mental health of employees etc. The first decade of 21st century changed the paradigms of OP with exponential growth in computer technology. Computers were used in administration of tests with unbelievable speed and accuracy. It has been used in automation and better designs of machines to suit the human beings. Employees were trained through e-modules a communication was at its best with lightning speed.

 

References:

1.         Aamodt, M. G. (2010). Industrial/ Organizational Psychology: An applied approach. Belmont: Wadsworth. 

 

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Objectives of Organizational Psychology

 


Introduction

            The organisational psychology deals with human behaviour in organizational set up. Organizations have certain objectives to achieve. Hence, the workforce employed in organizations is expected to work to achieve the organizational goals. The presence of humans in organizations necessitates the role of psychology. In this context the organizational psychology came into existence and devised its own general objectives.

 

Main Objectives:

1.         Enhance Productivity,

2.         Satisfaction of Employees,

3.         Hiring the Right People,

4.         Leadership and Conflict Resolution,

5.         Team Development and Management,

6.         Psychological Health of Employees,

7.         Conducive Working Conditions,

8.         Humanistic Approach,

9.         Assessment of Psychological Traits, and

10.       Job Analysis and Evaluation.

 

Scope of Objectives

1.         Team and team work,

2.         Leadership,

3.         Decision making,

4.         Coordination among management and workers,

5.         Work place environment,

6.         Job satisfaction and attitude,

7.         Professional ethics,

8.         Work motivation, and

9.         Recruitment & selection.

 

1.         Team and team work - Building appropriate team of people with matching temperaments to ensure high satisfaction level of team members and meet organizational goals/objectives.

2.         Leadership - To select the individuals with leadership traits to provide best leaders to the organization.

3.         Decision making - Helps in finding best possible alternatives to arrive at optimal decisions.

4.         Coordination among management and workers - Maintains cordial relations among all wings of an organization to have conducive work environment.

5.         Work place environment - Provides inputs to improve the work place environment which has direct bearing on the production capacity of an organization.

6.         Job satisfaction and attitude - It ensures that employees have high level of job satisfaction while maintaining favourable attitude towards organization.

7.         Professional ethics - It strives that employees stick to professional ethics within the limits of organizational guidelines. Professional ethics are on of the parameters of organizational goodwill.

8.         Work motivation - It ensures that employees remain motivated towards their work various psychological techniques are employed.

9.         Recruitment and selection - The OP develops recruitment guidelines and help in selection of employees with appropriate traits.

 

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Nature & Scope of Organizational Psychology

 Introduction 


            Organizational Psychology is an interdisciplinary approach to study human behaviour at work. It integrates the relevant knowledge drawn from other disciplines like psychology, sociology and anthropology to make them applicable for studying and analysing organizational behaviour.

 

Meaning

            The application of theories, principles and laws of basic psychological science in the work settings in industry and organizations to improve their productivity without putting excessive strain on human workforce.

 

Definition

            According to Furnham, 2005, “OP is the study of the individual in the organization, it is also concerned with small and large groups and the organisation as a whole as it impacts on the individual”.

            “Industrial/organization psychology (I/O Psychology) is a field of psychology that applies the fundamental scientific principles of psychology to the workplace environment to make work more enjoyable and more productive” (study.com)

 

Nature

            It covers diverse range of topics as the nature of work and organizations continue to develop, grow and evolve. It is focused on psychological functioning in the workplace that has certain aspects related to human behaviour such as status, affiliation, achievement, power, and money. The basic idea of OP is grounded on fundamental understanding that has implications for solving applied problems in industrial and organizational context. The need of OP arise due to prevalence of individual differences in human behaviour. The setting up of coordination among human beings of different temperament is the area of study of Industrial and organizational psychology.  It is directly related with organizations and their structure which means that it is a dynamic field of study that moves with organizations. The individual is ‘Micro’ work is ‘Meso’ and Organization is ‘Macro’ (Kozlowski, 2012).

 

            OP is not an isolated field rather an interdisciplinary field centered on the organizational set up. Organizations are important source of socialization and social influence. These two aspects impact the social learning that have bearings on the work place environment. The central idea of OP is to improve the productivity while keeping the work force happy and satisfied.

Scope

1.         Industry and Organizations.

2.         Institutions where a group of people work.

3.         Commercial and business settings.

4.         Teams and Leadership building programs.

5.         Development of modules for hiring right people.

6.         Developing a work environment where people of different temperament can converse and work to their satisfaction.

7.         Development of professional code of ethics where individual can make decisions in accordance with professional requirements.

 

References:

1.         Kozlowski, W. J. S (2012). The Oxford Handbook of Organizational Psychology,

2.         NCERT, XI Psychology Text book.

3.         https://study.com/academy/lesson/what-is-industrial-organizational-psychology-definition-history-topics.html.

 

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Career Options in Psychology

 Introduction


            In the modern times the psychology has become most sought-after discipline. The major reason for this is its applicability and usage in almost every nook & corner of human being. Secondly it adopts the scientific approach that follows all necessary steps of enquiry such as formation of hypothesis, testing of hypothesis, controlling, objective data collection, data analysis, understanding and drawing conclusion, replication of results, prediction etc. In every field where human is involved psychology is involved. Hence, the scope of psychology is growing exponentially. And increasing career options too.

Few Career Options:

1.         Education,

2.         Counselling and Guidance,

3.         Clinical,

4.         Industry,

5.         Legal and Crime,

6.         Social,

7.         Military,

8.         Sports,

9.         Psychotherapist,

10.       Psychometrics, and

11.       Forensic.

1.         Education – Teacher in schools, colleges and Universities after MA, MSc, M Phil, PhD, NET.

2.         Counselling and Guidance – Adopting ‘talking cure’ as a tool to solve personal, social, educational, marital, and professional problems. They work with parents, teachers and students to foster learning, address school-related problems and promote a safe educational environment.

3.         Clinical – Clinical psychologists work to prevent, diagnose and treat mental disorders. These psychologists typically have their own clinics and perform diagnostics. They also work alongside doctors to determine the best course of treatment for patients.

4.         Industry – Industrial–Organizational psychologists work with business establishments to maintain a high-quality work environment. They talk with employees to help them with their problems, screening applicants and training new hires.

5.         Legal and Crime – Legal psychologists conduct interviews or administers psychological tests to individuals facing criminal or civil charges. They also work with witnesses to help them recall information or serve as jury consultants in law enforcement investigations to construct fair and balanced trial. They research to improve the legal system.

6.         Social – Social psychologists examine behavioural trends in society. They tend advice on leadership, group behaviour and attitude etc. They use their findings to influence advertisements and related fields.

7.         Military – The military psychologists focus on assessment, diagnosis, and treatment of mental disorders of military personnel and offer therapeutic services, such as counseling and training. Military psychologists explore how different personality types are suited for defence needs, how to improve the treatment of PTSD, or how to help military personnel to cope up with stress.

8.         Sports – Sport psychologists help athletes to enhance their sports performance, devise various mental strategies, such as visualization, self-talk and relaxation techniques, that offer crucial help to athletes overcome obstacles and achieve their optimal potential. They help sport persons in development of coping mechanism to deal with competition anxiety and stress.  They also play the role of fitness counsellor.

9.         Psychotherapist – They offer a range of treatments (Client-Cantered Therapy, Music therapy, CBT, Existential Therapy, Gestalt Therapy, Humanistic Therapy, Interpersonal Therapy, and Rational Emotive Behavioural Therapy etc.) to deal with emotional challenges and various psychological disorders. They strive to enable clients to understand their feelings, and what makes them feel positive, anxious, or depressed.

10.       Psychometrics – The psychologists engaged in psychometrics study theory and technique of psychological measurement, which includes the measurement of knowledge, abilities, attitudes, and personality traits. The field is primarily concerned with the study of differences between individuals.

11.       Forensic – Forensic psychologists work with law-enforcement agencies and act as experts in various legal cases. They focus on assessing competency, working with child witnesses and performing psychological evaluations.

References:

1.         https://study.com/psychologist.html.

2.         NCERT, XI Psychology Text book.

3.         https://www.apa.org/topics/law/index.aspx.

4.         https://www.psychologyschoolguide.net/ psychology-careers/military-psychologist/.

5.         https://www.psychologyschoolguide.net/psychology-careers/military-psychologist/

6.         https://www.apa.org/helpcenter/sport-psychologists.aspx.

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Yoga Day Meditation at Home