Sunday, January 3, 2021

असामान्यता की अवधारणा Concept of Abnormality

 स्वास्थ्य की परिभाषा

Definition of Health    

            पतंजलि के अनुसार, "पर्यावरण के साथ पूर्वव्यस्तता के बिना आत्म से सामंजस्य बनाये रखने के लिए शारीरिक, बौद्धिक और संवेगात्मक संसाधनों  के इष्टतम उपयोग को स्वास्थ्य कहा जाता है" (वर्मा, 1979)

             According to Patanjali, “health is the optimal utilisation of one’s physical, intellectual and emotional faculties to maintain harmony with self without undue preoccupation with the environment’ (Verma, 1979).

 असामान्य मनोविज्ञान के उद्देश्य

Objective of Abnormal Psychology

            असामान्य मनोविज्ञान जीव के असामान्य एवं विचित्र व्यवहार और अनुभूतियों का नियंत्रित अवस्था में अध्ययन करता है। इसका एकमात्र लक्ष्य असामान्यता के कारणों को जानकर उनका निराकरण करना और मनुष्य को अभियोजन सीन बनाना होता है। इस कारण यह अचेतन मन के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करता है।

         Abnormal psychology studies the abnormal & strange behavior and experiences of the organism in a controlled state. Its sole aim is to address the causes of the abnormalities and to solve them. For this it studies various aspects of the unconscious mind.

 Disciplines that Study Abnormality

 1.         Abnormal Psychology (असामान्य मनोविज्ञान)


2.         Psychopathology (मनोव्याधि मनोविज्ञान)

3.         Clinical Psychology (नैदानिक मनोविज्ञान)

4.         Psychiatry (मनश्चिकित्सा)

 

Abnormality: Different Perspectives

 
1.         प्राचीन काल (आत्मनिष्ठ दृष्टिकोण)इस दृष्टिकोण के         अनुसार यदि निर्णयकर्ता के विचार और व्यवहार के अनुरूपकिसी व्यक्ति विशेष का विचार और व्यवहार हो तो वह सामान्य व्यक्ति है लेकिन उसके प्रतिकूल व्यवहार उसकी असामान्यता का परिचायक है।

1.         Ancient Times (Subjective Perspective) – According to this if the thought process, ideas and behaviour of an individual is in consonance with the thought process, ideas and behaviour of decision maker than it is Normal otherwise Abnormal.

 

2.         नैतिक दृष्टिकोणइसके अनुसार जो मनुष्य उचित-अनुचित का ध्यान रखकर व्यवहार करता है वह तो सामान्य है लेकिन जिसे इसका विचार नहीं है वह असामान्य है इसके अनुसार अनैतिक व्यवहार ही असामान्य होता है।

2.         Ethical Perspective – According to this, a person who behaves considering right and wrong is

normal but he who does not is abnormal. Hence, unethical behavior is abnormal.

 

3.         धार्मिक दृष्टिकोणइस दृष्टिकोण के अनुसार जिस व्यक्ति का व्यवहार किसी धर्म शास्त्र के अनुकूल हो तो वह व्यक्ति सामान्य है लेकिन उस धर्म के प्रतिकूल व्यवहार करने वाला व्यक्ति असामान्य माना जाता है।

3.         Religious Perspective – According to this view, a person whose behavior is compatible with any

religious scripture is a normal, but a person who behaves contrary to that religion is considered abnormal.

 

4.         सामाजिक दृष्टिकोण इस दृष्टिकोण के अनुसार यदि किसी मनुष्य का व्यवहार किसी संस्कृति और सामाजिक रहन-सहन के अनुरूप है तो वह सामान्य व्यक्ति है और संस्कृति तथा समाज के प्रतिकूल व्यवहार उसकी असामान्यता का द्योतक है

4.         Social Perspective – According to this viewpoint, if a man's behavior is in conformity with a culture and social norms, then she/he is a normal person and behavior contrary to culture and society indicates abnormality.

 

5.         दैहिक दृष्टिकोणइस दृष्टिकोण के अनुसार जो सामान्य लंबाई से अधिक लंबा या छोटा होता है या असामान्य होता है या यह उसका शरीर का कोई अंग सामान्य व्यक्ति से अत्यधिक बड़ा या छोटा हो को असामान्य माना जाता है।

5.         Physiological Perspective – According to this perspective, one who is taller or shorter than the normal height or abnormal or any part of his body is larger or smaller than the normal person is considered abnormal.

 

6.         वैधानिक दृष्टिकोण इस दृष्टिकोण के अनुसार जो मनुष्य ऐसा व्यवहार करता है जो उसके या उसके समाज के लिए घातक है और जिसके लिए उसका उत्तर दायित्व नहीं है तो वह मनुष्य असामान्य माना जाता है।

6.         Statutory Perspective – According to this perspective, a man who behaves in a manner which is dangerous to him or his society and for which he is not accountable is considered as abnormal.

 

7.         सांख्यिकी दृष्टिकोण इस दृष्टिकोण के अनुसार जो व्यक्ति अपने समूह के अन्य व्यक्तियों के किसी शीलगुण के मध्यमान से कम या अधिक है वह असामान्य है और जो मध्यमान के समान है वह सामान्य है। यह दृष्टिकोण मानता है कि सभी सील गुणों का माप संख्यात्मक हो सकता है।

7.         Statistical Perspective – According to this perspective, a person who is less than or greater than the mean of any trait of other individuals in his group is considered as abnormal and who is similar to the mean is normal. This approach assumes that the measurement of all traits can be quantified.

 

8.         मनोव्याधि दृष्टिकोणइस दृष्टिकोण के अनुसार जो व्यक्ति मनोवैज्ञानिक व्याधियों से ग्रस्त होने के कारण इस प्रकार अपने समाज में प्रभावहीन है कि उसे कोई समाज का समर्थ व्यक्ति मानने को तैयार नहीं है तो उसे असामान्य व्यक्ति कहेंगे।

8.         Psycho-pathological Perspective – According to this perspective, a person who suffers from psychological ailments is ineffective and unproductive in his society, then he will be considered as an abnormal.

 References:

1.         Verma, L. P. (1965). Psychiatry in ayurveda. Indian J Psychiatry. 1965;7:292.

2.         पांडेय, जगदानंद. (1956). असामान्य मनोविज्ञान. पटना: ग्रंथमाला प्रकाशन कार्यालय।

3.         Coleman, J. C. (1981). Abnormal psychology and modern life.

 

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