अर्थ एवं परिभाषा
अंग्रेजी भाषा का नार्मल
(Normal)शब्द लैटिन भाषा के
‘नोर्मा’
(Norma) शब्द से निकल कर आया है जिसका अर्थ होता है नियम। इसका मतलब है सामाजिक मानदंडों एवं मानकों का अनुसरण या पुष्टि करना। "सामान्य का मतलब होता है की समाज के स्पष्ट या अस्पष्ट
(अलिखित
) मानदंडों एवं मानकों के अनुसार आचरण करना है"
सामान्यता की अवधारणा व्यक्तिपरक घटना होती है। जो व्यक्ति उचित व्यवहार करते हैं,
उपयुक्त कार्य करते हैं और अपना जीवन सही तरीके से जीते हैं,
कमोबेश स्वयं से संतुष्ट होते हैं और जीवन यापन के लिए आवश्यक दैनिक गतिविधियों को करने में किसी भी प्रकार की कठिनाई का सामना नहीं करते हैं उन्हें आमतौर पर
‘सामान्य’
माना जाता है। सामान्य व्यवहार करने वाले व्यक्तियों की सांवेगिक अभिव्यक्ति में एक प्रकार का संतुलन पाया जाता है,
उन्हें अपनी अनन्यता (Identity)
के बारे में ज्ञान होता है और वे ये जानते हैं की उनसे क्या-क्या अपेक्षाएं हैं। कोलमैन
(1981) के अनुसार सामान्यता इष्टतम (Optimal)
ऐसे विकास और कार्य पद्धति का प्रतिनिधित्व करती है जो दीर्घकालिक कल्याण एवं समूह के कामकाज के अनुरूप हो।
सामान्यता:
मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य से
मनोविज्ञान में,
व्यवहार और संवेगों की सार्वजनिक अभिव्यक्ति जो मनोवैज्ञानिक कार्य प्रणाली के अनुरूप हो को सामान्य व्यवहार कहा जाता है। ‘सामान्यता’
के कुछ मनोवैज्ञानिक संकेतक:
-
(i) स्थिर व्यवहार,
(ii) स्थिति विशिष्ट संवेगात्मक अभिव्यक्ति,
(iii) उपयुक्त प्रतिक्रिया,
(iv) समस्याओं का सामना एवं सहन करने का कौशल,
(v) संज्ञानात्मक कार्यात्मक उपयुक्तता,
(vi) निर्बाध दैनिक गतिविधियां,
(vii) बेहतर स्व-समायोजन,
(viii) स्थिर व्यक्तित्व पैटर्न,
और
(ix) औसत बुद्धि।
सामान्यता:
सामाजिक परिप्रेक्ष्य से
सामान्य व्यवहार वह होता है जो समाज की अवधारणाओं का उल्लंघन नहीं करता है। उदाहरण के लिए,
अधिकांश समाजों में पुरुषों द्वारा सार्वजनिक रूप से रोने को उचित नहीं माना जाता है,
बावजूद इसके इसे मनोवैज्ञानिक सामान्यता नहीं माना जाता है। सामान्यता की अवधारणा सामाजिक स्वीकृति का परिणाम होता है।
सामान्यता के कुछ सामाजिक संकेतक:
-
(i) समाज द्वारा व्यवहार की पुष्टि।
(ii) समाज में सांख्यिकीय रूप से सबसे अधिक बार होने वाली घटना को सामान्य माना जाता है।
(iii) सामाजिक समायोजन में कुशलता।
(iv) सामाजिक अनुकूलनशीलता।
(v) समानयता एक औसत व्यवहार होता है।
सामान्यता के आकलन के कुछ मापदंड
मनोवैज्ञानिकों की
बड़ी संख्या
सामान्यता का
आकलन करने
के लिए
निम्नलिखित 4 डी की
अवधारणा पर सहमत
हैं। जो
व्यक्ति अपने
व्यवहार में इन 4 डी
का प्रदर्शन
नहीं करता
है उसे आमतौर पर सामान्य माना जाता है : -
(i) विचलन (Deviance) - (अलग,
चरम, असामान्य व्यवहार),
(ii) संताप (Distress) - (अप्रिय और
परेशान करने वाला),
(iii) शिथिलता – (Dysfunction) (दैनिक गतिविधियां
करने में व्यक्ति की
क्षमता में
हस्तक्षेप), और
(iv) खतरा - (वह
व्यवहार जो
दूसरों की
सुरक्षा को
खतरे में
डालता हो)।
इन चार डी के अलावा निम्नलिखित मापदंडों को भी सामान्यता का आकलन करने के लिए प्रयोग किया जाता है: -
(i) पर्यावरण के
संदर्भ में
व्यवहार,
(ii) दूसरों पर
व्यवहार का
प्रभाव,
(iii) सार्वजनिक व्यवहार की अभिव्यक्ति का एक पैटर्न, एवं
(iv) स्व-प्रबंधन।
सामान्यता की विशेषताएं
(i) सामान्यता का
आकलन कई परस्पर
कारकों के
सन्दर्भ में किया
जाता है।
(ii) सामान्य व्यवहार
को उत्पादक
और सबसे
अधिक होने
वाली घटना
के रूप
में देखा
जाता है।
(iii) प्रकृतिस्थ
(Composed) और जिम्मेदार व्यवहार
की अभिव्यक्ति।
(iv) उच्च मानसिक
स्वास्थ्य और
कल्याण (wellbeing) की
अभिव्यक्ति।
(v) संस्कृति और
इसके मानदंड
सामान्यता के
परिभाषित प्रतिमान
होते हैं।
(vi) सामान्यता एक
है व्यक्तिपरक घटना होती है।
(vii) सामान्यता
की विशेषताएं एक ही संस्कृति में समान एवं एक संस्कृति से दूसरी संस्कृति में भिन्न-भिन्न
पाई जाती हैं।
सन्दर्भ:
1. Coleman,
J. C. (1981). Abnormal psychology and modern life.
2. Essays,
UK. (November 2018). Concepts of Normal and Abnormal Behaviour. Retrieved from
https://www.ukessays.com/essays/psychology/concepts-of-normal-and-abnormal-behaviour.php?vref=1
3. https://www.psychologydiscussion.net/difference-between/difference-between-normal-and-abnormal-behaviour/475.
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Tqq sir for this
ReplyDeleteLaguage is easy
Bt Last paragraph smjh nhi ayaa sir
Thanks for your feedback. You can ask me in class
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