Monday, January 25, 2021

द्विध्रुवी विकार

 परिभाषा 

          उन्माद या अवसाद के लक्षणों के बार-बार होने वाले  प्रकरण को द्विध्रुवी विकार कहा जाता है।दूसरे शब्दों में व्यवहार के एक छोर से दूसरे तक मूड में असामान्य बदलाव के एपिसोड।

          यह एक प्रकार की पर्यायक्रमिक (alternating) गहन संवेगात्मक  व्यवहार की अभिव्यक्ति होती  है।

 परिचय

           द्विध्रुवी विकार, एक मनोवैज्ञानिक विकार होता  है, जिसे उन्मत्त अवसादग्रस्तता (मैनिक-डिप्रेसिव) विकार भी कहा जाता है। इस प्रकार की मानसिक स्थिति में मनोदशा में बार-बार असामान्य बदलाव होते रहते हैं, जैसे अवसादग्रस्तता से उन्मत्त या इसके विपरीत।                                                     मनोदशा (mood) में पर्यायक्रमिकता (alternating) व्यक्ति की मनोशारीरिक क्षमताओं पर गहरा नकारात्मक असर डालती है। मूड बदलने के  साथ-साथ शारीरिक ऊर्जा                                                और गतिविधियों का स्तर भी बदल जाता है। यह आमतौर पर रोजमर्रा और सामाजिक कामकाज में गंभीर क्षति का कारण बन सकता है।

द्विध्रुवी विकार के प्रकार

मुख्य रूप से निम्नलिखित तीन प्रकार के होते हैं: -

(i)       द्विध्रुवी I (कम से कम एक उन्मादी प्रकरण का उपस्थित होना)

(ii)      द्विध्रुवी  II (कम से कम एक गहन अवसादग्रस्तता प्रकरण वो भी कम से कम दो सप्ताह के लिए। उन्हें कम से कम ऐसे हाइपोमेनिया के एक प्रकरण का अनुभव होता है जो लगभग 4 दिन तक चलता है)

(iii)     चक्रविक्षिप्ति (Cyclothymia) (इस विकार में हाइपोमेनिया और अवसाद के एपिसोड द्विध्रुवी I एवं द्विध्रुवी II विकार में होने वाले उन्माद और अवसाद के एपिसोड से कम तीव्र होते हैं)

 

नैदानिक ​​मापदंड

उन्मादी एपिसोड

(i)       असामान्य रूप से अधिकांश दिन और लगभग हर दिन लगातार, विस्तृत या चिड़चिड़ी मनोदशा की अवधि, जो कम से कम 1 सप्ताह तक चलती हो।

(ii)      ख़राब मनोदशा (मूड डिस्टर्बेंस) की अवधि के दौरान निम्नलिखित लक्षणों में से तीन (या अधिक) मौजूद होने चाहिए: -

  • Ø  अत्यधिक उच्च आत्मसम्मान की भावना।
  • Ø  नींद की कम आवश्यकता।
  • Ø  सामान्य से अधिक बातें करना।
  • Ø  मुक्त विचारों की उड़ान।
  • Ø  आसानी से ध्यान भटकना।
  • Ø  ऐसी गतिविधियों में लिप्त होना जिनका परिणाम खतरनाक या दर्दनाक हो सकता हैं।
  • Ø  ख़राब मनोदशा (मूड डिस्टर्बेंस) दैनिक जीवन में दखल देकर उसमे रूकावट पैदा करता हो।
  • Ø  नैदानिक मापदंड

अवसादग्रस्तता प्रकरण

          निम्नलिखित लक्षणों में से पाँच (या अधिक) 2-सप्ताह की अवधि तक मौजूद रहें (अधिकांश दिन, लगभग हर दिन)

  • Ø  अवसादग्रस्त मनोदशा (उदास, खालीपन या निराशा महसूस करना)
  • Ø  लगभग सभी गतिविधियों में के बराबर रुचि या खुशी।
  • Ø  वजन घटाना या वजन बढ़ना (जैसे, एक महीने में शरीर के वजन का 5% से अधिक का परिवर्तन)
  • Ø  लगभग हर दिन नींद आना।
  • Ø  थकान या ऊर्जा का ह्राष (लगभग हर दिन)
  • Ø  नाकाबिलियत या अत्यधिक एवं अनुचित
  • Ø  अपराधबोध की भावना।
  • Ø  सोचने, ध्यान लगाने एवं निर्णय लेने
  • Ø  करने की क्षमता का ह्राष।
  • Ø  मृत्यु और आत्महत्या की  अविरल विचारधारा।

 

द्विध्रुवी विकार की विशेषताएं

(i)       बीपीडी लगभग 25 वर्ष(औसत आयु) की आयु से अपने लक्षण दिखाना शुरू कर देता है।

(ii)      अवसादग्रस्तता का एपिसोड कम से कम 2 सप्ताह तक रहता है।

(iii)     उन्माद (बीपीडी के कारण) भी एक साथ कई दिनों तक रहकर कई हफ्तों तक जा सकता है।

(iv)     बीपीडी मनोशारीरिक ऊर्जा में  असंतुलन का कारण बनता है।

(v)      मूड स्विंग बीपीडी की मुख्य विशेषता होती है।

(vi)     सामान्य व्यवहार से उल्लेखनीय विचलन।

(vii)    आनुवांशिकी, पर्यावरणीय कारक (तनाव और दर्दनाक अनुभव) और मस्तिष्क संरचना में गड़बड़ी  बीपीडी के कुछ प्रमुख कारण होते हैं।

 

बीपीडी के शरीर पर पड़ने वाले कुछ परिणाम

           बी पी डी के कारण रोगी में निम्नलिखित मनो-शारीरिक समस्याएं दिखाई देने लगती हैं।

(i)       यह कार्यों को कुशलता से करने की व्यक्ति की क्षमता में बाधा आने लगती है।

(ii)      मनोदशा के बदलने से नींद, निर्णय लेने, ध्यान केंद्रित करने और तर्कसंगत विचार प्रक्रिया में कठिनाई होती है।

(iii)     मनोदशा में परिवर्तन के कारण संज्ञानात्मक संसाधनों का अत्यधिक उपयोग होता है जो मनोवैज्ञानिक थकान का कारण बनता है।

(iv)     ऐसे व्यवहार करना जिसके नकारात्मक परिणाम जैसे नशा करना, दवा का अत्यधिक उपयोग, बहुत अधिक खर्च हो सकते हैं।         

 

बी पी डी का प्रबंधन

           उपयुक्त चिकित्सा और व्यवहार चिकित्सा संयुक्त रूप से इस मानसिक बीमारी का इलाज करने में सक्षम हो सकते हैं।

(i)       संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी (कु-अनुकूलित संज्ञानों में रूपांतरण)

(ii)      दवाएं (जैसे एंटीडिपेंटेंट्स)

(iii)     योग।

(iv)     विश्राम तकनीक (प्रणायाम, श्वसन व्यायाम, विश्राम रणनीति और ध्यान)

(iv)     मनोचिकित्सा, दवाओं और विश्राम तकनीकों का संयोजन।



सन्दर्भ:

1.       Coleman, C. J. (1988). Abnormal psychology and modern life. Bombay, India: D. B. Taraporevala Sons & Co.

2.       Generalized anxiety and generalized anxiety disorder: description and reconceptualization. (1986). American Journal of Psychiatry, 143(1), 40–44. doi:10.1176/ajp.143.1.40

3.       NCERT. (XII). Psychology Book.

4.       DSM V Manual. Published by APA.

5.       https://www.nimh.nih.gov/health/topics/ bipolar-disorder/index.shtml.





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