Wednesday, April 8, 2020

दीर्घकालिक स्मृति


एटकिंसन और शिफरीन का (1968) बहु-भण्डारण मॉडल (Multi-store Model)
 परिचय
          स्मृति के स्टेज मॉडल के अनुसार दीर्घकालिक स्मृति, स्मृति का तीसरा चरण होता है। दीर्घकालिक स्मृति (एल टी एम) में प्रवेश करने वाली सूचना वहां पर जीवन भर या स्थायी रूप से रहती है। इसमें असीम भंडारण क्षमता होती है। एक सूचना जितनी अधिक समय तक अल्पकालिक या लघुकालिक स्मृति में रहती है, उतनी ही मजबूती से वह इसका सम्बन्ध दीर्घकालिक स्मृति से संबद्ध हो जाती है (Atkinson and Shiffrin, 1968)। अन्तर्ग्रथनी या गुणसूत्रीयसंयोजन संपिण्डन (Synaptic consolidation) के माध्यम से सूचना को लघुकालिक स्मृति से दीर्घकालिक स्मृति में स्थानांतरित किया जाता है। सूचना दीर्घकालिक भंडारण में अर्थ, दृश्य और ध्वनिक रूपों में कूट-संकेतित होकर भंडारित रहती है। यहाँ पर सूचना एनग्राम (स्मृति चिन्ह) के रूप में अन्तर्ग्रथन (synapse) में कूट-संकेतित हो जाती है जिसमे बाहरी हस्तक्षेप संभव नहीं होता है लेकिन वह हेर-फेर के लिए संवेदनशील होती है। सूचना हिप्पोकैम्पस क्षेत्र, जिसे आमतौर पर अस्थायी पारगमन केंद्र (Transit hub) कहा जाता है, के माध्यम से लघुकालिक स्मृति से दीर्घकालिक स्मृति तक की यात्रा तय करती है। ध्यान रहे कि यह क्षेत्र अपने आप में सूचना को संग्रहीत एवं भण्डारित नहीं करता है।

विशेषताएं
1.       दीर्घकालिक स्मृति, स्मृति प्रणाली का अंतिम चरण होती है।
2.       दीर्घकालिक स्मृति की क्षमता असीमित होती है।
3.       दीर्घकालिक स्मृति मस्तिष्क में स्थायी शारीरिक परिवर्तनों का परिणाम होती है।
4.       इसमें सूचना बरकरार तो रहती है, लेकिन हर समय सम्पूर्ण सूचना होना संभव नहीं होता है।
5.       रखरखाव पूर्वाभ्यास (Maintenance rehearsal) दीर्घकालिक स्मृति का सबसे महत्वपूर्ण साधनों में से एक होता है।
6.       दीर्घकालिक स्मृति में अधिकांश सूचना छवियों, ध्वनियों, गंध और स्वाद के रूप में कूट संकेतित रहती  हैं (Cowan, 1988)
7.       दीर्घकालिक स्मृति में सूचना अर्थपूर्ण (अर्थपूर्णता व्यक्तिपरक होती है) और संगठित रूप में संग्रहीत रहती है (Ciccareli & Meyer, 2016)
8.       दीर्घकालिक स्मृति में सूचना में हेर-फेर होने की काफी संभावना होती है।
9.       दीर्घकालिक स्मृति में संग्रहीत सूचना का क्षय विस्मरण का कारण बनता है।

दीर्घकालिक स्मृति के प्रकार        
          दीर्घकालिक स्मृति को मोटे तौर पर दो प्रकारों में विभाजित किया जाता है अर्थात्
(i)       स्पष्ट (Explicit) या घोषणात्मक (Declarative) और
(ii)      अंतर्निहित (Implicit) या गैर-घोषणात्मक या प्रक्रियात्मक (Non declarative or procedural)
(i)       स्पष्ट (Explicit) या घोषणात्मक (Declarative)तथ्यों, नामों, तिथियों आदि से संबंधित सभी सूचना स्पष्ट स्मृति के अंतर्गत आती है। दूसरे शब्दों में, ये वो स्मृतियां होती हैं जिन्हें सचेतन रूप से जागरूकता की स्थिति में लाया जाता है को सूचनाओं उन्हें घोषणात्मक स्मृति भी कहा जाता है। इस तरह की स्मृतियां हिप्पोकैम्पस द्वारा तो कूट संकेतित की जाती हैं लेकिन मस्तिष्क के अन्य हिस्सों द्वारा संगठित और संग्रहीत की जाती हैं।
          यह स्मृति या तो प्रासंगिक (Episodic) या शब्दार्थ (Semantic) प्रकार की हो सकती है (Tulving, 1972).
          (a)      प्रासंगिक (Episodic)हमारे जीवन का जीवन-वृत्तांत (Biography) जैसे कि व्यक्तिगत अनुभव, ये अनुभव आम तौर पर संवेगात्मक होते हैं। संवेग उत्पन्न करने वाले अनुभवों को भूलना कठिन होता है। प्रासंगिक स्मृति में वो विचार शामिल होते हैं जो हमारे सचेतन में होते हैं जिनकी प्रकृति में घोषणात्मक होती है।
          (b)      अर्थ-संबंधी (Semantic)इस प्रकार की स्मृति में सामान्य ज्ञान, अवधारणाएं, विचार और तर्क के नियम इत्यादि पाए जाते हैं। उदाहरण के लिए 2 + 1 = 3 या हमारे कॉलेज का नाम आदि। इस तरह की स्मृति दिनांकित (dated) नहीं होती है। चूंकि शब्दार्थ स्मृति की सामग्री सामान्य जागरूकता और ज्ञान के तथ्यों एवं विचारों से संबंधित होने के साथ साथ भावनात्मक-तटस्थ भी होती है जिसे भूलने की संभावना नहीं होती है (NCERT)
(ii)      अंतर्निहित (Implicit) या गैर-घोषणात्मक या प्रक्रियात्मक (Non declarative or procedural)विभिन्न कार्यों को पूरा करने के लिए प्रक्रियाओं और कौशलों से संबंधित स्मृतियां जैसे साइकिल चलाने या मोटर कौशल (Motor skills) की स्मृति। दूसरे शब्दों में, यह 'कार्यों को कैसे करना है' की स्मृति होती है। इसमें मुख्यतःअचेतन विचार प्रक्रिया शामिल होती है।
दीर्घकालिक स्मृति के अन्य वर्गीकरण
(i)       आत्मकथात्मक स्मृति ये व्यक्तिगत स्मृतियां होती हैं जो प्रत्येक व्यक्ति के लिए अद्वितीय होती हैं। ये स्मृतियां हमारे जीवन में सामान रूप से वितरित नहीं होती हैं। हमारे जीवन काल की कुछ अवधियां, दूसरी अवधियों की तुलना में अधिक स्मृतियां संजोती हैं। उदाहरण के लिए, बचपन की स्मृतियां विशेष रूप से शुरुआती 4 से 5 वर्षों की। इसेबचपन का स्मृतिलोप” भी कहा जाता है। शुरुआती वयस्कता, खासकर 14 से 20 वर्ष की अवधि में, स्मृतियों में अभूतपूर्व वृद्धि पाई जाती है। शायद, भावुकता, नवीनता और घटनाओं का महत्व इसमें योगदान देता है।
(ii)      फ़्लैश बल्ब स्मृतियां सजग करने वाली या आश्चर्यजनक घटनाओं की विस्तृत स्मृतियां। ये स्मृतियां कैमरे के चित्र की तरह होती हैं जो विशेष स्थानों, तिथियों और समय से बंधी होती हैं। यदि पूछा जाए, तो व्यक्ति घटना के विवरण को पूरी बारीकी से समझा सकता है, मानो घटना की कोई तस्वीर हमारे मस्तिष्क के अंदर सजाई गई हो।
दीर्घकालिक स्मृति को प्रभावित करने वाले कारक
1.       संरक्षण पूर्वाभ्यास (Maintenance rehearsal)बार-बार सूचना का दोहराना।
2.       विस्तृत पूर्वाभ्यास (Elaborate rehearsal) – सूचना को अर्थ देना।
3.       नींदपरिवर्तित चेतना की एक स्थिति जहां स्मृति का संपिण्डन (Consolidation) होता है।
4.       अवधानएक साथ एक या एक से अधिक उद्दीपकों या घटनाओं पर ध्यान केंद्रित करने की क्षमता.
5.       तंत्रिका संरचनातंत्रिका तंत्र (एनग्राम) में एक संरचनात्मक परिवर्तन दीर्घकालिक स्मृति का निर्माण करता है।
6.       विस्मरण संग्रहीत जानकारी को याद करने में असमर्थता।
7.       अंतरालसीखी गई सामग्रियों के बीच का समय अंतराल।
8.       स्मृतिलोपनई दीर्घकालिक स्मृति बनाने में असमर्थता।
9.       जरण (Ageing) – बढ़ती उम्र के साथ लोगों को प्रत्याह्वान संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है जो अग्र पालि (Frontal Lobe) और हिप्पोकैम्पस क्षेत्र में परिवर्तन के कारण होता है।
संदर्भ:
1.       NCERT, XI Psychology Text book.
2.       Atkinson, R. C. & Shiffrin, R. M. (1968). Human memory: A proposed system          and its control processes. Psychology of Learning and Motivation. 2. pp. 89–         195. doi:10.1016/s0079-7421(08)60422-3. ISBN 9780125433020.
3.       Dudai, Yadin (2003). "The neurobiology of consolidations, or, how stable is           the engram?". Annual Review of Psychology. 55: 51–86.           doi:10.1146/annurev.psych.55.090902.142050. PMID 14744210.
4.       Ciccarelli, S. K. & Meyer, G. E. (2016). Psychology. New Delhi: Pearson.

*******

No comments:

Post a Comment

Yoga Day Meditation at Home