अर्थ
साहित्यिक अर्थ – याद रखने में विफल होना।
मनोविज्ञान की दृष्टि से अर्थ – संग्रहीत सूचना का
प्रत्याह्वान करने में असमर्थता।
परिभाषा
भाटिया (2009) के अनुसार, "व्यक्ति द्वारा किसी विचार या विचार समूह को मूल उद्दीपकों की सहायता के बिना चेतना में पूर्वरूप में लाने
में विफलता को विस्मरण कहा जाता है"।
ड्रेवर (1952) के अनुसार, "प्रयास या
पहले से सीखी गई क्रिया करते समय पिछले अनुभवों को याद करने में मिली विफलता को विस्मरण
कहा जाता है”।
परिचय
हरमन एबिंगहॉस (1913) ने 'विस्मरण' के वैज्ञानिक अध्ययन का मार्ग प्रशस्त किया। उन्होंने अपनी ही स्मृति के अध्ययन के लिए निरर्थक शब्दांश (व्यंजन-स्वर-व्यंजन) (अर्थहीन शब्द) बनाए। खुद पर किए गए उनके प्रयोगों से मिले परिणामों से उन्होंने एक वक्र बनाया, जिसे ‘विस्मरण वक्र’ के नाम से जाना जाता है।
विस्मरण वक्र इंगित करता है कि पहले घंटे (लगभग 56%) में विस्मरण बहुत तेजी से होता है। वक्र यह बताता है कि सीखने के 1 घंटे के भीतर विस्मरण की रफ़्तार सबसे तेज़
होती है। इसका मतलब यह है कि भंडारित
सूचना
या
सीखी
गई
सामग्री का उचित पूर्वाभ्यास नहीं किया जाता है तो उसे भूल जाने की संभावना अधिक होती है।
दीर्घकालिक
स्मृति में विस्मरण
स्मृति चिन्हों (एनग्राम) के ह्रास के कारण होता है जो तंत्रिका तंत्र में बनते हैं। पीटरसन एवं पीटरसन (1959) ने अपने अध्ययन के माध्यम से यह प्रदर्शित किया है कि व्यक्ति सीखी गई सामग्री का 10% मात्र 18 सेकंड के अंदर ही भूल जाता है। इसका अर्थ है कि स्मृति चिन्ह ह्रास के लिए अत्यधिक संवेदनशील होते हैं। विस्मरण लघुकालिक स्मृति में
भी होता है लेकिन यहां पर ऐसा इसकी सीमित
भंडारण क्षमता के कारण होता है।
विस्मरण
वह प्रक्रिया होती है, जहां पर स्मृति चिन्हों (Engrams) को पहचानना लगभग कठिन हो जाता
है, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें चेतना में लाना मुश्किल हो जाता है।
विस्मरण के दो अंतर्निहित घटक होते हैं अर्थात्: -
(i) उपलब्ध न होना (Lack of
availability) – इसका मतलब है कि संग्रहीत सूचना उपलब्ध नहीं है।
(ii) पहुंच न होना (Lack of
accessibility) – इसका अर्थ है कि संग्रहीत सूचना उपलब्ध तो है लेकिन उसका प्रत्याह्वान संभव नहीं है।
विस्मरण की विशेषताएं
(i) विस्मरण लघुकालिक और दीर्घकालिक स्मृति
दोनों में होता है। लघुकालिक स्मृति में सीमित क्षमता, अवधि, विस्थापन और चिन्ह ह्रास के कारण जबकि दीर्घकालिक स्मृति में अवरोध, चिन्ह ह्रास (Trace decay) और विभिन्न दूसरे कारकों के कारण होता है।
(ii) विस्मरण, सूचना के क्षीण (Fading of Information) होने के कारण होता है। दीर्घकालिक स्मृति की तुलना में सूचना लघुकालिक स्मृति में तेज़ी से क्षीण होती है।
(iii) पर्याप्त अवधान या ध्यान का अभाव विस्मरण को तेजी प्रदान
करता है।
(iv) प्रत्याह्वान में विफलता, विस्मरण के प्रमुख कारणों में से एक होती है।
(v) विस्मरण
प्रेरित भी हो सकता
है।
(vi) विस्मरण मनोवैज्ञानिक, जैविक और सामाजिक कारणों से भी हो सकता
है।
(vii) विस्मरण सूचना की उपलब्धता और / या उस तक पहुँच न होने
का प्रकार्य होता है।
विस्मरण के कारण
(i) मनोवैज्ञानिक स्मृतिलोप (कूट संकेतन और भंडारण में विफलता)
(ii) जैविक स्मृतिलोप
(iii) सामाजिक स्मृतिलोप (Beiner, 2018)
(iv) चिन्ह ह्रास
(v) अवरोध (Interference)
(vi) पूर्वाभ्यास में देरी
(vii) पूर्वाभ्यास (रखरखाव और विस्तृत) का अभाव
(viii) प्रत्याह्वान
में विफलता
(ix) उपयोग
न होने के कारण ह्रास
(x) भंडारण स्थान की कमी (लघुकालिक स्मृति)
(xi) प्रेरित
विस्मरण (Motivated
forgetting)
(xii) समेकन (Consolidation) का अभाव
(xiii) व्यायाम और सम्पूर्ण आहार का अभाव
(xiv) जरण (Ageing)
(xv) सीखी
गई सामग्री की प्रकृति
विस्मरण के महत्वपूर्ण सिद्धांत
(i) अवरोध सिद्धांत
(Interference Theory) – इस सिद्धांत के अनुसार एक
सूचना
अन्य
सूचनाओं के प्रत्याह्वान में अवरोध पैदा करती है तो विस्मरण होता
है। अवरोध दो प्रकार का यानी अग्रलक्षी (Proactive) और
पूर्वलक्षी (Retroactive) होता है।
(a) अग्रलक्षी (Proactive) अवरोध – जब पहले से सीखी गई
सूचना नई सूचना की पुनः प्राप्ति में अवरोध
का कारण बनती है
(b) पूर्वलक्षी (Retroactive) अवरोध – जब नई सूचना पहले
से सीखी गई सूचना के प्रत्याह्वान
में अवरोध उत्पन्न करती है।
(ii) चिन्ह ह्रास सिद्धांत [उपयोग करो या गंवा दो] – इस सिद्धांत के अनुसार दीर्घकालिक स्मृति का गठन मस्तिष्क में होने वाले शारीरिक (जैविक) परिवर्तनों [स्मृति चिन्ह] (ब्राउन, 1958) के फलस्वरूप होता है। इन चिन्हों [एनग्राम] का कई कारकों से ह्रास हो सकता है जैसे अनुपयोग, समय अंतराल, आघात
(Injury), औषधि दुरुपयोग आदि। और इन चिन्हों का ह्रास विस्मरण का कारण बनता है।
संदर्भ:
1. NCERT, XI Psychology Text book.
2. Beiner, Guy (2018). Forgetful
Remembrance: Social Forgetting and Vernacular Historiography
of a Rebellion in Ulster. Oxford University Press. ISBN 9780198749356.
3. Brown, J. (1958). Some tests of the decay
theory of immediate memory. Quarterly
Journal of Experimental psychology, 10, 12-21.
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