Friday, April 10, 2020

स्मृति के अध्ययन की विधियां


परिचय        
          स्मृति को मापने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली वैज्ञानिक तकनीकों को स्मृति अध्ययन की विधियों के रूप में जाना जाता है। स्मृति को विभिन्न तरीकों से मापा जा सकता है। जैसा कि हम जानते हैं कि स्मृति विभिन्न प्रकार की होती है, इसलिए विशिष्ट प्रकार की स्मृति के मापन के लिए विशिष्ट विधि की आवश्यकता होती है। हरमन एबिंगहौस (1885) (जर्मन मनोवैज्ञानिक) जिन्होंने पहली बार स्मृति का व्यवस्थित और वैज्ञानिक अध्ययन किया था, उन्होंने प्रत्याह्वान (Recall) पद्धति का इस्तेमाल किया और सुझाव दिया कि अवधारण (Retention) का परीक्षण तत्काल या विलंबित प्रत्याह्वान से किया जा सकता है।
स्मृति अध्ययन की महत्वपूर्ण विधियां
(i)       प्रत्याह्वान विधि (तथ्यों को मापने के लिए)सीखी गई सामग्री की कुछ समय बीत जाने पुनरावृत्ति को प्रत्याह्वान कहा जाता है। सीखी गई सामग्री का प्रत्याह्वान व्यक्तिगत और उद्दीपक संबंधी कारकों पर निर्भर करता है। दिलचस्प, अर्थपूर्ण और नई सीखी गई सामग्री को याद रखना और उसका प्रत्याह्वान करना आसान होता है।
प्रत्याह्वान दो प्रकार का होता है: -
          (a)      मुक्त प्रत्याह्वान (Free Recall)
          (b)      क्रमिक प्रत्याह्वान (Serial Recall)

          (a)      मुक्त प्रत्याह्वान इस विधि में प्रतिभागियों को कुछ शब्द [विशेषतः अर्थहीन] या कोई भी सूचना उन्हें याद करने के लिए दी जाती है [कुछ समय बाद] और उन्हें उस सूचना को किसी भी क्रम में प्रत्याह्वान में करने के लिए कहा जाता है।
          (b)      क्रमिक प्रत्याह्वानइस विधि की क्रियान्वयन विधि मुक्त प्रत्याह्वान विधि के समान होती है, इसमें एकमात्र अंतर यह होता है कि प्रतिभागियों को सीखी गई सामग्री का उसी क्रम में प्रत्याह्वान करना होता है जिस क्रम में उसे प्रस्तुत किया गया था।
(ii)      अभिज्ञान (Recognition) (प्रासंगिक स्मृति)गिलफोर्ड (1917) के अनुसार अभिज्ञान उसी सामग्री को फिर से जानने से होता है। अभिज्ञान विधि में, प्रतिभागियों को सीखने की कुछ सामग्री के साथ-साथ ध्यान भटकाने (distracting) वाली सूचना (वैसी सूचना जिसे उन्होंने न तो पहले कभी पढ़ा हो और न ही देखा हो) भी याद करने के लिए दी जाती है। फिर उन्हें सीखी हुई [उद्दीपकों] सूचना को पहचानने के लिए कहा जाता है।
अभिज्ञान के प्रतिशत की गणना के लिए निम्नलिखित सूत्र का उपयोग किया जाता है: -
अभिज्ञान का प्रतिशत =  

R= सही-सही पहचानी हुई मदों (items) की कुल संख्या।
W= गलत पहचानी गयी मदों (items) की कुल संख्या।
K= ध्यान भटकाने वाली मदों की कुल संख्या (total no. of distractors presented) [सीखने के दौरान + अभिज्ञान के दौरान]
n= मदों की कुल संख्या।
उदाहरण के लिए मान लीजिये एक प्रतिभागी 10 में से 6 मदों को सही ढंग से पहचान लेता है। प्रयोगकर्ता ने सीखने के दौरान उसे 10 ध्यान भटकाने वाली मदें दी और अभिज्ञान के दौरान पहली मदों से अलग 10 और ध्यान भटकाने वाली मदें दी। उसके अभिज्ञान प्रतिशत ज्ञात कीजिये
अभिज्ञान प्रतिशत =  6 – 4/19 x 10 = 57.89%
(iii)     वाक्य सत्यापन विधि (शब्दार्थ स्मृति मापन के लिए)अपने स्वभाव [सामान्य ज्ञान] के कारण शब्दार्थ स्मृति में विस्मरण के बराबर ही होता है। इस विधि में प्रतिभागियों को बताना होता है कि दिए गए वाक्य सही हैं या गलत। प्रतिभागियों द्वारा जितनी तेज़ी से सही प्रतिक्रिया दी जाती है उतनी ही अच्छी उनकी शब्दार्थ स्मृति होती है।

(iv)     प्राइमिंग (वैसी सूचना के मापन के लिए जिसे हम मौखिक रूप से बता नहीं सकते हैं) (for measuring information we cannot report verbally)इस विधि में प्रतिभागियों को सार्थक शब्दों की एक सूची दिखाई जाती है, जैसे बरसात, मशीन, कहानी आदि और फिर उन्हें इन शब्दों के कुछ हिस्सों, बर, मश, कह आदि के साथ अन्य नए ऐसे सार्थक शब्दों के कुछ हिस्सों को दिखाया जाता है जिन्हें उन्होंने पहले नहीं देखा था। फिर प्रतिभागियों को उन हिस्सों से पहले दिखाए गए सार्थक शब्दों को पूरा करने के लिए कहा जाता है। यह पाया गया है कि प्रतिभागियों द्वारा देखे गए शब्दों के हिस्सों को उन शब्दों के हिस्सों की तुलना में तेजी से पूरा किया जो उन्होंने नहीं देखा था। पूछे जाने पर, वे अक्सर इस बात से अनजान होते हैं और कहते हैं कि उन्होंने केवल अनुमान लगाया है (NCERT)।
(v)      पुनः सीखना (Relearning)यह विधि एबिंगहॉस (1885) द्वारा सुझाई गई थी और इसे 'बचत' विधि के रूप में भी जाना जाता है। इस विधि की सहायता से स्मृति की मात्रात्मक क्षमता को मापा जाता है। प्रतिभागियों को याद करने के लिए कुछ सामग्री प्रदान की जाती है, फिर उन्हें इसे पूरी तरह से याद करने के लिए कहा जाता है। विशिष्ट समय अंतराल के बाद उसी सामग्री को फिर से याद करने के लिए प्रतिभागियों को दिया जाता है। प्रत्येक प्रतिभागी द्वारा किये गए प्रयासों की संख्या और समय दोनों स्थितियों में दर्ज किये जाते हैं।
बचत प्रतिशत’ [समय और परीक्षण] निम्नलिखित सूत्र के द्वारा ज्ञात की जाती है: -
बचत प्रतिशत =

OLT = सिखने में किये गए प्रयासों की संख्या
RLT = पुनः-सिखने में किये गए प्रयासों की संख्या
उदाहरण के लिए - यदि कोई प्रतिभागी किसी मूल सामग्री को याद करने के लिए 20 प्रयास करता है और उसे पुनः-सिखने के लिए 8 प्रयास करता है तो बचत उसका प्रतिशत क्या होगा?
बचत प्रतिशत =  = 60%
(v)      पुनर्निर्माण (Reconstruction) – इस पद्धति में प्रतिभागियों को उद्दीपकों का एक सेट पूर्व-निर्धारित व्यवस्था अर्थात एक क्रम में दिया जाता है। उसके बाद उद्दीपकों के उस सेट के क्रम को व्य अव्यवस्थित करके प्रतिभागी को दिया जाता है और उसे पहले दिखाए गए क्रम में व्यवस्थित करने के लिए कहा जाता है। उद्दीपकों को फिर से संगठित करने या उसी क्रम में व्यवस्थित करने के लिए लिया गया समय रिकॉर्ड किया गया जाता है।
सन्दर्भ:
1.       NCERT, XI Psychology Text book.
2.       http://www.preservearticles.com/psychology/methods-used-for-the-measurement-of-human-memory/3926.

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