मनो-भौतिकी (साइकोफिजिक्स) शब्द मनोविज्ञान और भौतिकी से बना है अर्थात मनोविज्ञान
+ भौतिकी।
मनोविज्ञान = एक व्यक्ति के मनोवैज्ञानिक गुण (विशेष रूप से संवेदना और प्रत्यक्षण)।
भौतिकी = उद्दीपक के भौतिक गुण
परिभाषा
मनोविज्ञान की वो शाखा जो एक मनोवैज्ञानिक घटना और एक उद्दीपक के भौतिक गुणों के बीच संबंध का अध्ययन करती है।
उद्दीपकों
और
उनसे
उत्पन्न होने वाली संवेदनाओं के बीच संबंध का अध्ययन करने वाली विद्याशाखा को मनो-भौतिकी कहा जाता है (NCERT, XI)।
"एक व्यक्ति
के
अनुभव
या
व्यवहार पर किसी उद्दीपक के एक या उससे अधिक भौतिक आयामों पर उसके गुणों में व्यवस्थित रूप से परिवर्तन के प्रभाव के अध्ययन द्वारा प्रत्यक्षणात्मक प्रक्रियाओं का विश्लेषण " (Bruce et. Al 1996 quoted by Wikipedia)।
मनो-भौतिकी की कुछ समस्याएं
(i) मानसिक स्थिति को मात्रा में परिवर्तित करना – मानसिक स्थिति गुणात्मक और व्यक्तिपरक चर होता है जिसे परीक्षण के लिए मात्रात्मक चर में परिवर्तित करने की आवश्यकता होती है। यह वस्तुनिष्ठ रूप में एक चर की विशेषताओं के योग से अभिव्यक्त किया जाता है।
(iii) मापक्रम या पैमाना तैयार करना (स्केलिंग) – एक पैमाने या अबाध क्रम (Continuum) पर किसी वस्तु या मनोवैज्ञानिक चर का स्थान निर्धारित करना अर्थात एक संख्यात्मक
मूल्य आवंटित करना। यह चरों के बीच कारण-प्रभाव संबंध स्थापित करने में सहायक होते
हैं।
(iv) कार्यात्मक संबंधों और उनकी गणितीय अभिव्यक्ति का निर्धारण – क्योंकि गणितीय अभिव्यक्ति या मॉडल किसी भी प्रणाली
के मात्रात्मक व्यवहार का अनुमान लगाने में अत्यंत सहायक होता है। वे ज्ञात भौतिक घटनाओं
को समझाने में मदद करते हैं और समय रहते उनके व्यवहार की भविष्यवाणी करने में सहायक
होते हैं।
(v) जोड़-तोड़ या हेर फेर (Manipulation) – एक चर की तीव्रता या परिमाण में मात्रात्मक परिवर्तन। शुद्ध परिणाम
यानी बाहरी हस्तक्षेप मुक्त निष्कर्ष पाने के लिए।
(vi) संवेदना का परिमाण या तीव्रता
का वस्तुनिष्ठ मापन – संवेदी अनुभव की तीव्रता। फैकनर का
नियम (1860) कहता है कि संवेदना (बोध) की तीव्रता उद्दीपक की तीव्रता के लघुगणक (Logarithm)
के समानुपाती होती है, इसलिए वे उद्दीपक जो तीव्रता, गुणवत्ता, दुर्लभता आदि में अधिक
प्रासंगिक होते हैं, वे व्यक्तियों द्वारा अच्छी तरह से और कम त्रुटियों के साथ ग्रहण
किये जाते हैं (Liutsko & Ral, 201.04)।
(vii) संवेदिक अनुभव का मापन एवं उनके स्तर का आकलन अर्थात उन अनुभवों
को एक संख्यात्मक मूल्य (न्यूमेरिकल वैल्यू) देना।
(viii) मानवीय त्रुटियों को कम से कम करना जो मुख्यतः तीन प्रकार की होती हैं: -
(a) प्रत्यक्षण में,
(b) निर्णय लेने में और
(c) संवेदना में।
(x) अवलोकन संबंधी त्रुटियां।
सन्दर्भ:
1. NCERT,
XI Psychology Text book.
2. Bruce.
V., Green, P. R. & Georges
3. Ral,
J. M. T. & Liutsko, L. (2014). Human errors: Their psychophysical bases and
the Proprioceptive Diagnosis of Temperament and Character (DP-TC) as a tool for
measuring. Psychology in Russia: State of the Art 7(2), 48-63.
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