अर्थ
संवेदी या मनोवैज्ञानिक इनपुट के प्रति की जाने वाली प्रतिक्रिया के लिए संज्ञानात्मक संसाधनों को इकट्ठा करने में लगने वाले श्रम को अवधान कहा जाता है।
साधारण
शब्दों में, बाहरी या आंतरिक उद्दीपकों के लिए स्वैच्छिक या अनैच्छिक रूप से ध्यान देने की प्रक्रिया।
परिभाषा
उद्दीपकों
के
एक
समूह
में
से
कुछ
उद्दीपकों को चुनने की प्रक्रिया को आमतौर पर अवधान कहा जाता है (NCERT, XI)।
ऐसी स्थिति
जिसमें व्यक्ति के संज्ञानात्मक संसाधन पर्यावरण के कुछ विशिष्ट पहलुओं पर ही केंद्रित होते हैं और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र उद्दीपकों के प्रति प्रतिक्रिया करने की तत्परता की स्थिति में होता है (एपीए)।
संक्षेप
में,
किसी
विशिष्ट उद्दीपक के प्रति केंद्रित जागरूकता की स्थिति को अवधान कहा जाता है।
अवधान मुख्यतः चार प्रकार का होता है: -
(i) सतत (Sustained) अवधान
(ii) चयनात्मक (Selective) अवधान
(iii) विभाजित (Divided) अवधान
(iv) वैकल्पिक (Alternating) अवधान
(i) सतत (Sustained) अवधान – एक ही उद्दीपक पर लंबे समय तक ध्यान केंद्रित करने की मानसिक क्षमता को सतत अवधान कहा जाता है। उदाहरण के लिए, मूवी देखना, डी जे फ्लोर पर डांस करना, किताब पढ़ना, व्याख्यान सुनना, कोई व्यंजन या पेंटिंग बनाना आदि। इसे अवधान-विस्तार (एक समय में एक उद्दीपक पर केंद्रित रहने की क्षमता) (Span of Attention) के रूप में भी जाना जाता है। अभ्यास से इस प्रकार के अवधान की अवधि और गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है।
(ii) चयनात्मक (Selective) अवधान – इसे जानबूझकर (Intentional) ध्यान देने की प्रक्रिया के रूप में भी जाना जाता है। इसका मतलब है उद्दीपकों के समूह में से किसी एक उद्दीपक का चयन करना या उस पर ध्यान केंद्रित करना। जिन उद्दीपकों को अप्रासंगिक (irrelevant) माना जाता है, उन्हें चुनकर अलग या खारिज कर दिया जाता है क्योंकि ऐसे उद्दीपक अवधान की प्रक्रिया में दखल दे सकते हैं। उदाहरण के लिए, शोर-शराबे के बीच अपना नाम सुनना।
(iii) विभाजित (Divided) अवधान – एक साथ एक से अधिक है उद्दीपकों या घटनाओं पर ध्यान केंद्रित रखने की क्षमता को विभाजित
अवधान कहा जाता है। इस प्रकार
के
अवधान
के
लिए
एक
ही
समय
में
कई
उद्दीपकों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए संज्ञानात्मक संसाधनों को विभाजित किया जाता है। इसे मल्टीटास्किंग के रूप में भी समझा जा सकता है अर्थात जो व्यक्ति एक साथ कई काम करता है उसे मल्टीटास्किंग कहते हैं। उदाहरण के लिए ड्राइविंग के करते समय संगीत सुनना। निरंतर अभ्यास के माध्यम से विभाजित अवधान में भी सुधार किया जा सकता है। हालांकि, कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि एक साथ एक से अधिक वस्तुओं पर हमारा ध्यान बनाए रखना संभव नहीं होता है; बल्कि होता ये है की हमारा ध्यान कार्यों के बीच तेजी से शिफ्ट होता रहता है।
(iv) वैकल्पिक (Alternating) अवधान – एक साथ विभिन्न उद्दीपकों के बीच एकाग्रता को शिफ्ट या स्विच करने की क्षमता को वैकल्पिक
(Alternating) अवधान कहा जाता है।
वैकल्पिक अवधान संज्ञानात्मक संसाधनों में पाये जाने वाले लचीलेपन
को इंगित करता है। इस तरह का अवधान
सबसे
अधिक
किसी
बिक्री केन्द्र में काम करने वाले सेल्समैन में पाया जाता है जो एक ही समय में कई सारे ग्राहकों को सेवा देता है।
उपरोक्त चर्चित अवधान के प्रकारों के अलावा
विभिन्न पुस्तिकाओं और पुस्तकों में अवधान के निम्नलिखित प्रकारों पर भी प्रकाश डाला
गया है:
-
(i) प्राथमिक (Primary) अवधान;
(ii) सहज या निष्क्रिय (Effortless) अवधान;
(iii) बाह्य (External) अवधान;
(iv) आंतरिक (Internal) अवधान;
(v) अनैच्छिक (Involuntary)अवधान;
(vi) पश्च-स्वैच्छिक (Post-voluntary)अवधान;
(vii) गौण (Secondary) अवधान;
(viii) स्थानिक (Spatial) अवधान;
(ix) दृश्य (Visual) अवधान;
(x) श्रवण (Auditory) अवधान।
संदर्भ:
1. NCERT,
XI Psychology Text book.
2. https://www.bitbrain.com/blog/what-is-attention-types.
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