परिभाषा
“मनोविज्ञान व्यवहार प्रबंधन का वैज्ञानिक अध्ययन है” (
डॉ राजेश वर्मा)
“मनोविज्ञान को मानसिक प्रक्रियाओं, अनुभवों और विभिन्न संदर्भों में व्यवहारों का अध्ययन करने वाले विज्ञान के रूप में परिभाषित किया गया है” (एन सी ईआर टी, XI).
मनोविज्ञान के छात्रों को क्या अध्ययन करना चाहिए?
सरलतम शब्दों में ‘व्यवहार’को मनोविज्ञान के अध्ययन की धुरी माना जाता है। सामान्यतः व्यवहार को उन क्रियाओं द्वारा परिभाषित किया जाता है जिनका वस्तुनिष्ठ पर्यवेक्षण संभव होता है जैसे हाथ से किये गए इशारे, चेहरे के भाव, मौखिक प्रतिक्रिया आदि। लेकिन यह एक व्यापक मनोवैज्ञानिक अवधारणा है जिसके जीव के लिए व्यापक प्रभाव और अनुप्रयोग हैं। यह जैविक और संज्ञानात्मक गतिविधियों की अंतःक्रिया मस्तिष्क के भीतर मन के माध्यम से चलती है, का उत्पाद है जिसे मानसिक प्रक्रिया के रूप में जाना जाता है।
मनोविज्ञान के अध्ययन में महत्वपूर्ण ‘मानसिक प्रक्रिया’ को समझने और सटीक शोध में आसानी के लिए इसे विभिन्न विषयों में उप-विभाजित किया गया है। यह मनोविज्ञान विषय की नींव है और मनोवैज्ञानिक अवधारणाओं और सिद्धान्तों को समझने में मदद करता है।
मनोविज्ञान की बुनियादी समझ के लिए निम्नलिखित अवधारणाओं का अध्ययन किया जाना चाहिए
1. व्यवहार के जैविक आधार (प्रकृति) – व्यवहार में ग्रंथियों, तंत्रिका तंत्र और आनुवंशिक कारकों की भूमिका।
2.
मानव व्यवहार को प्रभावित करने वाले सामाजिक-सांस्कृतिक कारक (पोषण) – व्यवहार पर अन्य लोगों की उपस्थिति और पर्यावरण का प्रभाव अर्थात सामाजिक-सांस्कृतिक
कारक।
3.
संवेदना, प्रयत्क्षण और भ्रम – इंद्रियों द्वारा सूचना का ग्रहण, इंद्रियों द्वारा प्राप्त जानकारी से सचेतन रूप से अवगत होने की प्रक्रिया और वास्तविकता से बेमेल प्रयत्क्षण।
4. ध्यान, चिंतन और समस्या समाधान – बिना किसी दुसरे उद्दीपक पर ध्यान लगाए किसी एक उद्दीपक पर चयनात्मक एकाग्रता, किसी उद्देश्य के लिए सूचना का प्रसंस्करण, किसी समस्या के समाधान की प्रक्रिया।
5.
अधिगम – अनुभव के कारण व्यवहार में स्थायी परिवर्तन।
6.
बुद्धि – एक व्यक्ति की तर्कसंगत रूप से सोचने, उद्देश्यपूर्ण कार्य करने वातावरण से प्रभावी ढंग से निपटने की सकल और सार्वभौमिक क्षमता।
7.
व्यक्तित्व – व्यक्तियों और स्थितियों के अनुसार व्यक्ति की विशिष्ट और अनूठी
व्यक्तिगत प्रतिक्रिया देने का एक स्वरूप।
8. भाषा अधिग्रहण और इसके प्रभाव – भाषा सीखना और इसका उचित उपयोग।
9. मानव विकास – विकास प्रगतिशील, व्यवस्थित और ऐसे परिवर्तन को कहते हैं जिसका पूर्वानुमान लगाया जा सके जो गर्भाधान के समय शुरू होता है और जीवन भर जारी रहता है (NCERT)।
10.
मानसरोग निदान (Psychopathology)
– असामान्य और कु-अनुकूलित व्यवहार यानी मनोवैज्ञानिक विकारों, उनके निदान, कारण का अध्ययन और उपचार।
11.
मानस-मिति (साइकोमेट्रिक्स) – मनोवैज्ञानिक गुणों के मापन और मूल्यांकन के सिद्धांत और तकनीक का अध्ययन।
12.
व्यक्तिगत अंतर – व्यक्तियों का विभिन्न प्रकार का व्यवहार और उसके प्रति प्रतिक्रिया सेट।
13.
मनो-शारीरिक स्वास्थ्य – मनोवैज्ञानिक
और शारीरिक स्वास्थ्य के बीच का संबंध।
14. अभिप्रेरणा – वह प्रक्रिया जिसके द्वारा गतिविधियों को शुरू किया जाता है, निर्देशित किया जाता है, और जारी रखा जाता है ताकि शारीरिक और मनोवैज्ञानिक आवश्यकताएं पूरी हों सके
(Ciccarelli & Meyer, 2016).
15. चेतना: परिवेश और घटनाओं के बारे में जागरूकता,
नींद – यह चेतना की बदली हुई स्थिति की होती है,
सपने – मानसिक गतिविधियों कियादृच्छिक कल्पना,
सम्मोहन - एकाग्रता की केंद्रित स्थिति जिसमे सुझावग्रहणशीलता उच्च स्तर पर होती है।
16. स्मृति
– सूचना प्राप्त करने, संगठन करने, संग्रहीत करने और प्राप्त करने की मनो-शारीरिक प्रणाली, और विस्मरण – संग्रहीत विषयवस्तु एवं सूचना को याद करने में असफलता।
17. संवेग
– एक शारीरिक उत्तेजना की स्थिति जिसे व्यवहार के माध्यम से महसूस और व्यक्त किया जाता है।
संदर्भ :
1. NCERT, XI Psychology Text book.
2. Goodwin, C. J. (2008). A History of Modern Psychology.
Hoboken: John Wiley & Sons.
4. Ciccarelli, S. K. & Meyer, G. E. (2016). Psychology.
Noida: Pearson India.
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