“कल्पना ज्ञान से ज्यादा महत्वपूर्ण होती है …” – अल्बर्ट आइंस्टीन
“सही मायनों में हर व्यक्ति एक मनोवैज्ञानिक होता है। – डॉ राजेश वर्मा
“मनोविज्ञान अक्सर सामान्य (आम) धारणा के खिलाफ चलता है”– 1975 में ड्वेक ने अपने एक प्रयोग के माध्यम से इसे सिद्ध करके दिखाया था।
अर्थ
Psychology (मनोविज्ञान) शब्द दो ग्रीक शब्दों Psyche + Logos से बना है।
Psyche का अर्थ होता है ‘आत्मा’ Logos का अर्थ होता है ‘विज्ञान या किसी विषय का अध्ययन’। इसलिये मनोविज्ञान को शुरुआत में आत्मा या मन का विज्ञान माना जाता था (एनसीईआरटी)।
लेकिन अब मनोविज्ञान व्यवहार औरअंतर्निहित मानसिक प्रक्रियाएँ के अध्ययन का विज्ञान है।
परिचय
मनोविज्ञान दर्शनशास्त्र से ही निकला है। यह जैविक, सामाजिक, संज्ञानात्मक, स्थितिजन्य आदि विभिन्न कारकों के संदर्भ में मानव व्यवहार की जटिलताओं को समझने का प्रयास करता है। मानव व्यवहार को समझने और उसकी व्याख्या करने के लिए यह जैविक और सामाजिक विज्ञान दोनों की विधियों का उपयोग करता है। इसका अध्ययन क्षेत्र बहुत विस्तृत हैं, जैसे, व्यक्ति, समूह एवं संगठन। यह मानसिक स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं, प्रत्यक्षण, मस्तिष्क और व्यवहार, ध्यान, तनाव, संवेगों, बुद्धि, प्रेरणा, मस्तिष्क की कार्यशीलता, पारस्परिक संबंधों, समूह व्यवहार और इसकी गतिशीलता, लचीलापन और व्यक्तित्व के बीच संबंध का अध्ययन करता है।
पारंपरिक भारतीय साहित्य में क्षणिक ‘स्व और अनन्त अपरिवर्तनशील ‘आत्मा (विकिपीडिया) के बीच स्पष्ट अंतर को मनोविज्ञान का एक महत्वपूर्ण स्रोत माना जाता है।
परिभाषा
“मनोविज्ञान व्यवहार प्रबंधन का वैज्ञानिक अध्ययन है” (डॉ राजेश वर्मा)
“मनोविज्ञान को मानसिक प्रक्रियाओं, अनुभवों और विभिन्न संदर्भों में व्यवहारों का
अध्ययन करने वाले विज्ञान के रूप में परिभाषित किया गया है”(एन सी ईआर टी, XI).
“मनोविज्ञान मानसिक जीवन की घटना और स्थिति दोनों के अध्ययन का विज्ञान है”
(विलियम जेम्स, 1880).
(विलियम जेम्स, 1880).
परिभाषा के तीन मुख्य घटक
1.
व्यवहार – सभी बाहरी या प्रत्यक्ष क्रियाएं और प्रतिक्रियाएं जैसे कि बात करना, चेहरे की अभिव्यक्ति और संचलन
(movements) आदि
(Ciccarelli & Meyer, 2016)। दूसरे शब्दों में वो सभी अनुक्रियाएँ, प्रतिक्रियाएँ और गतिविधियाँ जो हम सब करते हैं।
2.
मानसिक प्रक्रियाएँ – सभी अंदरूनी संज्ञानात्मक गतिविधियाँ (सोच, प्रत्यक्षं, याद करने की प्रक्रिया, महसूस करना, जानना, सीखना, ध्यान देना)।
3.
अनुभव – वे घटनाएँ जो हमारी जागरूकता या चेतना में अंतर्निहित होते हैं। इनकी प्रकृति व्यक्तिपरक होती है और किसी अन्य व्यक्ति द्वारा इन्हे जाना नहीं जा सकता है।
मनोविज्ञान की दो समानांतर धाराएँ
धारा ए (मनोविज्ञान एक प्राकृतिक विज्ञान के रूप में) – यह भौतिक और जैविक विज्ञान की विधियों तथा व्यवहार को समझने के लिए जैविक सिद्धांतों का उपयोग करता है। सिद्धांत–परिकल्पना–परीक्षण–यदि आवश्यक हो तो संशोधन।
धारा बी (सामाजिक विज्ञान के रूप में मनोविज्ञान) – यह सामाजिक और सांस्कृतिक विज्ञान की विधियों का उपयोग करता है। यह व्यक्ति और उसके सामाजिक-सांस्कृतिक
वातावरण के बीच व्यवहार की व्याख्या पर अपना ध्यान केंद्रित करता है।
मन और व्यवहार के बीच सम्बन्ध
मन और व्यवहार एक-दूसरे से संबंधित होते हैं। यह न्यूरोसाइंटिस्ट द्वारा प्रयोगों के माध्यम से साबित भी किया गया है जो बताता है कि सकारात्मक मानसिक-दर्शन (Visualization) शरीर में सकारात्मक शारीरिक परिवर्तन ला सकता है (ऑर्निश, 1990)। कल्पना का उपयोग विभिन्न प्रकार के डर (फोबिया), शारीरिक बीमारी जैसे कि धमनियों में रुकावट आदि को ठीक करने के लिए किया जाता है। कल्पना शारीरिक प्रतिक्रियाओं के एक पूरे वर्णक्रम (स्पेक्ट्रम) की शुरुआत कर सकती है जो हमारे स्वास्थ्य और कल्याण में मदद या बाधा डाल सकती है । प्रेत-अंग (Phantom limbs) की अवधारणा या असली माता-पिता को ढोंगी माता-पिता समझनेका काम ‘मन’ का ही करा धरा होता है।
मनोविज्ञान की कुछ महत्वपूर्ण शाखाएँ
1. संज्ञानात्मक मनोविज्ञान,
2. जैविक मनोविज्ञान,
3. तंत्रिकातंत्रमनोविज्ञान,
4. विकासात्मक मनोविज्ञान,
5. सामाजिक मनोविज्ञान,
6. सांस्कृतिक मनोविज्ञान,
7. पर्यावरणमनोविज्ञान,
8. स्वास्थ्य मनोविज्ञान,
9. नैदानिक और परामर्श मनोविज्ञान,
10. औद्योगिक / संगठनात्मक मनोविज्ञान,
11. शैक्षणिक मनोविज्ञान,
12. खेल मनोविज्ञान,
13. फोरेंसिक मनोविज्ञान,
14. बाल एवं महिला मनोविज्ञान और
15. सैन्य मनोविज्ञान आदि।
संदर्भ:
1. NCERT, XI Psychology Text
book.
2. https://www.ornish.com/zine/stress-free-sunday-imagery/
Nice
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