Monday, April 8, 2019

बाल्यावस्था की विशेषताएँ



अर्थ
            बचपन, शैशवावस्था और वयस्कता के बीच की अवधि होती है यानी 2 से 13 या 14 वर्ष तक। इस अवधि के दौरान विकास शैशवावस्था की तुलना में अपेक्षाकृत धीमा होता है। हालाँकि इस अवस्था के दौरान एक बच्चे की शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, सामाजिक और भाषा के विकास में गुणात्मक और मात्रात्मक विकास होता है। यह अपेक्षाकृत धीमी वृद्धि की गति और तेज विकास की गति की अवधि मानी जाती है। यह जिज्ञासा, अवलोकन और प्रयोग का काल होता है। इस अवस्था में बच्चा चलना, दौड़ना, कूदना और गेंद से खेलना सीखता है। और इस अवस्था में ही बच्चा अच्छे और बुरे में अंतर करना शुरू कर देता है। इसे दल/गिरोह की उम्र के रूप में भी जाना जाता है।

विशेषताएँ
1.         अपेक्षाकृत धीमी शारीरिक वृद्धिबाल्यावस्था में वृद्धि प्रक्रिया शैशवावस्था से अपेक्षाकृत धीमी होती है। इस दौरान बच्चे की प्रतिरक्षा और प्रतिरोधक क्षमता तीव्र गति से विकसित होती है।
2.         अवलोकन और प्रयोग के द्वारा सीखना बच्चे ज्यादातर अवलोकन और अन्वेषण के द्वारा सीखते हैं (रोल मॉडल) और इसी के आधार पर वस्तुओं और चीजों के बारे में अपनी अवधारणाएं विकसित करते हैं।
3.         अत्यधिक जिज्ञासाबच्चे अति जिज्ञासु व्यवहार प्रदर्शित करते हैं और उम्मीद करते हैं कि उनके सवालों का जवाब माता-पिता और शिक्षकों द्वारा प्राथमिकता के आधार पर दिया जाना चाहिए।
4.         शारीरिक गतिविधियाँइस अवस्था के दौरान बच्चे शारीरिक गतिविधियों में ज्यादा संलग्न होते हैं और उनसे लगातार सीखते रहते हैं। दिलचस्प रूप से बच्चे हार्मोनल हस्तक्षेप के कारण बैठना बहुत कम
पसंद करते हैं।
5.         संज्ञानात्मक क्षेत्र में तेजी से वृद्धिबच्चे वस्तुओं की मानसिक अवधारणा विकसित करना शुरू कर देते हैं। उनमे  वस्तु स्थायित्व का गुण, आत्म-केंद्रिता का भाव (self focus), जीवात्मवाद (यह सोचना
की सभी वस्तुओं में जीवन होता है) और तार्किक विचारों के विकास की प्रक्रिया शुरू हो जाती है
6.         भाषा अर्जन और शब्दावली में वृद्धि – Vygotsky के अनुसार भाषा एक सामाजिक अवधारणा है जिसे कई प्रकार की अंतःक्रिया एवं अनुभव के परिणामस्वरूप सीखा जाता है। चॉम्स्की का दावा है कि बच्चे भाषा अर्जन उपकरण और सार्वभौमिक व्याकरण के साथ पैदा होतेहैं। ये सिद्धांत सिद्ध करते हैं कि भाषा सीखने और शब्दावली में वृद्धि के लिए बचपन, जीवन का  महत्वपूर्ण चरण होता है।
7.         लिंग में अंतरइस अवस्था के दौरान (लगभग 7-8 वर्ष) बच्चे जैविक विशेषताओं के आधार पर लिंग के बीच अंतर करना सीख लेते हैं जबकि शुरुआती बाल्यावस्था में वे ये अंतर व्यक्ति के कपड़ों के आधार पर करते हैं।
8.         युक्तिसंगत विचार प्रक्रियावह विचार प्रक्रिया जो बचपन के शुरुआती दौर में कम तर्कसंगत होती थी अब वह तर्कसंगतता  के विकास की और बढ़ चलती है। इस बात का अंदाजा बच्चे द्वारा बड़ों से पूछे गए तार्किक प्रश्नों और वयस्कों जैसे वाक्यांशों के उपयोग से लगाया जाता है।
9.         गतिकीय कौशलप्रारंभिक बाल्यकाल में बच्चे फुदकना, कूदना, दौड़ना आदि जैसे गतिकीय कौशलों में अधिक संलग्न रहते हैं। विकास और वृद्धिके साथ ये कौशल उत्कृष्ट होते जाते हैं। इस अवधि के दौरान बच्चे वस्तुओं को उठाने में अंगूठे और तर्जनी का प्रयोग करना शुरू कर देते हैं, उनके हाथों और आंखों का समन्वय विकसित होने लगता है, वे पहेलियाँ हल करना शुरू कर देते हैं इत्यादि। बाएं या दाएं हाथ के लिए वरीयता भी इस अवधि के दौरान ही विकसित होती है।
10.       इन्द्रियों का विकासदृष्टि, स्पर्श, श्रवण, स्वाद और घ्राण सम्बन्धी इन्द्रियों का विकास नए स्तर पर पहुँच जाता है।
11.       सामाजिक-भावनात्मक विकाससामाजिक-भावनात्मक विकास कुछ महत्वपूर्ण आयामों जैसे स्व (मैं कौन हूँ?), लिंग और नैतिकता (सही और गलत या अच्छे और बुरे के बीच अंतर का ज्ञान) के इर्द-गिर्द घूमता हैं। ये आयाम व्यक्ति की पहचान बनाने और व्यक्तित्व विकास की प्रक्रिया की शुरुआत करते हैं।
12. प्रत्यक्षणात्मक (Perceptual) विकासये वो मनोवैज्ञानिक प्रक्रियाएं होती है जिनमें मानव मस्तिष्क इन्द्रियों के माध्यम से प्राप्त सूचना को संसाधित करता है। बच्चा अग्रभूमि और पृष्ठभूमि तथा आकार और आकार में स्थिरता के बीच के संबंधों को सीख लेता है।

संज्ञानात्मक विकास  (जीन पिआजे के अनुसार )पिआजे ने 2-7 वर्ष के समय कोपूर्व-संक्रियात्मक अवस्था कहा है, जिसके दौरान बच्चों में प्रतीकात्मक विचार विकसित होने लगते हैं और वस्तु स्थायित्व की अवधारणा विकसित हो जाती है। लेकिन इस अवस्था के बच्चे के लिए किसी वस्तु के विभिन्न भौतिक गुणों का समन्वय करना मुश्किल होता है। दूसरे चरण (7-12 वर्ष) को पिआजे नेमूर्त संक्रियात्मक अवस्कहा है जिसके दौरान बच्चे मूर्त घटनाओं के बारे में तार्किक रूप से सोचने लगते हैं घटनाओं और वस्तुओं को अलग - अलग सेट में वर्गीकृत करने में सक्षम होते है। इसके साथ-साथ बच्चे प्रतिवर्ती क्रियाएं भी मानसिक रूप से करने में सक्षम हो जाते हैं।

16 comments:

  1. balyavastha ki vishesta or balyavasth ke vikas ki vishesta dono alg h kya

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  2. हाँ दोनों अलग होते हैं। बाल्यावस्था अलग घटना होती और बाल्यावस्था का विकास एक अलग घटना होती है।

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