समाजमिति का अर्थ
“संबंधों का मापन”
“दो
लोगों के बीच पारस्परिक सम्बन्धों के मापन को समाजमिती कहा जाता है”
(जे. एल. मोरेनो, 1951).
समाजमिति
की परिभाषा
एक
समूह की
संरचना का
अध्ययन करने
और उस
समूह के
प्रत्येक व्यक्ति के पारस्परिक सामाजिक संबंधों की स्थिति
को मापने
की तकनीक
को समाजमिति के रूप
में जाना
जाता है।
यह समूह
के सदस्यों के बीच
मौजूद सामाजिक संबंधों का
एक माप
है।
परिचय
सामाजिक शोध
की यह
तकनीक स्वीकार करती है
कि मनुष्य
चुनाव करते
हैं या
विकल्प खोजते
हैं। ये
विकल्प (सकारात्मक और नकारात्मक) न केवल
हमारे सामाजिक संबंधों को
परिभाषित करते
हैं बल्कि
इन संबंधों की डिग्री
को भी
परिभाषित करते
हैं ।
विकल्प
– हम कक्षा
में किसके
साथ बैठते
हैं।
हम किसके साथ
भोजन कर
सकते हैं।
हम किसके साथ
सबकुछ साझा
करना पसंद
करते हैं।
समाजमिति विधि
समाजमिति की मूल आवश्यकता एक समाजमितिक परीक्षण होता है। इस परीक्षण की कुछ आवश्यकताएं भी होती हैं जो नीचे दि गई हैं: :
1. उत्तरदाता या प्रतिभागी को समूह की सीमाओं के बारे में सूचित किया जाना चाहिए।
2. प्रतिभागी के सामने असीमित विकल्प होने चाहिए।
3. प्रतिभागी की किसी व्यक्ति के p`it स्वीकृति या अस्वीकृति किसी विशिष्ट मानदंड पर ही होनी चाहिए।
4. समूह को परीक्षण के परिणामों के आधार पर पुनर्गठित किया जाना चाहिए।
5. प्रतिभागी द्वारा लोगों की स्वीकृति या अस्वीकृति उसकी व्यक्तिगत राय के आधार पर ही होनी चाहिए और उसकी व्यक्तिगत राय को गुप्त रखा जाना चाहिए ।
6. समाजमितिक मानदंड (प्रश्न/कथन) प्रतिभागी द्वारा स्पष्ट रूप से समझा जाना चाहिए।
समाजमिति मानदंड
‘विकल्प’समाजमिति का आधार होते हैं और विकल्प कुछ मानदंडों पर आधारित होते हैं। वो मानदंड जिस पर विकल्प आधारित होते हैं उन्हें समाजमिति मानदंड कहा जाता है जो एक कथन या प्रश्न हो सकता है। यह उन पारस्परिक संबंधों के आयामों और डिग्री का वर्णन करता है जिनका अध्ययन किया जाना है।
समाजमिति मानदंड सकारात्मक या ऋणात्मक हो सकता है।
1. सकारात्मक - यह मानदंड सकारात्मक परिणामों को प्रकट करता है जैसे 'क्या आप कक्षा चर्चा में भाग लेना चाहते हैं?'। यह स्वीकृति खोजता है।
2.
ऋणात्मक - यह मानदंड नकारात्मक परिणामों को प्रकट करता है जैसे 'उस छात्र का नाम दें जिसके साथ आप बैठना नहीं चाहते हैं'। यह अस्वीकृति खोजता है ।
कार्यविधि
चयनित समाजमिति मानदंड उत्तरदाता को दिया जाता है और उससे दिए गए मानदंड के आधार पर उसके विकल्पों को पूछा जाता है। इसी प्रकार समूह के अन्य सदस्यों के विकल्प भी उसी मानदंड पर लिए जाते हैं। अंत में, उनकी प्रतिक्रियाओं को एक आरेख द्वारा दर्शाया जाता है जिसे 'सोसिओग्राम‘कहा जाता है।
सोसिओग्राम
‘सोसिओग्राम’ समाजमितिक विधि के परिणामों
को दर्शाता है। यह समूह के सदस्यों के आपसी रिश्तों की एक उत्तम प्रकट प्रस्तुति होती
है। 'सोसिओग्राम' समूह के सदस्यों के पारस्परिक संबंधों को समझने की एक उत्कृष्ट तकनीक
है।
समाजमिति विधि के उपयोग
1.
समाजशास्त्र, सामाजिक मनोविज्ञान और अन्य सामाजिक विज्ञान में शोध के लिए।
2. समूह और सामाजिक विचार-विमर्श की गतिशीलता के अध्ययन, निदान और पूर्वकथन के लिए (Albani Laguna,
2018).
3. समूह में संबंधों के सकारात्मक या नकारात्मक पैटर्न का पता लगाने के लिए।
4. समूह की संरचना और उपखंडों को निर्धारित करने के लिए।
5. कक्षा में छात्रों में आपसी संबंधों में सुधार करने के लिए।
6. समूह में किसी व्यक्ति के अस्तित्व की पहचान करने के लिए।
7. ‘समूह पहचान’ के परिमाण के अध्ययन करने के लिए।
8. शैक्षिक संस्थानों, रक्षा सेवाओं, पेशेवर और अन्य सभी उन संस्थानों में उपयोग किया जाता है जहां व्यक्तियों के समूह शामिल होते हैं।
Bohot dhanyawad sir, ummid hai ap b.ed k pathyakram par adharit vishayon ki jankari dete rahenge, hamari pathyapustak me samajmiti vidhi ka kahin ullekh nahi hai parantu ye syllabus me hai,
ReplyDeleteThanks once again sir.
Sure. I will try to meet your needs. Thanks for your feedback.
DeleteReally is cuncepet absulutlly right
ReplyDeleteThanks for your feedback
DeleteThank you Sir.. this is really helpful.
ReplyDeleteThanks for your feedback.
DeleteGood
ReplyDeleteThanks
DeleteThis is very useful fo us thanku sir🙏
ReplyDeleteThanks for your feedback.
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