परिचय
माँ के गर्भ के प्राकृतिक वातावरण में शिशु सुरक्षित रहता है। शिशु के लिए जन्म प्रक्रिया कठिन और दर्दनाक होती है। जन्म के बाद का वातावरण पूरी तरह से अलग होता है जिसमें शिशु को समायोजन की आवश्यकता होती है क्योंकि बाहरी वातावरण ठंडा, चमकदार, और शोर शराबे से युक्त होता है। जन्म के पश्चात् वह भूख और प्यास का अनुभव करता है। शिशु को बाहरी चुनौतियों से निपटने और जीवित
रहने के लिए समायोजन और अनुकूलन करना पड़ता है।
1. तापमान में परिवर्तन सम्बन्धी समायोजन – माँ के गर्भ के (आंतरिक) तापमान (100 डिग्री F या 37.78 डिग्री सेल्सियस) और बाहरी तापमान के बीच के अंतर को देखते हुए
शिशु को जिंदा रहने के लिए त्वरित समायोजन की आवश्यकता होती है।
2. श्वसन सम्बन्धी समायोजन – जन्म से पहले गर्भनाल बच्चे को ऑक्सीजन प्रदान करती है लेकिन जन्म के बाद जब गर्भनाल को काट कर अलग कर दिया जाता है तो उस समय शिशु को स्वयं साँस लेने की जरूरत होती है जिसमे देरी करना घातक हो सकता है।
3. निष्कासन सम्बन्धी समायोजन – शिशु के मल-मूत्र निष्कासन सम्बन्धी अंगों को जन्म के तुरंत बाद काम शुरू करना अति आवश्यक होता है। जन्म से पहले गर्भनाल द्वारा जिन अपशिष्ट पदार्थों को समाप्त कर दिया जाता था उनको अब इन अंगों के माध्यम से निष्कासित करना होता है।
4. पोषण सम्बन्धी समायोजन – जन्म से पहले गर्भनाल बच्चे को पोषण प्रदान करती है लेकिन जन्म के बाद जब गर्भनाल को काट कर अलग किया जाता है, तो शिशु को चूसने और निगलने की प्रक्रिया से पोषण प्राप्त करना होता है। चूसने और निगलने की प्रक्रियाएं जन्म के समय कम विकसित होती हैं जिसके परिणामस्वरूप शिशु आवश्यकता से कम पोषण ग्रहण कर पाता है जिसके कारण उसका वजन घट जाता है।
समायोजन प्रक्रिया की असफलता के परिणाम
1. जन्म के पहले सप्ताह में शिशु का वजन तेजी से कम होता है।
2. लगभग एक सप्ताह तक शिशु विभेदित और अव्यवस्थित व्यवहार प्रदर्शित करता है। यह कपाल संचलन (Cranial Circulation) और शारीरिक समस्थिति (homeostasis) में असंतुलन के कारण
होता है।
3. संक्रमण और अंगों की कार्य न करने की संभावना।
4. उच्च शिशु मृत्यु दर।
शिशु की प्राथमिक देखभाल माँ करती है, इसलिए उसे पहले से ही इन जोखिमों से अवगत कराया जाना चाहिए ताकि वह अपने शिशु की उचित देखभाल कर सके और उसे इन जोखिमों से बचा सके। परिवार के सदस्यों को भी शिशु एवं उसकी माँ की आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। उन्हें माँ और बच्चे को सुरक्षित और स्वस्थ (मनोवैज्ञानिक और शारीरिक रूप से) रखने के लिए आवश्यक व्यवस्था करनी चाहिए।
References:
1. NCERT,
XI Psychology Text book.
2. https://www.imbalife.com/major-adjustment-of-infancy-and-different-kinds-of-birth.
3. https://opentextbc.ca/anatomyandphysiology/
chapter/28-5-adjustments-of-the-infant-at-birth-and-postnatal-stages/
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