Monday, July 4, 2022

मनोव्याधि मनःशास्त्र का जैविक मॉडल

 जैविक मॉडल की मान्यता

 मनोवैज्ञानिक विकार जैविक कारणों से उत्पन्न होते हैं।

 जैविक कारण

1. मस्तिष्क

2. तंत्रिका तंत्र

3. आनुवंशिकी

4. अंतःस्रावी ग्रंथियां प्रणाली

 
मस्तिष्क

1.         मस्तिष्क की संरचना - मस्तिष्क की दोषपूर्ण संरचना व्यक्ति में मनोवैज्ञानिक विकारों को जन्म दे सकती है। उदाहरण के लिए मनोविदलता से ग्रसित व्यक्तियों  में मस्तिष्क के टेम्पोरल और फ्रंटल लोब में ग्रे मैटर की मात्रा 25% कम होती है। ये क्षेत्र एपिसोडिक मेमोरी, श्रवण सूचना के प्रसंस्करण और अल्पकालिक स्मृति / निर्णय लेने आदि से संबंधित होते हैं। सामान्यतः ये अनुवांशिक कारणों से उत्पन्न होते हैं। लिम्बिक सिस्टम में घाव होने पर मनोदशा में परेशानी आनी लगती है। इनके अध्ययन और निदान के लिए गैर इनवेसिव तकनीक जैसे  fFMRI, MRI, PET स्कैन का  सहारा लिया जाता है।

2.         न्यूरोट्रांसमीटर - न्यूरोट्रांसमीटर संश्लेषण में गड़बड़ी, सूचना परिवहन में बाधा। अधिक या कम मात्रा में न्यूरोट्रांसमीटर का होना कई विकारों को जन्म दे सकता है। उदाहरण के लिए डोपामाइन और नॉरपेनेफ्रिन की मात्रा में वृद्धि से उन्माद उत्पन्न हो सकता है।

3.         तंत्रिका संचरण - असामान्य तंत्रिका गतिविधि में व्यवधान से मानसिक विकार हो सकते हैं जैसे सेरोटोनिन या नॉरपेनेफ्रिन के संचार में व्यवधान अवसाद, दुश्चिंता या मनोदशा विकार पैदा कर सकता है।

 तंत्रिका प्रणाली

            इसमें दो प्रमुख घटक होते हैं यानी केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (CNS) और परिधीय तंत्रिका तंत्र (PNS)। सीएनएस - मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी से मिलकर बनता है। यह इंद्रियों के माध्यम से प्राप्त सूचनाओं को प्राप्त करता है, संसाधित करता है और स्थानांतरित करता है। यहां तक कि बाद में उपयोग (स्मृति) के लिए सूचनाओं को संग्रहीत भी करता है।

            PNS - इसके अलावा यह दो प्रकार का होता है यानी स्वायत तंत्रिका तंत्र (ANS) [सिम्पेथेटिक और पैरासिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम] और सोमैटिक नर्वस सिस्टम (SNS)।

            तंत्रिका तंत्र में असामान्यता के कारण उत्पन्न होने वाले मानसिक विकार - अवधान की कमी, बैलिंट सिंड्रोम (एक समय में एक से अधिक वस्तुओं को देखने में असमर्थता) दृश्य ध्यान विकार, निष्क्रिय स्मृति, कार्यकारी कार्यक्षमता में विफलता, अवधारणात्मक समस्याएं एवं मतिभ्रम।

 आनुवंशिकी

            इसका अर्थ होता है विकारों को विरासत में मिलना। जीन कोशिकाओं के निर्माण खंडों, यानी प्रोटीन को कूटबद्ध करते हैं। मानसिक विकारों के लिए जीन में भिन्नता प्रमुख योगदान कारक होता है। जीन न्यूरोट्रांसमीटर के कार्यों और संरचनाओं को बदल देते हैं जिससे कई प्रकार के मानसिक विकार उत्पन्न होते हैं। कई जीनों के परस्पर क्रिया के कारण भी मानसिक विकार उत्पन्न होते हैं।

अनुवांशिकी के कारण उत्पन मानसिक विकार - सिज़ोफ्रेनिया, ऑटिज़्म, मैनिक डिप्रेसिव इलनेस, मेजर डिप्रेशन, अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (एडीएचडी), पैनिक डिसऑर्डर (हाइमन, 2000) और बाइपोलर डिसऑर्डर।

 अंतःस्त्रावी प्रणाली

शरीर में असामान्य रासायनिक गतिविधि यानी कुछ हार्मोन का अत्यधिक कम या बहुत ज्यादा अधिक स्राव विभिन्न मनोवैज्ञानिक विकारों को जन्म दे सकता है। हार्मोन सक्रिय रासायनिक संदेशवाहक होते हैं जो मस्तिष्क और शरीर के अन्य अंगों के बीच संचार स्थापित करते हैं। उनके स्राव में असंतुलन कई मनोवैज्ञानिक विकारों को जन्म दे सकता है।

असामान्य स्राव के कारण उत्पन्न होने वाले मानसिक विकार - कोर्टिसोल का स्राव सीधे दुश्चिंता, दबाव और मनोदशा से संबंधित विकारों के साथ-साथ अवसाद, अनिद्रा, नींद से सम्बंधित अन्य समस्याओं, स्मृति सम्बन्धी समस्या और मनोविकृति आदि  को जन्म दे सकता।

 References:

1.         Verma, L. P. (1965). Psychiatry in ayurveda. Indian J Psychiatry. 1965;7:292.

2.         पांडेय, जगदानंद. (1956). असामान्य मनोविज्ञान. पटना: ग्रंथमाला प्रकाशन कार्यालय।

3.         Coleman, J. C. (1981). Abnormal psychology and modern life.

4.         Karlsgodt, K. H., Sun, D., & Cannon, T. D. (2010). Structural and Functional Brain Abnormalities in Schizophrenia. Current Directions in Psychological Science, 19(4), 226–231. doi:10.1177/0963721410377601. 

5.         https://www.who.int/bulletin/archives/78(4)455.pdf

 

 

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