Friday, December 17, 2021

मनोविदलता के प्रकार

परिभाषा


           ऐसी कार्यात्मक मनोविकृति जिसमें व्यक्ति वास्तविकता से संपर्क खो देता है।

 

           मनोविदलता मानसिक विकारों के एक ऐसे समूह के लिए प्रयोग किया जाता है जिसमे व्यक्ति की सामाजिक अंतक्रिया में कमी होने के साथ साथ, प्रत्यक्षण, विचारों और संवेगों में अव्यवस्थता और विखंडता स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। (Coleman, 1988).

मनोविदलता में निम्न प्रक्रियाओं में विकृतियां होती हैं: -

(i)       चिंतन,

(ii)      प्रत्यक्षण,

(iii)     भाषा, एवं

(iv)     स्वयं और व्यवहार।

 

महत्वपूर्ण कथन

          ICD-11 और DSM V दोनों वर्गीकरण प्रणालियों ने सिज़ोफ्रेनिया के प्रकारों को ख़ारिज कर दिया दिया है। हालाँकि, ICD-10 ने 9 और DSM IV ने 5 उप-प्रकारों पर प्रकाश डाला है।

 

कुछ नैदानिक ​​विशेषताएं

          निदान निम्नलिखित प्रक्रियाओं में उत्पन्न विकारों पर आधारित होता है जो कम से कम 1 महीने के लिए दिखाई दे: -

 (i)      विचार प्रक्रिया,

(ii)      प्रत्यक्षण,

(iii)     आंतरिक अनुभव,

(iv)     अनुभूति एवं इच्छा, एवं

(v)      प्रभाव और व्यवहार।

          मनः-पेशिया प्रणाली में विघ्न (कैटेटोनिया) के साथ निष्क्रियता और नियंत्रण के अनुभव में भी खासी परेशानी होना। ध्यान रहे की ये लक्षण किसी अन्य स्वास्थ्य स्थिति या पदार्थ या दवा के उपयोग या दुरुपयोग के कारण नहीं होने चाहिए।


मनोविदलता के प्रकार

Sr. No.

ICD – 10

DSM-IV

Coleman (1988)

1

पैरानॉयड मनोविदलता

पैरानॉयड प्रकार का

तीव्र प्रकार का

2

हेबेफ्रेनिक मनोविदलता

अव्यवस्थित प्रकार का

पैरानॉयड  प्रकार का

3

तानप्रतिष्टम्भी (कैटेटोनिक )मनोविदलता

कैटेटोनिक प्रकार का

कैटेटोनिक  प्रकार का

4

अविभेदित मनोविदलता

अविभेदित प्रकार का

हेबेफ्रेनिक प्रकार का

5

पोस्ट-सिजोफ्रेनिक डिप्रेशन

अवशिष्ट प्रकार का

साधारण प्रकार का

6

अवशिष्ट मनोविदलता

स्किज़ो-आवेगी  प्रकार का

7

साधारण मनोविदलता

अव्यक्तप्रकार का

8

अन्य मनोविदलता

अवशिष्ट प्रकार का  

9

गैर विशिष्ट मनोविदलता

चिरकालिक-अविभेदित

10

बाल्यावस्था प्रकार का

(i)      

(i)      पैरानॉयड मनोविदलता मतिभ्रम, निर्णय लेने में परेशानी, खतरनाक व्यवहार के साथ बेतुके, अतार्किक और परिवर्तनशील भ्रमों का प्रभावी होना। व्यवहार का अव्यवस्थथित और सामाजिक क्रियाकलापों से दूर होना।

(ii)     हेबेफ्रेनिक मनोविदलताअन्य प्रकार की मनोविदलता की तुलना में कम उम्र में घटित होना। व्यक्तित्व का विघटन। संवेगात्मक विकृति और कुंठित प्रकार के हाव भाव जो आमतौर पर अनुचित हँसी, मूर्खता, शिष्टाचार और विचित्र व्यवहार द्वारा व्यक्त किया जाता है।

(iii)    तानप्रतिष्टम्भी (कैटेटोनिक) मनोविदलता अत्यधिक आत्म-सिकुड़न और उत्तेजना के पर्यायक्रमिक व्यावहारिक प्रकरण। आत्म-सिकुड़न के दौरान व्यक्ति गतिहीन रहता है (घंटों और दिन भी एक साथ) अचानक से उत्तेजित होना, तेज़ आवाज में बात करना या चिल्लाना, तेजी से इधर उधर घूमना, आवेगी और खतरनाक व्यवहार में संलग्न होना।

(iv)    अविभेदित मनोविदलता ऐसे लक्षण व्यक्त करना जो अन्य प्रकार की मनोविदलता से मेल नहीं खाते हों।

(v)     पोस्ट-सिजोफ्रेनिक डिप्रेशनमनोविदलता के हल्के लक्षणों के कभी-कभी दिखाई देने के साथ-साथ  व्यक्ति गंभीर अवसाद (कम से कम 2 सप्ताह के लिए) की स्थिति में चला जाता है। पिछले 12 महीनों के अंदर रोगी द्वारा सिज़ोफ्रेनिया के सामान्य मानदंडों को पूरा करना।

(vi)    अवशिष्ट मनोविदलता मनोविदलता के प्रकरण के बाद हल्के लक्षणों का दिखाई देना।  एक प्रकार का स्किज़ोफ्रेनिक ख़ुमार (ध्वंसावशेष) (hangover)

(vii)   साधारण मनोविदलता कम तीव्रता के अव्यवस्थित  व्यवहार, विचार, एवं प्रत्यक्षण  के लक्षणों की अभिव्यक्ति। यह आमतौर पर कम उम्र के दौरान घटित होता है। मनोविदलता की शुरुआत का एक प्रकार का प्रारंभिक चरण। वास्तविकता से संपर्क पूरी तरह से टूटा नहीं होता है, लेकिन बरकरार भी नहीं रहता है।

(viii)  अन्य मनोविदलता बिना किसी महत्वपूर्ण पिछले एपिसोड या अस्पताल में भर्ती किए बिना मनोविदलता के विभिन्न लक्षणों की अभिव्यक्ति।

(ix)    गैर विशिष्ट मनोविदलतालक्षण जो मनोविदलता के लक्षणों से मिलते जुलते हों लेकिन ऊपर बताए गए किसी भी प्रकार में शामिल नहीं होते हैं।

 

औषधीय उपचार

          आम एंटीसाइकोटिक दवाएं जैसे हेलोपरिडोल (हल्दोल) और रिसपेरीडोन (रिस्परडल) का इस्तेमाल। अनुसंधान से पता चला है कि ये दवाएं मनोविदलता और अन्य मानसिक विकारों के इलाज के किसी भी अन्य एकल रूप की तुलना में अधिक प्रभावी होती हैं, कम से कम 65 प्रतिशत रोगियों में लक्षणों को कम कर देती हैं (ब्रेयर, 2001)

 

मनोविदलता का प्रबंधन

          चिकित्सीय लक्ष्य अवसादग्रस्त लक्षणों से जुड़ी अतिरिक्त रुग्णता और मृत्यु दर को महत्वपूर्ण रूप से कम करना होता है।

(i)       मनो-सामाजिक अवलंब (Support),

(ii)      सामुदायिक और उपचार पश्चात् देखभाल से,

(iii)     परिवार चिकित्सा,

(iv)     औषधीय उपचार, योग और विश्राम तकनीक के सामूहिक इस्तेमाल से,

(v)      सामाजिक कौशल प्रशिक्षण, एवं

(vi)     संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी।

 

सन्दर्भ:

1.       Coleman, C. J. (1988). Abnormal psychology and modern life. Bombay, India: D. B. Taraporevala Sons & Co.

2.       NCERT. (XII). Psychology Book.

3.       DSM V Manual. Published by APA.

 

 

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