अर्थ
हर्लॉक (1978) के अनुसार "गतिकिये विकास का अर्थ है, तंत्रिका केंद्रों, तंत्रिकाओं और मांसपेशियों की समन्वित गतिविधि के माध्यम से शरीर की गतिविधियों पर नियंत्रण"। मोटर विकास का अर्थ है शारीरिक प्रणालियों अंगों, हड्डियों, मांसपेशियों, ऊतकों आदि का विकास। यह पर्यावरण के साथ समायोजन के लिए महत्वपूर्ण होता है क्योंकि बाल्यावस्था तेज विकास और वृधि की अवधि मानी जाती है। यह विकास एक समन्वित तरीके से बच्चे की आस-पास के वातावरण के साथ परस्पर क्रिया करने की क्षमता में सुधार होना होता है। दूसरे शब्दों में, बच्चे द्वारा स्थूल गतिविधियों से स्पष्ट गतिविधियों जैसे कि उंगली का कुशलता से प्रयोग, जीभ का प्रयोग, शरीर के अस्थि जोड़ों में स्पष्ट गतिविधि और संतोषप्रद खेल गतिविधियों की और बढ़ना।
विशेषताएँ
1. व्यक्तिगत अंतर – यद्यपि दुनिया के हर कोने मेंबच्चों में गतिकिये विकास का स्वरूप एक समान पाया जाता है, लेकिन आनुवांशिकी, पर्यावरण, पोषण, पारिवारिक आय और सामाजिक-सांस्कृतिक जैसे कई कारकों के कारण विकास की दर भिन्न- भिन्न हो सकती है।
2. लिंग में अंतर – दोनों लिंगों के बच्चे लगभग 3 वर्ष की आयु तक एक ही दर से विकसित होते हैं। चौथे वर्ष से लड़का और लड़की के बीच गतिकिये विकास में अंतर दिखने लगता है।
3. स्थूल से स्पष्टता की और – शुरुआत में बच्चा स्थूल मोटर गतिविधियां सीखता है जो मांसपेशियों और शरीर के अन्य क्रिया तंत्रों में वृद्धि के साथ स्पष्टता में बदल जाती हैं।
4. पूर्वानुमेय (predictable) क्रम – यह संस्कृतियों और भौगोलिक स्थान के साथ अलग-अलग दर से एक व्यवस्थित और अनुमानित स्वरूप का अनुसरण करता है।
5. सामान्य से विशिष्ट – शुरू- शुरू में बच्चा उद्दीपकों के प्रति सामान्य और स्थूल प्रतिक्रियाएं करता है। यह मांसपेशियों और अन्य शारीरिक प्रणालियों पर अपेक्षाकृत कम नियंत्रण के कारण होता है। जैसे-जैसे बच्चा परिपक्व होता जाता है और मांसपेशियों पर उसका नियंत्रण बढ़ता जाता है उद्दीपकों के प्रति उसकी प्रतिक्रियाएँ भी सामान्य से विशिष्टता की और विकसित होती जाती हैं।
मोटर गतिविधियाँ
1. बच्चे में गतिविधियों के विकास का पहला संकेत तब दिखाई देता है जब बच्चा वस्तुओं को उठाने, पकड़ने और फेंकने लगता है।
2. शैशवावस्था की निर्भरता कम होने लगती है और बच्चा धीरे-धीरे कपड़े पहनने में, जूतों के फीते बाँधने में, गेंद के साथ खेलना आदि में सक्षम हो जाता है।
3. 5 से 6 साल की उम्र में बच्चा मोटर गतिविधियों जैसे सीढियाँ चढ़ना, रस्सी कूदना आदि के लिए पैरों का इस्तेमाल कुशलता से करना सीख लेता है।
4. विद्यालय, चौथे पांचवें वर्ष में बच्चों को उचित प्रेरक वातावरण जैसे कागज की वस्तुएं बनाना, ड्राइंग बनाना, चम्मच का उपयोग करना, खिलौने बनाना आदि प्रदान करके मोटर विकास में सूत्रधार की भूमिका निभाता है।
5. 6 वर्ष की आयु तक बच्चे में ऐसे खेल खेलने की क्षमता विकसित हो जाती है जिसके लिए आँखों और मांसपेशियों के बीच उत्कृष्ट समन्वय की आवश्यकता होती है जैसे कि ट्राइसाइकिल चलाना, ड्राइंग बनाना आदि।
6. 7वें और 8वें वर्ष में मोटर विकास को गति मिलती है जहां बच्चा अधिक जटिल गतिविधियों में संलग्न होता है जिसमें संतुलन जैसे सटीक संचलनों (movements) की आवश्यकता होती है। इसे शोधन काल (refining
period) के रूप में भी जाना जाता है जहाँ बच्चा पहले से विकसित कौशलों में और अधिक परिष्कृत होता है।
7. बच्चे लंबे समय तक ध्यान लगाने में सक्षम हो जाते हैं अर्थार्थ उनके ‘ध्यान विस्तार’ में बढ़ोतरी हो जाती है वे अब सवाल पूछने लगते हैं, मित्रों के कार्यों का अनुकरण करने लगते हैं, संगीत में रुचि लेने लगते हैं, खेल और गतिविधियों आदि में आनंद लेने लगते हैं।
महत्वपूर्ण मोटर कौशल
बाल्यावस्था में निम्नलिखित कौशल विकसित होते हैं।
1. स्वतंत्र रूप से खड़े होना और चलना।
2. स्वयं कपड़े पहनना, लिखना, जूते पहनना।
3. दाएं या बाएं हाथ के लिए वरीयता (preference)
विकसित होना।
4. दौड़ना, फुदकना, रस्सी कूदना, खेलना।
5. साइकिल चलाना और सीढ़ियां चढ़ना।
6. कैंची से कागज काटना।
7. दर्द सहन करने की क्षमता में वृद्धि, नृत्य, प्रश्नों के प्रति रचनात्मक प्रतिक्रिया, चित्रकला, भाषा कौशल, टेढ़ा मेढ़ाचलना, स्वयं की देखभाल आदि।
मोटर विकास निम्नलिखित में मदद करता है:
1. व्यक्तित्व विकास,
2. स्वायत्तता,
3. सुरक्षा,
4. बौद्धिक विकास,
5. स्व अवधारणा, आत्मसम्मान और पहचान।
संदर्भ:
1. https://www.verywellfamily.com/8-year-old-developmental-milestones-620729
2. NCERT, XI Psychology Text book.
3. http://www.pbs.org/parents/childdevelopment
tracker/six/index.html
4. https://kidshealth.org/en/parents/fitness-6-12.html.
5. Hurlock, E. B. Developmental
Psychology: A life span approach. Mcgraw Hill.
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