ऐसी
कार्यात्मक
मनोविकृति
जिसमें
व्यक्ति
वास्तविकता
से
संपर्क
खो
देता
है।
मनोविदलता मानसिक
विकारों
के
एक
ऐसे
समूह
के
लिए
प्रयोग
किया
जाता
है
जिसमे
व्यक्ति
की
सामाजिक
अंतक्रिया
में
कमी
होने
के
साथ
साथ,
प्रत्यक्षण,
विचारों
और
संवेगों
में
अव्यवस्थता
और
विखंडता
स्पष्ट
रूप
से
दिखाई
देती
है।
(Coleman, 1988).
निम्न प्रक्रियाओं
में
विकृतियां
होती
हैं
(i) चिंतन,
(ii) प्रत्यक्षण,
(iii) भाषा,
और
(iv) स्वयं
और
व्यवहार।
परिभाषित
मानदंड
(डी
एस
एम
V)
मनोविदलता
और
अन्य
मानसिक
विकारों
को
निम्नलिखित
पांच
क्षेत्रों
में
से
एक
या
एक
से
अधिक निम्नलिखित
असामान्यताओं
द्वारा
परिभाषित
किया
जाता
है:
-
(i) भ्रांति,
(ii) मतिभ्रम,
(iii) अव्यवस्थित
चिंतन
(भाषण),
(iv) पूरी तरह से अव्यवस्थित या असामान्य गतिक (motor)
व्यवहार (कैटेटोनिया सहित), और(v) नकारात्मक
लक्षण।
नैदानिक
मानदंड
विश्व
स्वास्थ्य
संगठन
द्वारा
प्रायोजित
एक
अध्ययन
में
मनोविदलता
से
ग्रसित
व्यक्ति
के
निदान
के
लिए
निम्नलिखित
12 लक्षण
निर्धारित
किए
गए
हैं:
-
(i) अल्पतम
मनोभाव (रिक्त
एवं
अभिव्यक्ति
रहित
चेहरा)
(ii) खराब
अंतर्दृष्टि
(अंतर्दृष्टि
की
समग्र
रेटिंग)
(iii) ऊँची
आवाज
में
चिंतन
(क्या
आप
ऐसा
महसूस
करते
हैं
की
आपके
विचार
प्रसारित
किए
जा
रहे
हैं
जिसके
कारण
हर
कोई
जानता
है
कि
तुम
क्या
सोच
रहे
हो?
क्या
आपने
कभी
ये
सुना
है
की
आपके
विचार
औरों
द्वारा
ज़ोर
से
बोले
जा
रहे
हैं?
(iv) सुबह
जल्दी
उठ
जाना
(सामान्य
उठने
के
समय
से
1-3 घंटे
पहले)
(v) सौहार्दपूर्ण
सम्बन्ध
स्थापित
करने
में
परेशानी
(क्या
साक्षात्कार
के
दौरान
सौहार्दपूर्ण
सम्बन्ध
बनाना
आसान
था?)
(vi) उदास
चेहरे
(चेहरे
के
भाव
उदास
एवं
अवसाद
ग्रसित)
(vii) हर्षोल्लाषित
मनोभाव
(उत्साहित,
हर्षित
मनोदशा)
(viii) व्यापक
भ्रान्ति
(रोगी
की
भ्रान्ति
कितनी
व्यापक
हैं?)
(ix) असंगत
वाणी
(असंगत
वाणी
का
स्वतंत्र
और
सहज
प्रवाह?)
(x) अविश्वसनीय
जानकारी
(साक्षात्कार
के
दौरान
प्राप्त
जानकारी
विश्वसनीय
थी
या
नहीं?)
(xi) विचित्र
भ्रांतियां
(क्या
भ्रान्तियों
का
कोई
अर्थ
निकलता
है?)
(xii) शून्यवादी
भ्रांतियां
(क्या
आप
अपने
शरीर
के
किसी
अंग
जैसे
सिर,मस्तिष्क
या
ह्रदय
को
अनुभव
करते
हैं
?)
मनोविदलता
को
जन्म
देने
वाले
कुछ कारण
(i) अनुवांशिक
कारक
(a) जुड़वां
बच्चों
अध्ययन
- समरूप
जुड़वां
(60-75%), भ्रातृ जुड़वां
(10-15%) - समरूप जुड़वां
बच्चों
में
मनोविदलता
की
दर
सामान्य
आबादी
की
तुलना
में
30 गुना
अधिक
होती
है।
(b) वे
बच्चे
जिनको
उनकी
मनोविदलता
से
ग्रसित
माताओं
से
अलग
कर
किया
गया
था
– मनोविदलता
से
ग्रसित
माताओं
से
पैदा
हुए
बच्चों
को
जब
उनसे
दूर
रखकर
पाला
गया तो
उनमे
न
केवल
मनोविदलता
से
ग्रसित
होने
की
संभावना
अधिक
पाई
गई,
बल्कि
अन्य
मानसिक
विकारों
से
पीड़ित
होने
की
भी
संभावना
भी
अधिक
देखी
गई।
(c) पारिवार
अध्ययन
– मनोविदलता
से
ग्रसित माता-पिता
के
बच्चों
में
मनोविदलता
होने
के
अधिक
मामले
देखे
गए।
(ii) मनोवैज्ञानिक
कारक
–
निम्नलिखित
कारक
मनोविदलता
के
विकास
का
कारण
बनते
हैं:
-
(a) प्रारंभिक
मानसिक
आघात
और
अभिवर्धित
भेद्यता
(increased vulnerability)
(b) माता-पिता-बच्चों
और
परिवार
के
बीच
रोगजनक
(Pathogenic) अंतः क्रिया
–
सिज़ोफ्रेनोजेनिक
माता-पिता, अशांत
वैवाहिक
सम्बन्ध,
छद्म-पारस्परिकता,
व्यक्ति
की
व्यक्तिगत
विश्वनीयता
को
कम
करने
वाला
दोषपूर्ण
संचार।
(c) दोषपूर्ण
अधिगम और
अतिरंजित
(exaggerated) रक्षा प्रक्रियाएं
– अपर्याप्त
आत्म
संरचना
और
अहंकार-रक्षा
तंत्र
(Ego defence mechanism) का अतिरंजित
उपयोग
(d) विनाशकारी
सामाजिक
भूमिकाएं
और
पारस्परिक
प्रतिरूप
(patterns) - स्वयं की
भूमिका
के
सम्बन्ध
में
दृढ़ता
और
दूसरों
की
भूमिका
को
न
समझने
के
परिणामस्वरूप
स्वयं
की
उचित
भूमिका
के
बारे
में
विभ्रान्ति।
(e) अत्यधिक
दबाव
और
विघटन
–
जो
मनोविदलता
से
ग्रसित
होते
हैं
वे
जीवन
में
आने
वाली
चुनौतियों
एवं
कठिनाइयाँ
तथा
नजदीकी
रिश्तों
नातों
से
उत्पन्न
परेशानियों
से
हारे
हुए
होते
हैं।
(iii)
जैव
रासायनिक
कारक
–
(b) उत्तेजक
और
निरोधात्मक
प्रक्रियाएं
– पावलोव
(1941) ने
बताया कि
मनोविदलता
से
ग्रसित
व्यक्तियों
में
उत्तेजक
प्रकार तंत्रिका
तंत्र
होता
है।
तीव्र
उद्दीपन
के
तहत
व्यक्ति
की
उत्तेजना
और
प्रतिक्रियाशीलता
प्रणाली
का प्रतिक्रिया
पैटर्न
'ट्रांसमार्जिनल'
(सुरक्षात्मक
अवरोध)
नामक
घटना
द्वारा
संरक्षित
होता
है।
यदि
उद्दीपक
अधिक
समय
तक
बना
रहता
है
तो
यह
सुरक्षात्मक
अवरोध
(protective inhibition) की प्रक्रिया
को
बदल
देता
है।
पहले
उच्च
उत्तेजना
(strong stimulation) द्वारा
प्राप्त
उत्तेजना
(excitation) का स्तर
है
बाद
में
कमजोर
उद्दीपन
द्वारा प्राप्त कर
लिया
जाता
है
जिसके
परिणामस्वरूप
उचित
और
अनुचित
तथ्य
और
कल्पना
(fantasy) के बीच
अंतर
करना
मुश्किल
होता
है
जो
व्यक्ति
को
भ्रम
और
मतिभ्रम
का
अनुभव
कराता
है।
(iv)
तंत्रिका-शारीरिक
कारक
(Neuro-physiological) – तनाव
मस्तिष्क
में
कई
प्रकार
की
परेशानियां
पैदा
करता
है
जो
न्यूरॉन्स
के
उत्तेजक
और
निरोधात्मक
(excitatory and inhibitory) गुणों को
प्रभावित
करता
है।
(a) उत्तेजना
और
अव्यवस्थाता
(arousal and disorganization) – स्वायत्त
तंत्रिका
तंत्र तनाव
की
स्थिति
में
व्यक्ति
को
अत्यधिक
उत्तेजना
(over arousal) या बहुत
कम
उत्तेजना
(under arousal) के
लिए
पूर्वनिर्धारित
करता
है।
मनोविदलता
से
ग्रसित
व्यक्ति
उत्तेजना
के
बाद
कई
प्रकार
के
न्यूरोलॉजिकल
और
जैव
रसायनों
में
परिवर्तन
के
कारण
सामान्य
अवस्था
में
आने
के
लिए
काफी
वक्त
ले
लेता
है।
(v) अन्य
कारक
– प्रसवपूर्व
विकास
के
दौरान
वायरस
का
अनावरण
(exposure), किशोरावस्था के
दौरान
एलएसडी
और
मारिजुआना
जैसे
पदार्थों
का
उपयोग,
सामाजिक-सांस्कृतिक
कारक
जैसे
निम्न
सामाजिक-आर्थिक
स्थिति,
शहरीकरण,
अंतःक्रियात्मक
जीन
और
पर्यावरण,
मस्तिष्क
में
असामान्य
प्रोटीन
का
निर्माण
आदि।
शुरुआत
आमतौर
पर बाल्यावस्था
के दौरान
शुरू होता
है और
इसके होने
कि सबसे
अधिक संभावना
विलम्बित किशोरावस्था
से प्रारंभिक
वयस्कता (15 से
30 वर्ष)
के बीच
होने की
होती है।
जैविक परिणाम
निष्कर्षतः
मनोविदलता
का
सबसे
अधिक
नुकसानदेह
प्रभाव
तंत्रिका
तंत्र
पर
होता
है।
इससे
होने
वाले
कुछ
परिणाम
:-
(i) मस्तिष्क
के
ऊतकों
(tissues) के नुकसान
के
कारण
मस्तिष्क
के
घनत्व
में
कमी
(ii) जैव
रसायनों
में असंतुलन
(iii) तंत्रिका
तंत्र
की
क्रियायों
में
गड़बड़ी
(iv) अन्तर्ग्रथनी
(synaptic connections) का कम
घनत्व
(v) मस्तिष्क
की
कोशिकाओं
में
सूजन
(Inflammation)
मनोविदलता
का
प्रबंधन
इससे
सम्बंधित
चिकित्सीय
लक्ष्य
महत्वपूर्ण
रूप
से
अवसादग्रस्त
लक्षणों
से
जुड़ी
अतिरिक्त
रुग्णता
और
मृत्यु
दर
को
कम
करना
होता
है।
(i) मनो-सामाजिक
सहायता
(ii) सामुदायिक
और
उपचार के
बाद
की
देखभाल
(iii) परिवार
चिकित्सा
(iv) औषधी,
योग
और
विश्राम
तकनीक
के
सामूहिक
इस्तेमाल
से
उपचार
सन्दर्भ:
1. Coleman,
C. J. (1988). Abnormal psychology and modern life. Bombay, India: D. B.
Taraporevala Sons & Co.
2. NCERT.
(XII). Psychology Book.
3. DSM V
Manual. Published by APA.
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