Wednesday, February 2, 2022

मनोविदलता: एक परिचय

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि


          1860 में बेल्जियम के एक मनोचिकित्सक मोरेल ने एक अत्यंत प्रतिभाशाली लड़के (13 वर्ष) का केस प्रस्तुत किया जिसमे बाद में निम्नलिखित लक्षण दिखाई दिए: -

(i)       पढ़ाई में रुचि कम होना,

(ii)      सामाजिक क्रिया कलापों से दूर होना और एकांत में रहना पसंद करना,

(iii)     उसके व्यवहार से ऐसा लगने लगा कि उसकी शिक्षा सम्बन्धी याददाश्त ही खो गई,

(iv)     अपने पिता की हत्या करने के विचार उमड़ना।

उन्होंने इस बदलाव का श्रेय जेनेटिक्स को दिया और इस विकार का नाम रखा मनोभ्रंश प्राइकॉक्स (Dementia Praecox) (प्रारंभिक अवस्था में मानसिक ह्रास )

           स्विस मनोचिकित्सक, ब्लेउलर (1911) ने इस स्थिति का वर्णन करने के लिए सिज़ोफ्रेनिया (व्यक्तित्व का विभाजन) शब्द की शुरुआत की।

 

परिभाषा

          कार्यात्मक मनोविकृति (Functional Psychosis) जिसमें व्यक्ति वास्तविकता से संपर्क खो बैठता है। मनोविदलता मानसिक विकारों के एक ऐसे समूह के लिए प्रयोग किया जाता है जिसमे व्यक्ति की सामाजिक अंतक्रिया में कमी होने के साथ साथ, प्रत्यक्षण, विचारों और संवेगों में अव्यवस्थता और विखंडता स्पष्ट रूप से दिखाई देती है (Coleman, 1988)।

निम्न प्रक्रियाओं में विकृतियां होती हैं: -

(i)       चिंतन,

(ii)      प्रत्यक्षण,

(iii)      भाषा,

(iv)      स्वयं और व्यवहार।

 

वैश्विक प्रभाव

          विश्व स्तर पर लगभग 2 करोड़ (200 लाख) लोग मनोविदलता (WHO) से पीड़ित हैं।

 

शुरुआत

          इसकी शुरुआत बचपन में होती है और सबसे अधिक संभावना विलम्बित  किशोरावस्था से प्रारंभिक वयस्कता (15 से 30 वर्ष) के दौरान होती है।

 

व्यापक वर्गीकरण

          मनोविदलता के होने के आधार पर इसको दो वर्गों में बांटा गया है:-

(i)       प्रक्रिया (Process) मनोविदलता और

(ii)      प्रतिक्रियाशील (Reactive) मनोविदलता।

 

प्रक्रिया मनोविदलता की नैदानिक ​​विशेषताएं

          इस प्रकार की मनोविदलता आनुवंशिक, जैविक एवं मनोवैज्ञानिक इत्यादि कारकों के कारण पुराना और लंबे समय तक चलने वाली होती है।

(i)       सामाजिक व्यवस्था में रुचि काम होते जाना।

(ii)      दिन में अत्यधिक सपने देखना।

(iii)      संवेगात्मक अभिव्यक्तियों का कुंद (blunt) होना।

(iv)      साधारण या सामान्य उद्दीपकों के प्रति अनुचित प्रतिक्रिया करना।

(v)      बाहरी एवं आंतरिक उद्दीपकों के प्रति संवेदनशील होना।

 

प्रतिक्रियाशील मनोविदलता की नैदानिक ​​विशेषताएं

          दबाव, तनाव या अन्य पर्यावरणीय कारकों के प्रति की गई प्रतिक्रिया के फलस्वरूप थोड़े समय के लिए अभिव्यक्त लक्षण।

(i)       संवेगात्मक  उथल-पुथल की अचानक शुरुआत,

(ii)      अत्यधिक उलझन,

(iii)      दुःस्वप्न,

(iv)      व्यवहार पैटर्न में अचानक परिवर्तन,

(v)      अत्यधिक अव्यवस्थित भाषण।

सामान्य लक्षण

          मनोविदलता एक व्यापक शब्द होता है जिसमें लक्षणों की एक विस्तृत श्रृंखला पाई जाती है। प्रत्येक व्यक्ति अलग-अलग तरह के लक्षण दिखाता है, हालांकि सामान्य लक्षणों को निम्नलिखित पांच श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है: -

1.        प्रत्यक्षणात्मक  निस्पंदन (Perceptual Filtering) का विकृत होना,

2.        विचारों और संवेगों  का अव्यवस्थित होना,

3.        दुश्चिंता और दहशत (panic),

4.        भ्रम और मतिभ्रम (Delusion of Hallucinations), एवं

5.        वास्तविकता से दूर होते जाना।

 

विशिष्ट लक्षण

          मनोविदलता से ग्रसित व्यक्ति में विविध प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं जिन्हें मोटे तौर पर निम्नलिखित दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है: -

1.        सकारात्मक लक्षण

2.        नकारात्मक लक्षण

1.       सकारात्मक लक्षण - व्यक्ति में मौजूद असामान्यता से संबंधित लक्षण जैसे,                                     - मतिभ्रम (hallucinations) (पांच इंद्रियों से संबंधित)

          -प्रत्यक्षणात्मक  क्षमता में अतिशयोक्ति (exaggeration) या विकृति

          - अवास्तविक मान्यताएं

          - अनुपयुक्त व्यवहार

          - अनुचित भाषण की अभिव्यक्ति

          - अतार्किक सोच

          - अतिरंजित (exaggerated) तर्कहीन भय

2.       नकारात्मक लक्षण - असामान्य लक्षण जो मनोविदलता से पीड़ित व्यक्ति में अनुपस्थित होते हैं।

          - संवेगात्मक अभिव्यक्ति की कमी (फ्लैट प्रभाव)

          - संज्ञानात्मक अखंडता की कमी

          - आनंद और दर्द के एहसास एवं अनुभव में कमी

          - तार्किक, व्यवहार, अभिव्यक्ति और प्रतिक्रिया का अभाव

          - बाहरी और आंतरिक उद्दीपकों के प्रति उदासीन

          - अभाव या न्यूनतम भाषण

          - विकृत अमूर्तता

परिणाम

(i)       मनोविदलता से ग्रसित लोगों में सामान्य आबादी की तुलना में जल्दी मृत्यु की संभावना 2 से 3 गुना अधिक होती है।

(ii)      दैनिक गतिविधियों, पेशेवर जीवन, सामाजिक और पारिवारिक जीवन में उल्लेखनीय ह्रास।

(iii)      मनोविदलता की बढ़ती तीव्रता कभी-कभी खतरनाक (स्वयं और दूसरों के लिए) कार्यों की ओर ले

जाती है।

(iv)      संज्ञानात्मक (अवधान, प्रत्यक्षण, स्मृति, अधिगम, सूचना प्रसंस्करण आदि) कार्यों में गंभीर विकृति।

(v)      व्यक्तित्व विकृत होने के कारण स्व और सामाजिक अनन्यता  खोने लगते हैं।

(vi)      व्यक्ति तत्काल वातावरण के प्रति असंवेदनशील हो जाता है (प्राकृतिक, सामाजिक, शैक्षणिक, पारिवारिक)।

(vii)     लांछन, मनोविदलता से ग्रसित लोगों के साथ भेदभाव और उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन आमतौर पर देखा गया है (WHO).      

 

सन्दर्भ:

1.        Coleman, C. J. (1988). Abnormal psychology and modern life. Bombay, India: D. B. Taraporevala Sons & Co.

3.        NCERT. (XII). Psychology Book.

4.        DSM V Manual. Published by APA.

 

 

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