Thursday, March 30, 2023

शैशवकाल की विशेषताएं

 


अर्थ

            शिशु (Infant) शब्द लैटिन शब्द ‘infans’ से लिया गया है जिसका अर्थ हैबोलने में असमर्थ याअवाक

 

             0 से 24 महीने (2 वर्ष) तक की अवस्था को शैशवकाल  माना जाता है। इस अवस्था के दौरान शिशु एक नए वातावरण के साथ समायोजन सीखता है। इस चरण को दो उप चरणों में विभाजित किया गया है अर्थात: -

(i)        पूर्व-नवजात (जन्म के पहले 30   मिनट) और

(ii)       शैशवकाल (2 वर्ष तक)

 

शारीरिक विशेषताएं

शारीरिक विकास - जन्म के समय, शिशु अपने शरीर को नियंत्रित करने में असहाय होते हैं। इस अवस्था के दौरान शिशु का शारीरिक विकास तेजी से होता है जिसमें शरीर और मस्तिष्क में होने वाले परिवर्तन होते हैं; अनैच्छिक क्रिया, मोटर कौशल, संवेदनाओं, धारणाओं और शिक्षण कौशल का विकास इत्यादि।

जन्म के समय वजन का प्रसार - 2.5 से 4.5 किलोग्राम

औसत लम्बाई का प्रसार - 18 से 22 इंच

शिशु का वजन पहले 6 महीनों में दोगुना हो जाता है और लम्बाई 10 से 12 इंच बढ़ जाती है।

 

अनैच्छिक क्रियाएं - अनैच्छिक क्रियाएं किसी भी उद्दीपक के प्रति स्वचालित प्रतिक्रियाएं होती हैं जो शिशुओं को किसी भी प्रकार के अधिगम से पहले पर्यावरण के प्रति प्रतिक्रिया करने में सक्षम बनाती हैं।

 

 

शिशुओं में पाई जाने वाली सामान्य अनैच्छिक क्रियाएं

 

अनैच्छिक क्रियाएं

उद्दीपक

पलक झपकाना

हवा का झोंका

Babinski

पैर के तलवे को दबाना

पकड़ना

किसी वस्तु से हथेली को दबाना

चूसना

मुंह में उंगली डालना

Babkin

माथे को हल्के से थपथपाने से, शिशु का गर्दन घुमाना और मुंह खोलना

 

गतिकीय कौशलगतिकीय विकास शिर:पदाभिमुख और समीप से दूर पैटर्न का अनुसरण करता है।

 

                                                                                 

आयु

उद्दीपक

1 महीना

लेटे हुए ठोड़ी को उठाना

2 महीने

पेट के बल लेटे हुए छाती को उठाना

4 महीने

वस्तुओं (झुनझुना) को पकड़ना

5 महीने

लेटे-लेटे घूम जाना

8 महीने

बिना सहारे के बैठना

10 महीने

सहारे के साथ खड़ा होना

14 महीने

अकेले चलना

 

 

इन्द्रियां

1.         दृष्टि शिशु दूर तक देखने में सक्षम नहीं होते। बच्चे लगभग 8 से 10 इंच तक की नजदीक वस्तुओं पर ही ध्यान केंद्रित करने की क्षमता के साथ पैदा होते हैं जीवन के पहले 2 से 3 वर्षों में दृष्टि 20/20 के सामान्य स्तर पर जाती है। नवजात शिशु प्रकाश और अंधेरे में अंतर करने में सक्षम होते हैं लेकिन वे रंगों को नहीं पहचान पाते हैं।

2.         श्रवण  नवजात शिशुओं में श्रवण क्षमता पूरी तरह से विकसित होती है। वे उच्च-स्वर वाली आवाज़ (माँ की) को कम-स्वर वाली आवाज़ (पुरुषों) की अपेक्षा अधिक पसंद करते हैं। उनमें बहुत बार सुनी हुई आवाज की उपेक्षा करने की भी क्षमता होती है। सुनने सम्बन्धी समस्याएं मस्तिष्क के श्रवण केंद्रों तक पहुंचने वाली उत्तेजना को बाधित करती हैं जो श्रवण सम्बन्धी परिपक्वता और विकास को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है, जिसके कारण से बोलने और भाषा ग्रहण में परेशानी सकती है।

3.         स्वाद स्वाद सम्बन्धी कलिकाएं जन्म के पूर्व का विकास के विकास के दौरान ही विकसित हो जाती हैं। यह सर्वविदित है की शिशु खट्टे या कड़वे स्वाद की बजाय मीठे स्वाद पसंद करते हैं। बच्चे माँ के दूध के लिए अधिक उत्साहित होते हैं।

 

4.         घ्राण शिशु के मस्तिष्क में घ्राण (गंध) का केंद्र जन्म के पूर्व ही विकसित हो जाता है। अध्ययन में पाया गया कि नवजात शिशुओं में गंध सम्बन्धी गहरी समझ होती है। जन्म के कुछ दिनों के भीतर ही वे अपनी माँ की गंध के प्रति प्राथमिकता दिखाने लगते हैं।

5.         स्पर्शजन्म के समय, बच्चे एक नई दुनिया में आते हैं, जहां उनके हाथ और पैर अचानक स्वतंत्र रूप से घूम सकते हैं। शिशु के पेट पर हाथ रखकर या पास से खीचने से शिशु को अधिक सुरक्षित महसूस करने में मदद मिलती है। दूध पिलाने के लिए बच्चे को पकड़ना भी महत्वपूर्ण है। स्तनपान सुनिश्चित करता है कि एक बच्चा मां की बाहों में कई घंटे बिताता है।

प्रत्यक्षण यह एक मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया होती है जिसके द्वारा मानव मस्तिष्क संवेदी अंगों द्वारा एकत्रित सूचना को संसाधित करता है और उसे समझने योग्य बनाता है। अनुसंधान बताते हैं की शिशुओं को गहराई (अग्रभूमि और पृष्ठभूमि के बीच का संबंध), आकार और आकृति की स्थिरता (Shape constancy) के बारे में ज्ञान होता है। आकार और आकृति की स्थिरता सम्बन्धी ज्ञान की क्षमता शिशुओं के लिए घटनाओं और वस्तुओं के बारे में जानने एवं उनको समझने के लिए आवश्यक होती है।

 

अधिगमयह वह प्रक्रिया होती है जिसके परिणामस्वरूप, अनुभव के आधार पर व्यवहार में अपेक्षाकृत स्थायी परिवर्तन होता है, (1920 में वाटसन द्वारा 11 महीने के शिशु "लिटिल अल्बर्ट" पर किया गया प्रयोग) आमतौर पर शिशु प्राचीनतम अनुबंधन की तुलना में क्रियाप्रसूत अनुबंधन के लिए ज्यादा संवेदनशील होते हैं। शिशु के लिए नए कौशल सीखने के लिए अधिगम का सबसे उचित और प्राकृतिक तरीकादेख कर सीखना’ (Learning by Observation) होता है।

 

References:

1.         https://www.chop.edu/conditions-diseases/newborn-senses.

2.         https://www.cliffsnotes.com/study-guides/psychology/development-psychology/physical- cognitive-development-age-02/physical-development-age-02.

3.         NCERT, XI Psychology Text book.

 

 

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